जयपुर. राजस्थान विधानसभा में अलवर के रामगढ़ से विधायक का चुनाव जीतने के बाद सोमवार को साफिया खान अपने पद की शपथ लेंगी. यह राजस्थान विधानसभा के लिए खास दिन होगा और उसका कारण होगा साफिया खान की शपथ लेने के साथ ही राजस्थान विधान सभा में सदस्यों की संख्या 200 हो जाना.
कारण चाहे कोई भी रहे हों लेकिन राजस्थान विधानसभा में लंबे समय से 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ पाए हैं. गहलोत सरकार की शुरुआत भी ऐसे 99 विधायकों से हुई है जो साफिया के जीतने के बाद 100 पूरी हो जाएगी और वहीं विधानसभा में विधायकों का आंकड़ा भी पूरा होगा. क्योंकि विधानसभा में किसी ना किसी कारणवश ऐसा होता आया है कि लंबे समय से 200 सदस्य एक साथ नहीं बैठ पाए.
भाजपा सरकार की बात करें तो लगभग साढ़े 4 साल तक इस विधानसभा में सभी विधायक एक साथ नहीं बैठ सके थे. उनके कार्यकाल में कुछ विधायक लोकसभा चुनाव जीत कर विधायक से सांसद बन गए तो उन सीटों पर उपचुनाव हुए. फिर विधायकों की संख्या जैसे ही पूरी हुई वैसे ही धौलपुर के तत्कालीन विधायक बाबूलाल कुशवाहा मर्डर के चार्ज में जेल चले गए तो उनकी मान्यता रद्द कर दी गई. ऐसे में विधायकों की संख्या फिर 199 रह गई. इस सीट पर उपचुनाव के बाद सदस्यों की संख्या फिर पूरी हुई लेकिन मांडलगढ़ से भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू के चलते निधन हो गया और फिर आंकड़ा 199 ही रह गया.
मांडल सीट पर हुए उपचुनाव में विधायक चुनाव जीत कर आए तो संख्या फिर एक बार 200 तक पहुंची लेकिन कुछ दिन पूरे हुए थे कि नाथद्वारा से भाजपा विधायक कल्याण सिंह की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई और यह संख्या घटकर 199 रह गई. विधानसभा चुनाव में समय कम रहने के चलते इस सीट पर अंत तक उपचुनाव नहीं हुआ. इसी बीच भाजपा के मंडावर से विधायक धर्मपाल चौधरी का भी निधन हो गया जिसके चलते राजे सरकार का कार्यकाल 198 विधायकों के साथ ही खत्म हो गया.
इसके बाद हुए 2018 के विधानसभा चुनाव मैं तो शुरूआत ही कुछ ऐसी हुई कि चुनाव ही 199 सीटों पर हुए. क्योंकि अलवर की रामगढ़ सीट पर बसपा प्रत्याशी का निधन हो गया. ऐसे में रामगढ़ सीट पर चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई. अब रामगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस की साफिया खान जीत कर आई है जो 15 वीं विधानसभा के पहले सत्र में 8 वीं बैठक में शामिल होंगी और विधान सभा में सदस्यों की संख्या पूरी 200 हो जाएगी.
विधानसभा का अपशकुन या मिथक
ऐसा नहीं है कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही सदस्यों की संख्या कभी 200 नहीं हो सकी बल्कि यह सिलसिला राजस्थान विधानसभा में पहले से ही चलता रहा है. 2008 से 2013 तक रही कांग्रेस सरकार के समय भी हालात यही थे. भंवरी देवी हत्या के मामले में प्रदेश के मंत्री और एक विधायक को जेल जाना पड़ा था. हालांकि उन दोनों की सदस्यता समाप्त नहीं की गई थी लेकिन जेल में रहने के कारण से यह विधायक विधानसभा नहीं जा सके थे और उस समय भी राजस्थान विधानसभा का अंत 198 विधायकों के साथ ही हुआ था. इससे पहले रही 2003 की भाजपा सरकार में भी विधायक रामसिंह विश्नोई का निधन हो गया था जिसके चलते विधानसभा में 200 विधायक नहीं रह सके थे.