दूल्हा-दुल्हनों को दिलाई ब्रह्मा, विष्णु, महेश को ईश्वर नहीं मानने की शपथ

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Published : Nov 22, 2022, 11:14 AM IST

Updated : Nov 22, 2022, 7:30 PM IST

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भरतपुर में सोमवार को एक सामूहिक विवाह सम्मेलन में धर्म परिवर्तन का मामला (Conversion of religion in Bharatpur) सामने आया है. विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों को हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई गई. जानिए पूरा मामला...

भरतपुर. जिले के कुम्हेर कस्बे में सोमवार को संत रविदास सेवा समिति की ओर से आयोजित आदर्श सामूहिक विवाह सम्मेलन (Samuhik Vivah Sammelan in Bharatpur) में धर्म परिवर्तन करने का मामला (Conversion of religion in Bharatpur) सामने आया है. सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ. इस दौरान समिति की ओर से सभी नवविवाहिता को हिंदू देवी देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई. सभी हिंदू जोड़ों को बौद्ध धर्म ग्रहण कराया गया. धर्म परिवर्तन के शपथ ग्रहण का वीडियो भी सामने आया है.

अधिकारी और नेता भी हुए थे शामिल- बताया जा रहा है कि सामूहिक विवाह सम्मेलन में डीग के अधिकारी मौजूद रहे थे. साथ ही एक जनप्रतिनिधि के भी विवाह सम्मेलन में शामिल होने की जानकारी सामने आ रही है. जब ये अधिकारी और जनप्रतिनिधि वहां से चले गए, उसके बाद विवाह सम्मेलन में आयोजकों ने 11 जोड़ों को 22 शपथ दिलाई.

सामूहिक विवाह सम्मेलन में धर्म परिवर्तन

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ये शपथ दिलाई- विवाह सम्मेलन में नवविवाहितों को शपथ दिलाई कि 'मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा, और न ही इनकी पूजा करूंगा. मैं राम को ईश्वर नहीं मानूंगा और उनकी पूजा नहीं करूंगा. मैं गौरी गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी देवता को ईश्वर नहीं मानूंगा और मैं बुद्ध की पूजा करूंगा. ईश्वर ने अवतार लिया है, जिस पर मेरा विश्वास नहीं है. मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं. मैं ऐसी प्रथा को पागलपन और झूठा समझता हूं. मैं कभी पिंड दान नहीं करूंगा. मैं बुद्ध धर्म के विरोध में कभी कोई बात नहीं करूंगा.'

आयोजक लालचंद तैनगुरिया ने बताया कि, सामूहिक विवाह सम्मेलन में वर-वधू को 11 हजार रुपए का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. बाकी का सभी खर्चा संत रविदास सेवा समिति की ओर से किया जाता है. जिसमें फ्रिज, बर्तन, कपड़े, कुर्सी, डबल बेड आदि सामान कन्यादान स्वरूप दिया जाता है.

समाज के प्रतिनिधि शंकर लाल बौद्ध ने बताया कि बाबा भीमराव अंबेडकर की ओर से दोहराई गई 22 प्रतिज्ञा को वर-वधू दिलाकर विवाह संपन्न कराया. ये प्रतिज्ञा बौद्ध धर्म के कवच हैं. ये प्रतिज्ञा इसलिए दिलाई जाती हैं ताकि लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए बौद्ध धर्म में मिलावट न कर सकें. इस पूरे मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष लाखन सिंह ने कहा है कि यह बहुत ही गंभीर मामला है. सार्वजनिक मंच पर विवादित शपथ दिलाई गई है. यह देश की अखंडता के लिए खतरा है.

Last Updated :Nov 22, 2022, 7:30 PM IST
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