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Special : महाराजा सूरजमल ने आगरा को 681 साल की गुलामी से कराया था मुक्त, किले पर 13 साल तक लहराया था जाट साम्राज्य का परचम

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Published : Jun 12, 2023, 12:55 PM IST

Updated : Jun 12, 2023, 2:16 PM IST

आज 12 जून है और आज के दिन को भरतपुरवासी शौर्य दिवस के रूप में याद करते हैं, क्योंकि आज ही के दिन महाराजा सूरजमल ने मुगल सल्तनत के शक्ति केंद्र आगरा पर (Jat flag hoisted at Agra Fort) फतह हासिल की थी.

Jat flag hoisted at Agra Fort
Jat flag hoisted at Agra Fort

...तब मुगलों से मिली आगरा को मुक्ति

भरतपुर. महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद आगरा लगातार 681 साल तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा. दिल्ली और आगरा मुगलों की शक्ति का केंद्र बन गए थे. मुगल बादशाह हिंदू राजाओं का दमन कर रहे थे. इसी दौरान भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल ने मुगल सल्तनत के शक्ति केंद्र आगरा को जीतने का निश्चय किया. महाराजा सूरजमल की अगुवाई में भरतपुर की सेना ने आगरा के किले पर चढ़ाई की. 20 दिन की घेराबंदी के बाद दोनों सेनाओं में युद्ध हुआ और महाराजा सूरजमल की सेना ने अदम्य शौर्य व साहस दिखाते हुए आगरा के किले को जीत लिया.

आगरा 681 साल बाद मुगल साम्राज्य की जंजीरों से मुक्त हुआ था. वहीं, 12 जून को शौर्य दिवस के रूप में याद किया जाता है. प्रोफेसर सतीश त्रिगुणायत बताते हैं कि सन 1080 ईस्वी में महमूद गजनवी के आक्रमण के बाद से ही आगरा पर मुगल आक्रांताओं का कब्जा रहा. दिल्ली और आगरा मुगलों की शक्ति का केंद्र बन चुके थे. वीर गोकुला की हत्या के बाद से ही आगरा महाराजा सूरजमल की नजरों में खटका हुआ था.

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पहले मांगी नाव और फिर कर दिया हमला - प्रो. त्रिगुणायत ने बताया कि महाराजा सूरजमल ने 4 मई, 1761 को पांच हजार सैनिकों के साथ वीर बलराम सिंह और अपने भतीजे वैर के राजा बहादुर सिंह को आगरा पर चढ़ाई करने के लिए भेजा. वीर बलराम ने योजना के तहत यमुना पार करने के लिए मुगलों से नाव मांगी, लेकिन नाव नहीं दी गई. इसी को आधार बनाकर भरतपुर की सेना ने आगरा पर आक्रमण कर दिया. दोनों सेनाओं में कई दिनों तक युद्ध चला. युद्ध के दौरान महाराजा सूरजमल ने खुद मोर्चा संभाला और आगरा पर जबरदस्त हमला किया.

शत्रु पर चली उसी की चाल - उस समय आगरा का किलेदार फाजिल खां था. महाराजा सूरजमल के वीर योद्धाओं ने मुगलों की चाल उन्हीं पर चल दी. मुगल विरोधी खेमे में सेंध लगाने के लिए प्रलोभन का इस्तेमाल करते थे. महाराजा सूरजमल के वीर योद्धाओं ने भी प्रलोभन का इस्तेमाल कर आगरा किले के दरवाजे खुलवा लिए. महाराजा सूरजमल की सेना आगरा के लाल किले में घुस गई और मुगल सैनिकों ने भरतपुर के सेना के सामने घुटने टेक दिए.

वीर गोकुला की हत्या का लिया बदला - प्रो. त्रिगुणायत ने बताया कि 1 जनवरी, 1670 को औरंगजेब ने भरतपुर के वीर योद्धा गोकुला की आगरा की कोतवाली पर बेरहमी से हत्या करवा दी थी. महाराजा सूरजमल ने आगरा को जीतकर वीर गोकुला की हत्या का बदला ले लिया था. वहीं, आगरा को 681 साल बाद मुगल जंजीरों से मुक्ति मिल गई थी. वर्ष 1774 तक आगरा के लाल किले पर भरतपुर साम्राज्य का परचम फहराता रहा था.

किले को पवित्र किया - कई इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में महाराजा सूरजमल की आगरा विजय का विस्तार से वर्णन किया है. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने अपनी पुस्तक 'भरतपुर का इतिहास' में लिखा है कि महाराजा सूरजमल ने जीत के बाद आगरा के किले को गंगाजल और हवन से पवित्र कराया. किले के अंदर से सभी मुगल चिह्न हटवा दिए थे. आज भी आगरा विजय के इस दिन को शौर्य दिवस के रूप में याद किया जाता है.

Last Updated :Jun 12, 2023, 2:16 PM IST
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