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खुशखबरीः चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा, 2176 हो गई संख्या

धौलपुर की चंबल नदी में दुलर्भ घड़ियालों का कुनबा काफी बढ़ गया. चंबल में एक साल में 317 घड़ियाल बढ़कर 2176 घड़ियाल हो गए.

धौलपुर की चंबल नदी, Chambal River of Dhaulpur
चंबल नदी में बढ़ा घड़ियालों का कुनबा
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Published : Mar 7, 2021, 7:55 PM IST

धाैलपुर. साल 2020 दुनियाभर के लिए मुसीबत से भरा रहा हो, लेकिन चंबल नदी में दुलर्भ घड़ियालों का कुनबा बढ़ने के लिए सुनहरा साल रहा. जिले की चम्बल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की बात करें तो सभी को लेकर खुशखबरी है. हो भी क्यों नहीं.

पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा में कल से मंत्री और विधायकों को लगेगी कोरोना वैक्सीन

विश्वभर में एक नदी चंबल ही ऐसी है जहां सबसे ज्यादा घड़ियाल पाए गए हैं. अगर इंडिया की बात करें तो भारत की मुख्य नदी जहां, घड़ियाल हैं, वहां भी एक चौथाई हिस्से के बराबर भी घड़ियाल नहीं हैं, जितने अकेले चंबल नदी में पल रहे हैं. यानि की चंबल में एक साल में 317 घड़ियाल बढ़कर 2176 घड़ियाल हो गए.

अच्छी बात ये भी रही कि घट रहे डॉल्फिन कुनबे में भी 14 नए सदस्यों का आगमन हुआ और इस बार इनकी संख्या 82 हो गई है. मगरमच्छों की संख्या भी 710 से बढ़कर 886 हुई. चंबल घड़ियाल अभयारण्य में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की गणना 1 फरवरी से पखवाड़ा तक हुई.

पढ़ेंः पटवारियों का अनिश्चितकालीन धरना 21वें दिन भी जारी,अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला पटवारी करेंगी अनशन

बता दें कि नेपाल की राप्ती, नारायणी नदी, बिहार की गंडक नदी, यूपी की गिरवा नदी, उत्तराखंड की रामगंगा सभी को मिलाकर यहां आईयूसीएन के मुताबिक कुल 724 घड़ियाल हैं. अकेले चंबल में 2176 घड़ियाल हैं. एमपी की सोन केन सेंचुरी में भी घड़ियाल मिलते हैं.

जलीय जीवाें के लिए सुनहरा साल-2020

जलीय जीव विशेषज्ञ ज्याेति डंडाेतिया ने बताया कि चंबल में जलीय जीवों की फरवरी में पंद्रह दिन तक गणना हुई जाे कि एमपी, यूपी और राजस्थान सीमा में बहने वाली 435 किमी आल ओवर जहां घडियाल सेंचुरी है शामिल रहा. इसमें साल 2020 जलीय जीवों की संख्या के हिसाब से बेहद सुखद रहा है. कई सालाें से घट रही डॉल्फिन की संख्या बढ़ी. जितनी चंबल नदी में घड़ियाल तेजी से कुनबा में वृद्धि कर रहे हैं, उसका चाैथाई हिस्सा भी देश की सभी नदियाें में नहीं हैं, जहां घड़ियाल पल रहे हैं.

धाैलपुर. साल 2020 दुनियाभर के लिए मुसीबत से भरा रहा हो, लेकिन चंबल नदी में दुलर्भ घड़ियालों का कुनबा बढ़ने के लिए सुनहरा साल रहा. जिले की चम्बल नदी में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की बात करें तो सभी को लेकर खुशखबरी है. हो भी क्यों नहीं.

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विश्वभर में एक नदी चंबल ही ऐसी है जहां सबसे ज्यादा घड़ियाल पाए गए हैं. अगर इंडिया की बात करें तो भारत की मुख्य नदी जहां, घड़ियाल हैं, वहां भी एक चौथाई हिस्से के बराबर भी घड़ियाल नहीं हैं, जितने अकेले चंबल नदी में पल रहे हैं. यानि की चंबल में एक साल में 317 घड़ियाल बढ़कर 2176 घड़ियाल हो गए.

अच्छी बात ये भी रही कि घट रहे डॉल्फिन कुनबे में भी 14 नए सदस्यों का आगमन हुआ और इस बार इनकी संख्या 82 हो गई है. मगरमच्छों की संख्या भी 710 से बढ़कर 886 हुई. चंबल घड़ियाल अभयारण्य में घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की गणना 1 फरवरी से पखवाड़ा तक हुई.

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बता दें कि नेपाल की राप्ती, नारायणी नदी, बिहार की गंडक नदी, यूपी की गिरवा नदी, उत्तराखंड की रामगंगा सभी को मिलाकर यहां आईयूसीएन के मुताबिक कुल 724 घड़ियाल हैं. अकेले चंबल में 2176 घड़ियाल हैं. एमपी की सोन केन सेंचुरी में भी घड़ियाल मिलते हैं.

जलीय जीवाें के लिए सुनहरा साल-2020

जलीय जीव विशेषज्ञ ज्याेति डंडाेतिया ने बताया कि चंबल में जलीय जीवों की फरवरी में पंद्रह दिन तक गणना हुई जाे कि एमपी, यूपी और राजस्थान सीमा में बहने वाली 435 किमी आल ओवर जहां घडियाल सेंचुरी है शामिल रहा. इसमें साल 2020 जलीय जीवों की संख्या के हिसाब से बेहद सुखद रहा है. कई सालाें से घट रही डॉल्फिन की संख्या बढ़ी. जितनी चंबल नदी में घड़ियाल तेजी से कुनबा में वृद्धि कर रहे हैं, उसका चाैथाई हिस्सा भी देश की सभी नदियाें में नहीं हैं, जहां घड़ियाल पल रहे हैं.

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