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Cyber Fraud: मेवाड़ में साइबर ठगी के साथ गेमिंग-गैंबलिंग का 'खेल', अरबों-खरबों रुपए की लगा रहे चपत

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Published : May 3, 2023, 6:13 PM IST

राजस्थान में मेवाड़ साइबर ठगी का नया अड्डा बन रहा है. ये साइबर ठग मोबाइल गेम से जुए के जरिए भी लोगों को निशाना बना रहे हैं. खास बात यह है कि मोबाइल गेम से अरबों-खरबों का 'खेल' होने के बाद भी पीड़ित पुलिस तक नहीं पहुंच (Mewar became new hub of cyber fraud) रहे हैं. देखिए खास रिपोर्ट...

Mewar became new hub of cyber fraud
Mewar became new hub of cyber fraud

पुलिस निरीक्षक एसओजी सज्जन कंवर

जयपुर. साइबर ठगी का नाम आते ही झारखंड के जामताड़ा और राजस्थान के मेवात की तस्वीरें सामने आती हैं, लेकिन अब राजस्थान में मेवाड़ इलाका साइबर ठगी का नया अड्डा बनता जा रहा है. इस इलाके में कई ऐसे गिरोह हैं, जो साइबर ठगी के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे गिरोह केवल साइबर ठगी तक ही सीमित नहीं हैं. इन गिरोहों से जुड़े शातिर साइबर ठगी के साथ ही मोबाइल गेम के बहाने लोगों (खास तौर पर युवाओं) को जुए का आदी बनाकर उनसे अरबों-खरबों रुपए की ठगी भी कर रहे हैं. लेकिन पीड़ित पुलिस तक नहीं पहुंच रहे हैं.

पिछले दिनों एक महिला से 43 लाख रुपए की साइबर ठगी के मामले में पकड़े गए चार आरोपियों से पूछताछ में मोबाइल गेमिंग और गैंबलिंग को लेकर एसओजी को कई चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी है. इसमें सामने आया है कि शातिर साइबर ठग मोबाइल गेम के जरिए जुआ खिलाकर लोगों को शिकार बना रहे हैं. इसके साथ ही महिलाओं को ब्लैकमेल करने और पुलिस अधिकारियों के नाम पर ठगी करने के सबूत भी एसओजी को मिले हैं. अब इन सभी तथ्यों को देखते हुए एसओजी जांच कर रही है. इसके साथ ही जिन लोगों ने इन बदमाशों के पास मिले बैंक अकाउंट्स में ट्रांजेक्शन किया है. उनके बारे में भी एसओजी जानकारी जुटा रही है, ताकि साइबर ठगी और गेमिंग के माध्यम से ठगी के पीड़ितों के बारे में पता लगाया जा सके.

पूछताछ में मिली अहम जानकारीः एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने बताया कि महिला मनोविज्ञानी से 43 लाख रुपए की ठगी के आरोप में भीलवाड़ा के बेई निवासी युवराज मीणा, चित्तौड़गढ़ के आकोला निवासी लेहरूलाल तेली और चित्तौड़गढ़ के संगेसरा निवासी किशनलाल प्रजापत और गोवर्धन रैगर को गिरफ्तार किया था. इनकी रिमांड अवधि पूरी होने पर उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भिजवा दिया गया है. इनसे पूछताछ में साइबर ठगी के साथ ही मोबाइल गेम के जरिए जुए की लत लगाकर ठगी और महिलाओं को ब्लैकमेल करने के साथ ही पुलिस अधिकारियों की फोटो वाट्सएप पर डीपी लगाकर ठगी करने को लेकर भी अहम जानकारी मिली है. अब एसओजी के साइबर थाने की टीम अनुसंधान करने में जुटी है.

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एसओजी के साइबर थाने की पुलिस इंस्पेक्टर सज्जन कंवर का कहना है कि पिछले कुछ समय से यब ट्रेंड चल रहा है कि लोग और खास तौर पर युवा और बच्चे गेम खेलते हैं. वो जब गेम में पैसा लगाते हैं तो उन्हें किसी अकाउंट में रुपए जमा करवाने होते हैं. इनमें से कुछ लोगों को गेम से जोड़े रखने के लिए जीतने पर थोड़े बहुत रुपए वापस दिए जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में शातिर बदमाश अलग-अलग बैंक अकाउंट काम में लेते हैं. जिन अकाउंट में गेम खेलने वालों से रुपए लिए जाते हैं. वह अलग होता है, जबकि साइबर ठगी की रकम जिन खातों में आती है. उन खातों से जीतने पर गेम खेलने वालों को राशि वापस की जाती है.

पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासाः इंस्पेक्टर सज्जन कंवर का कहना है कि साइबर ठगी के मामले की जांच के दौरान आरोपियों और अन्य लोगों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मेवाड़ इलाके के चार जिलों उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा और राजसमंद के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर मोबाइल गेम के जरिए जुए के खेल में लोगों को फंसाया जा रहा है. उनसे भी अरबों-खरबों रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है.

मोबाइल की जांच में हुए बड़े खुलासेः साइबर ठगी के आरोपी लेहरू राम तेली, युवराज मीणा, गोवर्धन रैगर और किशनलाल प्रजापत के मोबाइल की जांच में सामने आया है कि कई अन्य खातों में भी आरोपियों की ओर से लोगों से रकम जमा करवाई गई है. इनके मोबाइल में पांच लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए के ट्रांजेक्शन के भी स्क्रीन शॉट्स मिले हैं. जिन करंट अकाउंट्स की एसओजी ने जांच की है, उनमें दो दिन के ट्रांजेक्शन की डिटेल ही डेढ़ से दो हजार पन्नों की आ रही है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये शातिर बदमाश किस तरह से बड़े पैमाने पर लोगों को अपना निशाना बना रहे थे.

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बच्चे, युवा या बड़े, जो भी मोबाइल पर गेम खेल रहे हैं और उसमें रुपए लगा रहे हैं. वे सभी पीड़ित ही हैं. क्योंकि ये शातिर बदमाश लोगों को मुनाफे का लालच देकर गेम खेलने और रकम लगाने को मजबूर करते हैं. उन्हें अपने साथ बनाए रखने के लिए कभी-कभी जीतने पर थोड़ी बहुत राशि वापस भी लौटाई जाती है. लेकिन गेम खेलने के बदले जितनी राशि ली जाती है, जीतने पर उससे कम ही राशि दी जाती है. कई बार तो एक बार रुपए हारने पर अगली बार जीतने का झांसा देकर भी लोगों से बार-बार रुपए लगवाए जाते हैं.

प्ले स्टोर पर नहीं, पॉप अप्स में आता है लिंकः जांच में यह भी सामने आया है कि साइबर ठगी से जुड़े बदमाश जिन गेम्स में लोगों से रुपए लगवाकर जुआ खेलने पर मजबूर करते हैं. वो गेम्स प्ले स्टोर पर मौजूद नहीं हैं, जबकि जब लोग सोशल मीडिया साइट्स या कोई अन्य साइट्स पर जाते हैं तो बीच-बीच में पॉप अप्स के रूप में इन गेम्स का लिंक आता है. इसके माध्यम से शातिर ठग लोगों को फंसाकर अपना शिकार बनाते हैं.

11 खातों में 30 करोड़ का ट्रांजेक्शनः एसओजी के साइबर थाने की इंस्पेक्टर सज्जन कंवर का कहना है कि साइबर ठगी से जुड़े खातों की जांच में सामने आया है कि 11 खातों में करीब 30 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है. इन 11 खातों की डिटेल के अलावा भी एटीएम, पास बुक और चेक बुक मिली हैं. उनके संबंध में विभिन्न बैंकों को नोटिस जारी किए गए हैं. अब इन अकाउंट्स को देशभर में सर्कुलेट किया जाएगा, ताकि इन खातों के माध्यम से जिस किसी व्यक्ति के साथ ठगी हुई है. उसका पता लगाया जा सके. इसके अलावा जिन लोगों ने यूपीआई से ट्रांजेक्शन किया है. उनके फोन नंबर पर कॉल करके भी जानकारी जुटाई जा रही है.

महिलाओं को ब्लैकमेल करने के मिले सबूतः साइबर ठगी गिरोह के मुख्य सरगना चित्तौड़गढ़ के आकोला निवासी लेहरू लाल तेली के मोबाइल से कई महिलाओं को ब्लैकमेल करने के भी सबूत मिले हैं. इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वह कई महिलाओं से चैट करता था. इस चैट के स्क्रीनशॉट्स एसओजी को मिले हैं. जिनसे पता चलता है कि लेहरूलाल कई महिलाओं को ब्लैकमेल भी करता था. एक स्क्रीनशॉट में उसने एक महिला को मैसेज किया था कि यह तेरे पति को भेजूंगा. इसी तरह करीब 10 महिलाओं को चैट के माध्यम से ब्लैकमेल करने की जानकारी एसओजी के हाथ लगी है.

पुलिस अफसरों की फोटो लगाकर ठगी की वारदातः एसओजी को लेहरू लाल के मोबाइल से 40 सीनियर पुलिस अफसर की फोटो मिली है. इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि किसी मोबाइल नंबर के वाट्सएप अकाउंट पर पुलिस अधिकारियों की फोटो लगाकर उनके परिचितों और मातहत कर्मचारियों से ठगी की वारदात को भी इस गैंग की ओर से अंजाम दिया गया है.

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