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बीएसएफ ने सरहद पर बनाया कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर

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Published : May 27, 2019, 12:07 PM IST

सरहदी इलाके जैसलमेर में सीमा सुरक्षा बल की 56वीं बटालियन ने सरहदी पोछिना गांव के ग्रामीणों को तोहफा दिया है. सुरक्षा बल ने यहां के बच्चों के लिए एक कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर स्थापित किया है. जिससे सरहदी छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा उनके गांव में ही मिलेगी.

बीएसएफ ने सरहद पर बनाया कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर

जैसलमेर .सीमा सुरक्षा बल के 56वीं बटालियन के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने इस लैब का उद्घाटन सैकड़ों ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया. सीमा सुरक्षा बल का सरहदी क्षेत्र में छात्रों के लिए पहला कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर है. सीमा सुरक्षा बल के सामाजिक सरोकार को ग्रामीणों ने जमकर सराहा है.

आपको बता दें कि सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट एस एस माड स्टेट ऑफ आर्ट के तहत ग्रामीणों की मांग पर गांव में कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर स्थापित करने की योजना पर विचार कर रहे थे. इसी कड़ी में उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की गवाह बनी पुरानी पोस्ट जो रेगिस्तानी धोरों में दब चुकी थी. उस पर से रेगिस्तानी टीलों को हटाने का कार्य शुरू कराया था. जिसमें करीब 10 महीने का समय लग गया. जिसके बाद इस सेंटर का पुनर्निर्माण करवाया गया है. पोस्ट के आसपास रेत के टीलों को हटाकर इसे खेल मैदान के रूप में तब्दील किया गया है.

बीएसएफ ने सरहद पर बनाया कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर

56 वीं बटालियन के बहादुर जवानों ने सीमा पर बसे इस गांव के बच्चों को आधुनिक युग से जोड़ने की ठानी है. वहीं वर्षों से रेत में दफन बीओपी का नजारा ही बदल दिया. करीब 10 फीट तक रेत में दफन हो चुकी बीओपी को रेत से बाहर निकाला. आज इस पुरानी सीमा चौकी में सीमावर्ती गांव के बच्चे कंप्यूटर सीख रहे हैं. कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ भर्ती सहायता केंद्र भी खोला है. जिसमें युवाओं को बीएसएफ में भर्ती के लिए प्रेरित किया जाता है. कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र में सीमावर्ती गांव के 61 बच्चों का पंजीयन किया गया है. जिन्हें बीएसएफ के जवानों की ओर से कंप्यूटर सिखाया जा रहा है. इन बच्चों के साथ साथ गांव के सीनियर सिटीजन भी कंप्यूटर सीखने आ रहे हैं.

इस नवाचार से करीब 15 सौ की आबादी वाले इस गांव के छात्र-छात्राएं लाभान्वित होंगे अब उन्हें कंप्यूटर शिक्षा के लिए शहर तक का सफर नहीं करना पड़ेगा. भव्य शुभारंभ समारोह में सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने जयपुर ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों की उपस्थिति में इस सेंटर को आमजन को समर्पित किया. इस सेंटर की खूबसूरती में दो साइड आए रेगिस्तानी टीले चार चांद लगा रहे हैं.

Intro:मनीष व्यास जैसलमेर

अगर हो हौसला बुलंद तो पहाड़ों से भी रास्ते निकल जा सकते हैं। मगर रेगिस्तान धोरों में कभी भारत पाक युद्ध की साक्षी बनी सीमा सुरक्षा बल के रेगिस्तान में दबी पुरानी पोस्ट आधुनिक कंप्यूटर लैब में तब्दील हो जाए तो यह दुनिया का 9वां आश्चर्य है। इस आश्चर्य को स्थापित करने में सीमा सुरक्षा बल की 56 वीं बटालियन ने कड़ी मशक्कत के बाद मृत रूप देकर सरहदी पोछिना गांव के ग्रामीणों को सपुर्द कर दी ताकि गांव के बच्चे को कंप्यूटर सीखने शहर ना जाना पड़े , अब सरहदी छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा उनके अपने गांव में मिलेगी।

इस ख्वाब को हकीकत में बदला बटालियन के कमांडेंट एसएस मांड ने ।इस लैब का उद्घाटन सैकड़ों ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने किया। आपको बता दें कि जिस स्थान पर सुनील दत्त की क्लासिक फिल्म रेशमा और शेरा फिल्म की गई थी यह वही स्थान है। जैसलमेर जिले का रेगिस्तान गांव पोछिना लंबे समय से सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट एस एस माड स्टेट ऑफ आर्ट के तहत ग्रामीणों की मांग पर गांव में कंप्यूटर ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट सेंटर स्थापित करने की योजना पर विचार कर रहे थे इसी कड़ी में उन्होंने भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध की गवाह बनी पुरानी पोस्ट जो रेगिस्तानी धोरों में दब चुकी थी। इस ऐतिहासिक रूप देने के लिए पोस्ट के ऊपर आई रेगिस्तानी टीलो को हटाने का कार्य शुरू कराया था ।जिसमें करीब 10 माह का समय लग गया वहीं आसपास की टीमों को भी हटा कर इस सेंटर का पुनर्निर्माण करवाया गया है। पोस्ट के आसपास रेत के टीलों को हटाकर इसे खेल मैदान के रूप में तब्दील किया गया है। भारतवर्ष में सीमा सुरक्षा बल का सरहदी क्षेत्र में छात्रों के लिए पहला कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर है सीमा सुरक्षा बल के सामाजिक सरोकार को ग्रामीणों ने जमकर सराह है।


Body:भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर देश की सीमाओं की रक्षा में जुटे जवान सर्दी गर्मी का डटकर सामना करने वाले अपने देश रक्षा के कर्तव्य के साथ-साथ बॉर्डर पर रहने वाले लोगों को आगे बढ़ाने में भी जुटे हैं। समय समय सामाजिक सरोकार के कार्य में अग्रणी रहकर सीमा के बाशिंदों को हर संभव मदद को तैयार रहते हैं 56 वीं बटालियन के बहादुर जवानों ने सीमा पर बसे एक गांव में रहने वाले बच्चों को आधुनिक युग में जोड़ने के लिए ठानी और वर्षों से रेत में दफन पीओपी का नजारा ही बदल दिया करीब 10 फीट तक रेत में दफन हो चुकी बीओपी को रेत से बाहर निकाला ।कड़ी मेहनत के चलते कई टन रेत हटाने के बाद बीओपी नजर आने लगी बाद में बीओपी के सफाई और मरम्मत के बाद रंग रोगन करवाया ।आज इस पुरानी सीमा चौकी में सीमावर्ती गांव के बच्चे कंप्यूटर सीख रहे हैं 56 वेबबटालियन ने यहां बच्चों के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र के साथ-साथ भर्ती सहायता केंद्र भी खोला है ।इसमें युवाओं को बीएसएफ में भर्ती के लिए प्रेरित किया जाता है कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र में सीमावर्ती गांव के 61 बच्चों का पंजीयन किया गया है इन बच्चों को बीएसएफ के जवानों की ओर से कंप्यूटर सिखाया जा रहा है इन बच्चों के साथ साथ गांव के सीनियर सिटीजन भी कंप्यूटर सीखने आ रहे हैं।


Conclusion:इस नवाचार से करीब 15 सौ की आबादी वाले इस गांव के छात्र-छात्राएं लाभान्वित होंगे अब उन्हें कंप्यूटर शिक्षा के लिए शहर तक का सफर नहीं करना पड़ेगा। भव्य शुभारंभ समारोह में सीमा सुरक्षा बल के उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार ने जयपुर ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों की उपस्थिति में इस सेंटर को आमजन को समर्पित किया इस सेंटर की खूबसूरती में दो साइड आए रेगिस्तानी टीले चार चांद लगा रहे हैं। पोछिना गांव के लोगों के लिए 56 वीं बटालियन ने 20 सालों से रेत में दरी पुरानी सीमा चौकी को पिछले 1 साल में आधुनिक कंप्यूटर प्रशिक्षण एवं भर्ती सहायता केंद्र के रूप में विकसित कर दिया।

बाइट :1: नरपत सिंह ग्रामीण
बाइट -2-देरावर सिंह ग्रामीण
बाइट- 3 -स्वरूप कवर ग्रामीण
बाइट- 4 -राजेश कुमार उपमहानिरीक्षक सीमा सुरक्षा बल

नोट : इस खबर के विजुअल और बाइट एफटीपी किए गए हैं जो निम्न नाम से प्रेषित है

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