भीलवाड़ा. जिले में पिछले साल की तुलना में इस बार रबी की फसल की बुवाई कम हुई है. वहीं खेतों में लगी फसले लहलहाने लगी है. वहीं खाद को लेकर कृषि विभाग के उपनिदेशक ने कहा कि जिले में रबी की फसल के लिए कोई खाद की कमी नहीं हुई है. इस बार चने की फसल का रकबा बढ़ा है.
भीलवाड़ा इस बार मानसून में बरसात कम होने के कारण जिले में रबी की फसल के रूप में गेहूं, जो ,चना, सरसों, तारामीरा और जीरा की फसल की कम मात्रा में बुवाई हुई है. भीलवाड़ा कृषि विभाग के उपनिदेशक रामपाल खटीक ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में पिछले साल की तुलना में इस बार मानसून की कम मात्रा में बरसात हुई है. जिसके कारण ना तो तालाब में पानी आया और भूमिगत जलस्तर भी नीचे चला गया. जिसको देखते हुए किसानों ने जिले में कम मात्रा में रबी की फसल की बुवाई हुई है.
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रामपाल खटीक ने जानकारी दी कि सरकार ने बुवाई का जो लक्ष्य दे रखा था, उस लक्ष्य को हमने लगभग पूरा कर लिया है. भीलवाड़ा जिले में पिछले साल की तुलना में पानी की कमी के कारण चने की फसल की बुवाई सबसे ज्यादा हुई है. जिले में किसानों ने 55 हजार हेक्टेयर भूमि में चने की फसल की बुवाई की है. वहीं जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, उसी प्रकार फसल की स्थिति भी अच्छी दिखाई दे रही है. फसल बुवाई के दौरान किसानों को डीएपी खाद की दिक्कत नहीं आई.
भीलवाड़ा कृषि विभाग के उपनिदेशक खटीक आगे बताते हैं कि जिले में गेहूं, जो, चना ,सरसों, तारामीरा और मेथी की फसल में यूरिया खाद छिड़काव के लिए किसी प्रकार की किसानों को समस्या नहीं हो. इसलिए जिले की तमाम सहकारी समितियों में पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद उपलब्ध है. अब हमें उम्मीद है कि अगर प्रकृति साथ दिया तो जिले में बोई गई रबी की फसल का उत्पादन और अच्छी हो सकती है.