74th Republic Day: संविधान निर्मात्री सभा में भी बीकानेर की उपस्थिति, जसवंत सिंह रहे सदस्य

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Published : Jan 25, 2023, 7:22 PM IST

Contribution of Jaswant Singh in constitution of India

देश के संविधान को बनाने में बीकानेर की भी प्रत्यक्ष भूमिका (Contribution of Jaswant Singh in constitution) रही. यहां के रियासतकाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे जसवंत सिंह तंवर संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे.

बीकानेर. 1950 में जब भारत का संविधान लागू किया गया था, उसी दिन से हर साल 26 जनवरी को इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई. संविधान सभा को भारत के संविधान को तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था. गणतंत्र बीकानेर के लोगों के लिए दोहरी खुशी लेकर आता है. आइए जानते हैं इसकी वजह...

जिस संविधान को अंगीकृत करने के उपलक्ष में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, उसके निर्माण में बीकानेर की भी प्रत्यक्ष भूमिका है. संविधान निर्माण को अंतिम रूप देने के लिए 24 नवंब, 1949 में संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई. संविधान निर्मात्री समिति में राजस्थान के 12 लोग शामिल थे. इनमें बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर का नाम भी है. संविधान निर्मात्री सभा में 284 सदस्य थे, जिन्होंने इसे बनाने में अपना योगदान दिया. संविधान निर्मात्री सभा में जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं, उनमें एक हस्ताक्षर बीकानेर के जसवंत सिंह तंवर के भी हैं.

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बीकानेर रियासत से जुड़ाव: बीकानेर रियासत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जसवंत सिंह संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे. राजस्थान के कुल 12 लोग इस समिति के सदस्य थे. राजतंत्र के समय बीकानेर के प्रधानमंत्री तत्कालीन महाराजा गंगा सिंह के निजी सचिव जसवंत सिंह तंवर रियासत काल में भी कई प्रमुख पदों पर रहे. उन्होंने सार्वजनिक कार्य, शिक्षा, खाद्य और राजकीय गृह विभाग के प्रधान के रूप में कार्य किया. बीकानेर के तत्कालीन राजा सार्दुल सिंह के समय जसवंत सिंह तंवर बीकानेर रियासत के प्रधानमंत्री रहे.

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राजनीतिक रूप से रहे सक्रिय: बीकानेर रियासत में प्रमुख पदों पर रहे जसवंत सिंह आजादी के बाद भी सक्रिय रहे और बीकानेर का दबदबा कायम रखा. संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य बनने के साथ-साथ ही देश की पहली अस्थाई संसद में भी वे सदस्य बने. इसके अलावा साल 1951 में राजस्थान के प्रथम मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री और साल 1952 से 1956 तक तंवर राजस्थान के पहले नेता प्रतिपक्ष भी रहे. साल 1956 से 1962 तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी जसवंत सिंह का कार्यकाल रहा.

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पढ़ाई में भी अव्वल: अंग्रेजी हुकूमत और रियासतों के समय शिक्षा के प्रति जसवंत सिंह तवर हमेशा गंभीर रहे. उच्च शिक्षा के लिए वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय गए. जहां छात्र जीवन में उन्होंने पंडित मदन मोहन मालवीय को प्रभावित किया.

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