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धान की सरकारी खरीद नहीं होने से किसानों को 50 करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान

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Published : Oct 3, 2021, 10:11 PM IST

हनुमानगढ़ धान की सरकारी खरीद
हनुमानगढ़ धान की सरकारी खरीद

हनुमानगढ़ जिले में धान की खेती दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, लेकिन समर्थन मूल्य पर कभी खरीद नहीं हुई. सरकारी दर पर खरीद नहीं होने से किसानों को उपज कम दामों में बेचनी पड़ रही है.

हनुमानगढ़. जिले में पैदा होने वाले धान की मांग विदेशों में भी है. लेकिन यहां की सरकार को इसकी कद्र नही है. अब धान के समर्थन मूल्य पर खरीद की मांग जिले में मुखर होती जा रही है, इसको लेकर आज भद्रकाली क्षेत्र विकास सेवा समिति की ओर से पत्रकार वार्ता की गई.

इस दौरान उपस्थित किसान व व्यापारी राज्य सरकार पर जमकर बरसे, और उनकी जायज मांग को नहीं मानने के आरोप लगाए. किसान मोर्चा नगर अध्यक्ष भगवान सिंह खुड़ी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि पिछले लंबे समय से क्षेत्र के किसान धान की सरकारी खरीद की मांग कर रहे है, इसके लिए धरने प्रदर्शन भी किये जा चुके हैं. विधानसभा तक में मुद्दा उठाया जा चुका है लेकिन किसान हितैषी होने का दावा करने वाली राज्य की कांग्रेस सरकार ने अब तक केंद्र को समर्थन मूल्य पर खरीद करने की अनुशंसा तक नहीं भेजी है. इसका खामियाजा धान उत्पादक हजारों किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

किसानों और व्यापारियों ने राज्य सरकार पर किसानों की सुनवाई नहीं करने के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि हर वर्ष किसानों को करीब 50 करोड़ का नुकसान हो रहा है जिसकी जिम्मेदार राज्य सरकार है. इस मुद्दे को लेकर धान किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है.

हालांकि किसानों की मांग को लेकर तीन पत्र कलक्टर ने चीफ सेक्रेटरी फूड एंड सप्लाई को लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. किसान नेता भगवान सिंह खुड़ी ने बताया कि राजस्थान का चावल पंजाब, हरियाणा ने लेना बंद कर दिया है. इससे समस्या बढ़ गई है. किसान नेता खुड़ी ने इस बाबत सोमवार को जिला कलेक्टर को मांग पत्र सौंपने की बात भी कही.

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ये है धान का गणित

जिले के काश्तकार परमल व वनस्पति धान की विभिन्न किस्मों की खेती करते हैं. केंद्र सरकार परमल धान का ही समर्थन मूल्य घोषित करती है और इसकी ही खरीद करती है. जिले में समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने के कारण परमल धान के बाजार भाव बहुत कम रहते हैं. गत वर्ष 1888 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय था, लेकिन बाजार भाव 1500 रुपए प्रति क्विंटल से भी कम रहे. ऐसे में किसानों को लगभग 50 करोड़ से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ.

इस बार केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य में 72 रुपए की बढ़ोतरी करते हुए प्रति क्विंटल दाम 1960 रुपए कर दिए हैं, लेकिन खरीद के कोई आसार नजर नहीं आ रहे. बाजार भाव कम रहने की वजह से पिछले साल भी समर्थन मूल्य पर खरीद की मांग उठी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस बार धान की बिजाई के समय से काश्तकार समर्थन मूल्य पर खरीद की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र तक नहीं लिखा है. ऐसे में इस बार भी परमल धान के बाजार भाव कम रहने का अंदेशा है.

प्रति वर्ष 20 लाख क्विंटल धान का उत्पादन

किसान वर्षों से धान उत्पादक क्षेत्र को राइस बैल्ट घोषित कर सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. काश्तकार अपने बलबूते पर प्रति वर्ष 20 लाख क्विंटल से अधिक धान की पैदावार करते हैं. वर्ष 2020-21 में 36 हजार 950 हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई और 22 लाख 17 हजार क्विंटल पैदावार हुई. इतनी बड़ी मात्रा में धान उत्पादन के बावजूद किसानों के लिए यह खेती फायदे की बजाए घाटे का सौदा ही साबित हो रही है. इसका मुख्य कारण सरकारी खरीद नहीं होना है.

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जिले में इस बार 34 हजार 730 हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है. परमल धान का समर्थन मूल्य आए साल सिर्फ कागजों में बढ़ रहा है. मूंछल और वनस्पति धान सिर्फ बाजार भाव पर ही बिकता है.

हनुमानगढ़ तहसील के 15, पीलीबंगा के 12, टिब्बी के 20 और रावतसर के 5 गांवों में किसान धान की बुवाई करते हैं, प्रति हैक्टेयर धान की पैदावार औसत 60 क्विंटल होती है. पराली की मात्रा भी धान के बराबर ही मानी जाती है.

क्या बोले विधायक व भाजपा जिलाध्यक्ष

इस बाबत हनुमानगढ विधायक चौधरी विनोद कुमार का कहना है कि हनुमानगढ़ जिले में धान की सरकारी खरीद शुरू करने के लिए सरकार को पत्र भेजा गया था, दोबारा बात करेंगे.

भाजपा जिलाध्यक्ष बलवीर बिश्नोई का कहना है कि राज्य की कांग्रेस सरकार सिर्फ किसान हितैषी होने के झूठे दावे करती है. राज्य सरकार एक अनुशंसा पत्र तक केंद्र सरकार को नहीं लिख रही है, जबकि यह एक सरकारी प्रक्रिया है.

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