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दिल्ली एम्स सर्वर पर रैंसमवेयर वायरस अटैक, अलर्ट पर राजस्थान के सभी सरकारी विभाग

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Published : Dec 1, 2022, 8:08 AM IST

दिल्ली एम्स अस्पताल में वायरस अटैक के बाद प्रदेश के सभी विभागों के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है (Ransomware Virus Attack Alert in Rajasthan). रैंसमवेयर सरवर अटैक से बचने के लिए जरूरी निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

Ransomware Virus Attack Alert in Rajasthan
Ransomware Virus Attack Alert in Rajasthan

जयपुर. हाल ही में दिल्ली में देश के सबसे बड़े एम्स अस्पताल के सरवर को साइबर हैकर्स के हैक किए जाने के बाद राजस्थान में भी अलर्ट जारी किया गया है (Ransomware Virus Attack Alert in Rajasthan). दिल्ली एम्स के सरवर को हैक करने के बाद हैकर्स ने 200 करोड़ रुपए की फिरौती बिटकॉइन के रूप में मांगी. वहीं राजस्थान में वर्ष 2017 में विभिन्न सरकारी विभागों के कंप्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को भी इसी तरह हैकर्स ने हैक किया था. रैंसमवेयर वायरस के जरिए हैकर्स ने हमला बोला था और एक बार फिर से यह वायरस चर्चाओं में है.

इस वायरस को लेकर एक बार फिर से सरकार की ओर से अलर्ट जारी किया गया है और तमाम सरकारी विभागों के सिस्टम को अपग्रेड रखने व किसी भी अननोन ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक करने से बचने के निर्देश दिए गए हैं. यह वायरस एक चेन सिस्टम पर काम करता है जो वाईफाई और इंटरनेट कनेक्शन से कनेक्ट तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को करप्ट कर देता है. करप्ट फाइल या डाटा को फिर से हासिल करने के लिए वायरस सरवर पर भेजने वाले साइबर हैकर्स के जरिए डॉलर या बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती है. इसीलिए इस वायरस का नाम रैंसमवेयर वायरस पड़ा है.

एक तरह का मैलवेयर है रैंसमवेयर- रैंसमवेयर वायरस एक तरह का मैलवेयर है जो सरवर के माध्यम से कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को प्रभावित करता है. इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मौजूद तमाम डाटा को करप्ट कर देता है और उस डाटा को रिकवर करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में फिरौती मांगी जाती है. यह वायरस एजुकेशन सिस्टम, प्राइवेट कंपनी के सिस्टम और सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाता है. यह तमाम डाटा को लॉक कर देता है और उसे फिर से एक्सेस करने की एवज में बिटकॉइन के रूप में करोड़ों रुपयों की फिरौती हैकर्स मांगते हैं. फिरौती लेने के बाद सिस्टम की तमाम फाइल को हैकर्स अनलॉक कर देते हैं और फिर यूजर उसका फिर से इस्तेमाल कर पाता है. हालांकि बिटकॉइन भारत में प्रतिबंधित है लेकिन विदेशों में उसका प्रयोग लीगल है. जिसके चलते हैकर्स बिटकॉइन के रूप में ही फिरौती की मांग करते हैं.

इस तरह से अटैक करता है वायरस- रैंसमवेयर वायरस को साइबर हैकर्स ईमेल स्पूफिंग के जरिए किसी बड़ी कंपनी या यूजर के सिस्टम तक पहुंचाते हैं. साइबर हैकर्स भारत सरकार, विभिन्न बैंक, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट और गूगल नोटिफिकेशन के नाम से असली वेबसाइट से हू-ब-हू मिलती- जुलती वेबसाइट व ईमेल आईडी के माध्यम से यूजर को ईमेल भेजते हैं. उस ईमेल के साथ साइबर हैकर्स एक पीडीएफ फाइल अटैच करके भेजते हैं. इस पीडीएफ फाइल में बाइंडिंग टेक्नोलॉजी के तहत मॉलवेयर को बैंड करके भेजा जाता है. जैसे ही यूजर ईमेल में अटैच फाइल को डाउनलोड करता है वैसे ही वायरस यूजर के सिस्टम और उस सिस्टम से जुड़ी हुई तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर एक साथ अटैक करता है.

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इस कारण सरकारी सिस्टम होता है निशाना- अमूमन यह देखा जाता है कि रैंसमवेयर वायरस सरकारी सिस्टम को अपना निशाना बनाते हैं क्योंकि सरकारी सिस्टम पर आम लोगों का डाटा बड़ी तादाद में मौजूद रहता है जिसका उपयोग साइबर हैकर्स गलत तरीके से भी कर सकते हैं. सरकारी सिस्टम में एंटी मॉलवेयर डाउनलोड तो होता है, लेकिन उसे समय-समय पर अपडेट नहीं किया जाता, जिसके चलते यह वायरस बड़ी आसानी से सरकारी सिस्टम पर अटैक कर देता है. इस वायरस के अटैक से बचने का पहला तरीका यही है की सरवर से जुड़े हुए तमाम नेटवर्क व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड किए गए एंटी मैलवेयर को समय-समय पर अपग्रेड किया जाए.

2017 में राजस्थान में हो चुका वायरस का अटैक

  • मई 2017 में राजस्थान के कोटा में रेलवे के सरवर से जुड़े हुए दर्जनों कंप्यूटर सिस्टम पर रैंसमवेयर वायरस का एक साथ अटैक हुआ. जिसके चलते रेलवे के कई विभागों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया और डीआरएम ऑफिस से लेकर अकाउंट सेक्शन तक के तमाम कंप्यूटर इस वायरस की चपेट में आ गए. हालांकि, मामला रेलवे से जुड़ा हुआ था और विभाग के अलावा आम लोगों भी तमाम जानकारियां सरवर पर मौजूद थीं, जिसे देखते हुए साइबर एक्सपर्ट की विशेष टीम ने इस वायरस से निजात दिलाने में काफी मशक्कत की.
  • जून 2017 में राजस्थान के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के सरवर पर रैंसमवेयर वायरस का अटैक हुआ और अस्पताल के तमाम विभागों के कंप्यूटर ने एक साथ काम करना बंद कर दिया.. जिसके चलते मरीजों का पंजीकरण, डिस्चार्ज कार्ड, प्रवेश पत्र, डायग्नोस्टिक टेस्ट, भुगतान पर्ची व अन्य तमाम काम पूरी तरह से ठप हो गए. तमाम व्यवस्थाओं को सुचारू करने में साइबर विशेषज्ञों की टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी और अस्पताल प्रशासन ने मैनुअल रूप से इन व्यवस्थाओं का संचालन किया.
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