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Political Special : सुजानगढ़ सीट पर वंशवाद से किसे मिलेगा लाभ ? जानें उपचुनाव का पूरा गणित

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Published : Mar 21, 2021, 8:02 AM IST

राजस्थान में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां परवान पर हैं. सहाड़ा, राजसमंद, वल्लभनगर और सुजानगढ़ सीट पर उपचुनाव होने हैं. इसमें राजसमंद, सहाड़ा और सुजानगढ़ सीटों पर 17 अप्रैल को मतदान होगा, जिसके नतीजे दो मई को आएंगे. चौथी विधानसभा सीट वल्लभनगर पर चुनाव कब होगा, इसका जिक्र चुनाव आयोग की प्रेस रिलीज में नहीं किया गया है. बात चूरू जिले की सुजानगढ़ विधानसभा सीट की करें तो यहां दोनों प्रमुख दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. जानिये क्या है सियासी समीकरण और कौन-कौन हैं टिकट के दावेदार, इस खास रिपोर्ट में...

sujangarh seat of churu
सुजानगढ़ उपचुनाव

चूरू. प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही अब सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रदेश की तीन सीटों पर होने वाले उपचुनावों के नतीजे सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दल दोनों के लिए ही प्रदेश की आगामी दिनों की राजनीतिक दशा और दिशा तय करने वाले हैं. इतना ही नहीं, उपचुनाव के नतीजे दोनों ही मुख्य दलों के प्रदेशाध्यक्ष की साख बढ़ाने और घटाने वाले भी होंगे. वहीं, इन चुनावों में वंशवाद की राजनीति भी देखने को मिल रही है. जहां पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद खाली हुई सुजानगढ़ विधानसभा की सीट पर कांग्रेस उनके पुत्र मनोज मेघवाल पर ही दाव खेल सकती है तो भाजपा ने अभी यहां प्रत्याशी को लेकर मत्थापच्ची कर रही है.

उपचुनावों की घोषणा के साथ ही बिछी चुनावी बिसात....

भाजपा में कई दावेदार...

भाजपा आलाकमान को यहां प्रत्याशी चयन में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी. सुजानगढ़ विधानसभा में होने वाले उपचुनावों में भाजपा से यहां पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल और प्रथम जिला प्रमुख और पांच बार के विधायक विधायक स्वर्गीय रावताराम आर्य के पुत्र मोहनलाल आर्य, पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष वासुदेव चावला, बीदासर प्रधान संतोष मेघवाल, पूर्व मंत्री यूनुस खान के ओएसडी बीएल भाटी सहित कई नेता हैं जो उपचुनावों में यहां दावेदारी जता रहे हैं और टिकट की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें : Political Special : सहाड़ा सीट पर जाट और ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दाव खेलती आई हैं दोनों पार्टियां, जानें उपचुनाव का पूरा गणित

किस दावेदार का पलड़ा भारी...

उपचुनावों में टिकट की दावेदारी कर रहे उन तमाम नामों में अगर किसी का नाम सबसे ज्यादा आगे चल रहा है तो वह है बीदासर प्रधान संतोष मेघवाल और पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल. यहां संतोष मेघवाल की दावेदारी इसलिए प्रबल बताई जा रही है कि गत विधानसभा चुनावों में यहां संतोष मेघवाल ने कांग्रेस से बगावत कर मास्टर भंवरलाल मेघवाल के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 38 हजार वोट उन्हें यहां मिले. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर संतोष मेघवाल को भाजपा यहां से अपना दावेदार बनाती है तो वह कांग्रेस के प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे सकती हैं. पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल की दावेदारी भी अहम इसलिए बताई जा रही है कि पंचायतीराज चुनावों में उन्होंने सुजानगढ़ में आजादी के बाद पहला भाजपा का प्रधान बनाने में कामयाबी हासिल की और पूर्व मंत्री खेमाराम की पत्नी मनभरी देवी यहां प्रधान के पद पर काबिज हुईंं

bjp leaders for sujangarh seat
सुजानगढ़ सीट पर भाजपा के दावेदार...

प्रदेश की राजनीति में अलग पहचान रखते थे मेघवाल...

पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल राजस्थान की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान रखते थे. मेघवाल पांच बार विधायक रहे और तीन बार मंत्री. मेघवाल को जीवन के पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था और अंतिम चुनाव में जिले में सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाने वाले भी मास्टर भंवरलाल मेघवाल ही थे. 19 नवंबर 1947 को जन्मे मास्टर भंवरलाल मेघवाल को ब्रेन हेमरेज व लकवा होने के बाद 15 मई को मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और 16 नवंबर 2020 को उनका निधन हो गया.

son of master Bhanwarlal Meghwal
मनोज मेघवाल कांग्रेस के प्रबल दावेदार....

विरासत में मिली मनोज मेघवाल को राजनीति...

मास्टर भंवरलाल मेघवाल के पुत्र एडवोकेट मनोज मेघवाल को राजनीति विरासत में मिली है. मेघवाल को अपने पिता के राजनीतिक कद का लाभ मिला और पिता के निधन के बाद उन्हें सुजानगढ़ विधानसभा में उपचुनावों में प्रत्याशी बनाए जाने की प्रबल संभावना है. इससे पहले मनोज मेघवाल राजनीति में सक्रिय नहीं थे. पूर्व मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के राजनीतिक वारिस के तौर पर उनकी पुत्री बनारसी मेघवाल को माना जाता था और बनारसी मेघवाल राजनीति में सक्रिय भी थीं. 1995 में वह चूरू की सबसे युवा जिला प्रमुख बनी थीं. अक्सर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठकें वह लेती थीं और चुनावी रणनीति भी पिता के साथ वही बनाती थीं. 51 साल की उम्र में उनका आकस्मिक निधन हो गया और उनके निधन के कुछ दिनों बाद ही पिता मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हो गया.

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