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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 1 जुलाई से दौड़ेंगे ई-रिक्शा, नेचर गाइड लेना भी अनिवार्य

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Published : Jun 6, 2023, 3:33 PM IST

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 1 जुलाई से ई-रिक्शा का संचालन शुरू किया जाएगा. इसके अलावा प्रति ई-रिक्शा के साथ एक नेचर गाइड की अनिवार्यता लागू की गई है.

E Rickshaw in Keoladev
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में नए पर्यटन सीजन में पर्यटकों को ई-रिक्शा की सुविधा मिल सकेगी. उद्यान प्रशासन ने उद्यान परिसर के लिए 82 ई-रिक्शा को स्वीकृति प्रदान कर दी है. इतना ही नहीं ई रिक्शा में उद्यान घूमने वाले पर्यटकों को अब अनिवार्य रूप से नेचर गाइड भी लेना होगा. घना प्रशासन ने ई-रिक्शा, नेचर गाइड का शुल्क भी निर्धारित कर दिया है. उद्यान प्रशासन 1 जुलाई से उद्यान में ई-रिक्शा का संचालन शुरू कर देगा.

घना निदेशक नाहर सिंह ने बताया कि उद्यान के लिए 82 ई-रिक्शा संचालन की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है. फिलहाल उद्यान में करीब 120 पैडल रिक्शा संचालित हैं, जिनमें से 82 को ई-रिक्शा की स्वीकृति दे दी है. अन्य को भी जल्द ही स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी. इस संबंध में रिक्शा चालकों से भी चर्चा चल रही है. उद्यान में 1 जुलाई से ई-रिक्शा संचालित करने की तैयारी है.

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ये रहेगा शुल्क : निदेशक नाहर सिंह ने बताया कि ई-रिक्शा में अधिकतम 4 पर्यटक बैठ सकेंगे. प्रति पर्यटक प्रति तीन घंटा 300 रुपए शुल्क रहेगा. यानी एक ई-रिक्शा का 3 घंटे का 1200 रुपए शुल्क रहेगा. इसके साथ एक नेचर गाइड अनिवार्य होगा, जिसका शुल्क प्रति 3 घंटा 1 हजार रुपए होगा. यदि पर्यटक 3 घंटे से ज्यादा ई-रिक्शा लेता है तो प्रति घंटा 300 रुपए और नेचर गाइड के भी प्रति घंटा 300 रुपए के हिसाब से अतिरिक्त शुल्क देना होगा.

वर्ष 2016 से नियम की पालना का इंतजार : नेचर गाइड तरुण सिंह ने बताया कि वर्ष 2016 की गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक सफारी या वाहन के साथ एक नेचर गाइड अनिवार्य है. घना में अब तक सिर्फ पैडल रिक्शा संचालित हो रहे थे, जिसकी वजह से इस नियम की पालना नहीं हो पा रही थी. अब ई-रिक्शा के साथ नेचर गाइड की अनिवार्यता के नियम की पालना होगी. इससे घना के करीब 80 नेचर गाइड को हर दिन रोजगार मिल सकेगा.

ई-रिक्शा के लिए चार्जिंग प्वाइंट : निदेशक नाहर सिंह ने बताया कि ई-रिक्शा संचालन से पीक सीजन में रिक्शा की कमी की समस्या से भी निजात मिल सकेगी. पैडल रिक्शा में सिर्फ दो पर्यटक बैठ पाते थे, जबकि ई-रिक्शा में 4 पर्यटक बैठ सकेंगे. ऐसे में कम समय ज्यादा पर्यटक घना घूम सकेंगे और रिक्शा की कमी का भी सामना नहीं करना पड़ेगा. जल्द ही अन्य पैडल रिक्शा चालकों को भी ई-रिक्शा की स्वीकृति प्रदान कर दी जाएगी. उद्यान परिसर में ही ई-रिक्शा के लिए चार्जिंग प्वाइंट भी तैयार करवाए जाएंगे.

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