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बुधवार के दिन विघ्न हर्ता की पूजा का है विधान, जानें कथा जिसमें है कष्ट निवारण का सार

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Published : Dec 28, 2022, 6:59 AM IST

प्रथम पूज्य भगवान गणेश दुखहर्ता और सुखकर्ता माने जाते हैं. कहा जाता है कि इनकी आराधना से साधक के जीवन में सुख का संचार होता है और दुखों से मुक्ति मिलती है (Wednesday tips). बुधवार के दिन इनकी आराधना का विशेष महत्व है. बुध ग्रह से जु़ड़ी एक ऐसी कथा भी है जिसके सुनने मात्र से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

Wednesday tips
बुधवार के दिन विघ्न हर्ता की पूजा का है विधान

बीकानेर. किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए बुधवार के दिन को महत्व दिया जाता है (Wednesday tips). प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को विघ्न हरने वाला देवता माना गया है. कहा जाता है कि भगवान गणेश का आशीर्वाद अत्यंत लाभदायक होता है (Bhagwan Ganesh worship). भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं. भगवान गणेश की पूजा करने से न सिर्फ बुद्धिमत्ता और ज्ञान में वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में आ रहे कष्ट भी दूर हो जाती है. शास्त्रों में ऐसे उपाय, मंत्र और कथा विद्यमान है जो दुख सागर से मुक्ति का सार हैं.

ये करें उपाय- कुंडली में बुध कमजोर है तो बुधवार के दिन आपको हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इस दिन किसी जरुरतमंद को हरी मूंग की दाल और हरे रंग का कपड़ा दान करना काफी शुभ माना जाता है. भगवान गणेश को दूर्वा काफी प्रिय है. ऐसे में बुधवार के दिन भगवान गणेश को 21 दूर्वा अर्पित करें. इससे आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. बुधवार के दिन गाय को हरी घास खिलाना काफी शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन भगवान गणेश के माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं. इससे आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है.बुधवार के दिन भगवान गणेश को शमी के पत्ते अर्पित करना भी काफी शुभ माना जाता है. ऐसा करने से तनाव और मानसिक संकट दूर होते हैं.

ज्ञान प्राप्ति के लिए मंत्र- बुधवार के दिन भगवान गणेश के बीज मंत्र का जाप करें. जो है ॐ गं गणपतये नमः. कहा जाता है कि इसका जाप करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है.

ये मंत्र भी कारगर-
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

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कथा जो करती है कष्ट दूर- बुध दोष को दूर करने के लिए बुधवार का व्रत रखा जाता है (Budhwar Katha and significance). बुधवार की कथा सभी क्लेशों को समाप्त करने वाली है. कथा कुछ यूं है- एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने के लिए अपनी ससुराल गया. वहां पर कुछ दिन रहने के पश्चात् सास-ससुर से विदा करने के लिये कहा. किन्तु सबने कहा कि आज बुधवार का दिन है, आज के दिन गमन नहीं करते हैं. वह व्यक्ति किसी प्रकार न माना और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा. राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है. तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया. जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में वह व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा हुआ है.

उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है. दूसरा व्यक्ति बोला यह मेरी पत्नी है. मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूँ. वे दोनों व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे. तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन-सा है? तब पत्नी शांत ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे. वह किसे अपना असली पति कहे. वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला, “हे परमेश्वर, यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है.” तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख, आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था. तूने किसी की बात नहीं मानी. यह सब लीला बुध भगवान की है. उस व्यक्ति ने बुध देव से प्रार्थना की और अपनी ग़लती के लिये क्षमा मांगी. तब बुधदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए. वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनों पति पत्नी नियमपूर्वक करने लगे.

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