ETV Bharat / state

स्पेशल: अंकल, डेडी - प्लीज, आप मान भी जाओ, प्लास्टिक हमें बीमार कर देगा, इससे बचाओ

author img

By

Published : Dec 12, 2019, 10:43 AM IST

Updated : Dec 12, 2019, 5:15 PM IST

सरदारशहर चूरू न्यूज, churu latest news, पर्यावरण बचाने का लिया संकल्प, Resolve to save the environment,  स्पेशल रिपोर्ट, special report,
नन्ही-मुन्नी बच्चियों ने पर्यावरण बचाने का लिया संकल्प

सरदारशहर की छोटी-छोटी बच्चियों ने अपने घर मोहल्ले से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का दृढ़ निश्चय किया है. जिसके चलते इन बच्चियों ने अपने घर मोहल्ले और गलियों में रंगोली बनाकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया है. साथ ही अपने घरों के आगे पोस्टर लगाकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की सलाह दे रही हैं.

सरदारशहर (चूरू). आज पूरे विश्व में सबसे बड़ा खतरा प्लास्टिक है. प्लास्टिक की समस्या से करीब-करीब हर देश जूझ रहा है. जिसे रोकने के लिए हर कोई अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है. ऐसा ही कुछ कर रहीं हैं सरदारशहर के वार्ड 12 और 14 की दो दर्जन से ज्यादा छोटी-छोटी बच्चियां. इन बच्चियां ने घर मोहल्ले और गलियों में रंगोली बनाकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया.

नन्ही-मुन्नी बच्चियों ने पर्यावरण बचाने का लिया संकल्प

बता दें कि बच्चियों ने अपने घरवालों से भी कहा है कि प्लास्टिक का उपयोग ना करें. बच्चों का मानना है कि हमें ना सिर्फ अपने गांव, शहर, देश बल्कि प्लास्टिक से मुक्त होने के लिए हमें अपने घर और मोहल्ले से शुरुआत करनी होगी और इन छोटी-छोटी बच्चियों ने इसकी पहल कर दी है.

प्लास्टिक कितना खतरनाक है...

इन बच्चियों ने लोगों को समझाया कि आज के युग में प्लास्टिक कितना खतरनाक है और आगे आने वाले समय में इसके क्या दुष्परिणाम होने वाले हैं. बच्चों के आग्रह पर इनके परिवार के सदस्यों ने भी अब कपड़े के थैले बना कपड़े बनाना शुरू भी कर दिया है.

दुकानदारों से भी किया आग्रह....

बच्चों ने अपने मोहल्ले की तमाम दुकानों पर जाकर दुकानदारों से भी आग्रह किया कि वे प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग ना करें. बच्चों को इसका सकारात्मक जवाब मिल रहा है दुकानदारों का कहना है कि यदि ग्राहक नहीं चाहेगा लेना तो वे भी खरीददार को थैली नहीं देंगे.

वहीं नन्ही मुन्नी बच्चियों ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि गांव में लाल, पीली, हरी, नीली थैलियां हर जगह दिखाई दे जाएंगी. यह थैलियां जहां हमारे पर्यावरण के लिए घातक हैं, वहीं हमारे स्वास्थ्य पर भी इनका बुरा असर पड़ता है इसलिए हमारा यह छोटा सा कदम भी पर्यावरण रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा.

एसडीएम रीना छिंपा ने कहा कि बच्चियों द्वारा चलाई गई पहल बहुत सराहनीय है. आज के युग में पॉलीथिन पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा रही है. बच्चियों द्वारा की गई ये पहल मील का पत्थर साबित होगी.

भारत सरकार ने भी देशवासियों से सिंगल यूज प्लास्टिक यानी एक बार प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक का उपयोग बन्द करने का आह्वान किया है. सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग पूर्णतः बंद हो जाना तब तक संभव नहीं है जब तक इसमें हम सभी मिलकर पहल नहीं करेंगे.

पढ़ेंः गहलोत सरकार की पहली सालगिरह पर भाजपा जारी करेगी 365 आरोपों की 'चार्जशीट'

गौरतलब है कि सरदारशहर की छोटी-छोटी बच्चियों द्वारा जमीन पर बनाई गई रंगोली सुंदर ना हो लेकिन इन रंगोलियों का संदेश पूरे देश के लिये है. बच्चों द्वारा बनाए गए पोस्टरों पर भले ही उनकी लिखावट लड़खड़ाई हुई होगी लेकिन यह पोस्टर पूरे पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.

Intro:सरदारशहर के वार्ड 12 और 14 की दो दर्जन से ज्यादा छोटी-छोटी बच्चियों ने अपने घर मोहल्ले से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का दृढ़ निश्चय किया है इसी के तहत इन बच्चियों ने अपने घर मोहल्ले और गलियों में रंगोली बनाकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया है साथ ही अपने घरों के आगे पोस्टर लगाकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने की सलाह दे रहे हैं साथ ही अपने घर के सदस्यों को भी कहा है कि आगे से प्लास्टिक हमारे घर में मत लाना, बच्चों की यह पहल सराहनीय है बच्चों का मानना है कि हमें ना सिर्फ अपने गांव, शहर, देश बल्कि प्लास्टिक से मुक्त होने के लिए हमें अपने घर और मोहल्ले से शुरुआत करनी होगी। और इन छोटी-छोटी बच्चियों ने यह शुरुआत कर ही दि है। इन बच्चियों ने अपने माता पिता, दादा दादी, व बड़े भैया बहन को समझाया है कि आज के युग में प्लास्टिक कितना खतरनाक है और आगे आने वाले समय में इसके क्या दुष्परिणाम होने वाले हैं यह बच्चे जानते हैं कि अगर आज इस प्लास्टिक को बंद नहीं किया गया तो उनका आने वाला भविष्य क्या होगा। बच्चों के आग्रह पर इनके परिवार के सदस्यों ने भी अब कपड़े के थैले बना कपड़े बनाना शुरू भी कर दिया है। बच्चों ने अपने मोहल्ले की तमाम दुकानों पर जाकर दुकानदारों से भी आग्रह किया कि आप आगे से प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग ना करें बच्चों को इसका सकारात्मक जवाब मिल रहा है दुकानदारों का कहना है कि यदि ग्राहक नहीं चाहेगा लेना तो हम भी खरीददार को थैली देना बंद कर देंगे।Body:सरदारशहर। आज पूरे विश्व में सबसे बड़ा खतरा प्लास्टिक है प्लास्टिक की समस्या से करीब-करीब हर देश जूझ रहा है।
वैसे तो विज्ञान के सहारे मनुष्य ने पाषाण युग से लेकर आज तक मानव जीवन सरल और सुगम करने के लिए एक बहुत लंबा सफर तय किया है। इस दौरान उसने एक से एक वो उपलब्धियाँ हासिल कीं जो अस्तित्व में आने से पहले केवल कल्पना लगती थीं फिर चाहे वो बिजली से चलने वाला बल्ब हो या टीवी फोन रेल हवाईजहाज कंप्यूटर इंटरनेट कुछ भी हो ये सभी अविष्कार वर्तमान सभ्यता को एक नई ऊंचाई, एक नया आकाश देकर मानव के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव का कारण बने। 1907 में जब पहली बार प्रयोगशाला में कृत्रिम "प्लास्टिक" की खोज हुई तो इसके आविष्कारक बकलैंड ने कहा था, "अगर मैं गलत नहीं हूँ तो मेरा ये अविष्कार एक नए भविष्य की रचना करेगा।" और ऐसा हुआ भी, उस वक्त प्रसिद्ध पत्रिका टाइम ने अपने मुख्य पृष्ठ पर लियो बकलैंड की तसवीर छापी थी और उनकी फोटो के साथ लिखा था, "ये ना जलेगा और ना पिघलेगा।" और जब 80 के दशक में धीरे धीरे पॉलीथिन की थैलियों ने कपड़े के थैलों, जूट के बैग, कागज के लिफाफों की जगह लेनी शुरू की हर आदमी मंत्र मुग्ध था। हर रंग में, हर नाप में, इससे बनी थैलियों में चाहे जितने वजन का सामान डाल लो फटने का टेंशन नहीं इनसे बने कप कटोरियों में जितनी गरम चाय कॉफी या सब्जी डाल लो हाथ जलने या फैलने का डर नहीं। सामान ढोना है, खराब होने या भीगने से से बचाना है, पन्नी है ना! बिजली के तार को छूना है लेकिन बिजली के झटके से बचना है प्लास्टिक की इंसुलेशन है ना! खुद वजन में बेहद हल्की परंतु वजन सहने की बेजोड़ क्षमता वाली एक ऐसी चीज हमारे हाथ लग गई थी जो लागभग हमारी हर मुश्किल का समाधान थी, हमारे हर सवाल का जवाब थी, यही नहीं, वो सस्ती सुंदर और टिकाऊ भी थी,यानी कुल मिलाकर लाजवाब थी। लेकिन किसे पता था कि आधुनिक विज्ञान के एक वरदान के रूप में हमारे जीवन का हिस्सा बन जाने वाला यह प्लास्टिक एक दिन मानव जीवन ही नहीं सम्पूर्ण पर्यावरण के लिए भी बहुत बड़ा अभिशाप बन जाएगा। "यह न जलेगा न पिघलेगा" जो इसका सबसे बड़ा गुण था, वही इसका सबसे बड़ा अवगुण बन जाएगा। जी हाँ आज जिन प्लास्टिक की थैलियों में हम बाजार से सामान लाकर आधे घंटे के इस्तेमाल के बाद ही फेंक देते हैं उन्हें नष्ट होने में हज़ारों साल लग जाते हैं। इतना ही नहीं इस दौरान वो जहाँ भी रहें मिट्टी में या पानी में अपने विषैले तत्व आस पास के वातावरण में छोड़ती रहती हैं। नवीन शोधों में पर्यावरण और मानव जीवन को प्लास्टिक से होने वाले हानिकारक प्रभावों के सामने आने के बाद आज विश्व का लगभग हर देश इसके इस्तेमाल को सीमित करने की दिशा में कदम उठाने लगा है। भारत सरकार ने भी देशवासियों से सिंगल यूज़ प्लास्टिक यानी एक बार प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक का उपयोग बन्द करने का आह्वान किया। इससे पहले 2018 विश्व पर्यावरण दिवस की थीम " बीट प्लास्टिक पॉल्युशन" की मेजबानी करते हुए भी भारत ने विश्व समुदाय से सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त होने की अपील की थी। लेकिन जिस प्रकार से आज प्लास्टिक हमारी दैनिक दिनचर्या का ही हिस्सा बन गया है सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग पूर्णतः बन्द हो जाना तब तक संभव नहीं है जब तक इसमें हम सभी मिलकर पहल नहीं करेंगे।
लेकिन ऐसा नहीं है कि प्लास्टिक पर रोक नहीं लगा सकते यदि हम यह तय कर ले कि हमें प्लास्टिक का पूर्ण रूप से इस्तेमाल बंद करना है और दृढ़ निश्चय के साथ इसकी और इमानदारी से प्रयास करें तो निसंदेह हमें में सफलता मिल सकती है


छोटे-छोटे बच्चियों द्वारा जमीन पर बनाई गई रंगोली सुंदर नहीं होगी लेकिन इन रंगोलियां का संदेश पूरे विश्व भर में जरूर जाएगा, बच्चों द्वारा बनाए गए पोस्टरों पर भले ही उनकी लिखावट लड़खड़ाई हुई होगी लेकिन यह पोस्टर पूरे पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, बच्चों द्वारा गली-गली में जाकर दुकानदारों को पॉलिथीन मुक्ति का संदेश देना यह संदेश इन दुकानों से निकलकर इस शहर से निकलकर पूरे देश भर में जाएगा। बच्चियों की यह पहल सराहनीय है और इस पहल की सर्वत्र चर्चा भी हो रही है अब देखने वाली बात यह होगी कि बच्चों की मेहनत कितना रंग लाती है और बच्चों द्वारा दिया गया पॉलीथिन मुक्ति का संदेश हम हमारे जीवन में कहां तक ला पाते हैं क्योंकि पॉलिथीन के बेजा इस्तेमाल से हमने हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाया है अब ना सिर्फ सरकार की बल्कि हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम हमारे पर्यावरण की रक्षा करें।



जनभागीदारी से मिल सकते कामयाबी

हम जनभागीदारी की बात करते हैं तो जागरूकता एक अहम विषय बन जाता है। कानून द्वारा प्रतिबंधित करना या उपयोग करने पर जुर्माना लगाना इसका हल ना होकर लोगों का स्वेच्छा से इसका उपयोग नहीं करना होता है और यह तभी सम्भव होगा जब वो इसके प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों को समझेंगे और जानेंगे। ऐसा नहीं है कि यह असंभव लक्ष्य है । यह लक्ष्य मुश्किल हो सकता है लेकिन असम्भव नहीं इसे साबित किया है हमारे ही देश के एक राज्य ने। जी हां सिक्किम में लोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर जुर्माना ना लगाकर बल्कि उससे होने वाली बीमारियों के बारे में अवगत कराया गया और धीरे धीरे जब लोगों ने स्वेच्छा से इसका प्रयोग कम कर लिया तो राज्य में कानून बनाकर इसे प्रतिबंधित किया गया। और सिक्किम भारत का पहला राज्य बना जिसने प्लास्टिक से बनी डिस्पोजल बैग और सिंगल यूज़ प्लास्टिक की बोतलों पर बैन लगया।




क्या है पॉलिथीन और इसके नुकसान

- पॉलिथीन पेट्रो-केमिकल से बना होता है, जो पर्यावरण से लेकर इनसान और मवेशियों सभी के लिए बहुत नुकसानदायक है. पॉलिथीन हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत खतरनाक है. पॉलिथीन का प्रयोग सांस और स्किन संबंधी रोगों तथा कैंसर का खतरा बढ़ाता है.

- पॉलिथीन की थैलियां जहां हमारी मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को नष्ट कर इसे जहरीला बना रही हैं, वहीं मिट्टी में इनके दबे रहने के कारण मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी कम होती जा रही है, जिससे भूजल के स्तर पर असर पड़ा है.

- सफाई व्यवस्था और सीवरेज व्यवस्था के बिगड़ने का एक कारण ये पॉलिथीन की थैलियां हैं, जो उड़ कर नालियों और सीवरों को जाम कर रही हैं.

- ये थैलियां जमीन और जल में रहने वाले जीव-जंतुओं के जीवन को भी खतरे में डाल रहीं है. पशु बेचारे जानते नहीं कि वे क्या खा रहे हैं, पर उनके द्वारा इन्हें खा लेने पर यह उनके पेट में जमा हो रही हैं और उनकी जान के लिए खतरा बन रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हर हफ्ते दर्जनों गाय पॉलिथीन की थैलियों को खा कर बीमारी का शिकार हो रही हैं.

कैसे रोकें यह खतरा

पॉलिथीन की थैलियों की जगह कपड़े या जूट की थैलियां इस्तेमाल में लाएं. स्थानीय प्रशासन भी पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगाएं और इसका कड़ाई से पालन करें. पॉलिथीन देने वालों और लेने वालों दोनों पर जुर्माना किया जाए, जैसा कि कुछ राज्यों में किया भी जा रहा है. हम आप सभी से अनुरोध करना चाहते हैं कि अपने शहर में लोगों को पोलिथिन के इस्तेमाल के नुकसान के बारे में बताएं और उन्हें जूट के बैग इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करें. हम स्वस्थ्य होंगे, तभी हम अपने पर्यावरण को भी स्वस्थ्य रख पायेंगे

प्लास्टिक वर्तमान में प्रकृति का सबसे बड़ा शत्रु बनकर उसे प्रदूषित कर रहा है जिस प्रकृति ने हमारे पूर्वजों को एक अच्छा वातावरण दिया और आगे भी यह प्रकृति हमें तथा हमारी भावी पीढ़ियों को अच्छा वातावरण देने में तत्पर है मगर ना जाने प्लास्टिक प्रदूषण से हम प्रकृति का गला घोटने को उतारू क्यों है। आज आवश्यकता है कि हम सभी मिलकर प्लास्टिक का उपयोग ना करें अपने पर्यावरण की रक्षा करें तभी हमारे पर्यावरण को हम बचा पाएंगे । इस कड़ी में सरदारशहर की बच्चियों की पहल अनूठा योगदान दे सकती है यदि इन बच्चियों की तरह हम सभी सोचने लग जाए तो निसंदेह हैं हमें प्लास्टिक से मुक्ति मिल सकती है और हम अपनी आने वाली भावी पीढ़ी को बेहतर भविष्य दे सकते हैंConclusion:बाइट- 1 से 6 जागरूकता फैलाने वाली बच्चियां

नन्ही मुन्नी बच्चियों ने ईटीवी भारत संवाददाता मनोज प्रजापत को बताया की गांवों में लाल, पीली, हरी, नीली थैलियां हर जगह दिखाई दे जाएंगी, चाहे वह किराने की दुकान हो या बड़े सुपरबाजार हों, या सब्जी मंडी हो। यह थैलियां जहां हमारे पर्यावरण के लिए घातक हैं, वहीं हमारे स्वास्थ्य पर भी इनका बुरा असर पड़ता है. हम सब कुछ जानते हुए भी पॉलिथीन की थैलियों के प्रयोग से परेज नहीं करते है। लेकिन अब हम पॉलिथीन के खतरे को जान गए हैं हमें कहीं से तो शुरुआत करनी होगी इसलिए हमने अपने घर मोहल्ले और परिवार से शुरुआत की है। हम जानते हैं हमारा छोटा सा एक कदम भी पर्यावरण रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा।
बाइट- 7 रीना छिंपा, एसडीएम, सरदारशहर

एसडीएम रीना छिंपा ने कहा कि बच्चियों द्वारा चलाई गई पहल बहुत सराहनीय है। आज के युग में पॉलीथिन पर्यावरण को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा रही है बच्चियों द्वारा की गई ये पहल मील का पत्थर साबित होगी।
Last Updated :Dec 12, 2019, 5:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.