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कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का चक्का जाम प्रदर्शन

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Published : Feb 6, 2021, 9:31 PM IST

कृषि कानूनों के विरोध में छबड़ा में भी एनएसयूआई ने प्रदर्शन कर चक्का जाम किया है. इस दौरान केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग की है.

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कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का चक्का जाम प्रदर्शन

छबड़ा (बारां). कृषि कानून के विरोध को लेकर छबड़ा में भी एनएसयूआई जिला उपाध्यक्ष और पार्षद हस्सान खान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने अम्बेडकर सर्किल पर चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन किया और केन्द्र सरकार के खिलाफ टायर जला कर नारेबाजी करते हुए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग की. किसान नेता दीपक त्यागी के अनुसार कृषि कानून के विरोध में राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का समर्थन करते हुए भारतीय किसान मजदूर यूनिट सिंघानिया, ब्लॉक व नगर कांग्रेस कमेटी और क्षेत्रीय किसानों के सहयोग से अंबेडकर सर्किल पर उपखंड कार्यालय के सामने चक्का जाम किया गया.

कार्यक्रम में कांग्रेस पूर्व जिलाध्यक्ष निजामुद्दीन खान, ब्लॉक अध्यक्ष रेवती रमन गेरा, नगर अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, एनएसयूआई जिला उपाध्यक्ष हस्सान खान, भारतीय किसान मजदूर यूनिट सिंघानिया कोटा संभाग अध्यक्ष चन्द्र सेन जांगिड़, जिलाध्यक्ष विद्यासागर बैरागी, मुस्लिम सेवा संघ प्रदेश उपाध्यक्ष इंसाफ अली आदि ने आंदोलन कर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा गया कि मोदी सरकार द्वारा कृषि कानून एक काला कानून है. इसको लागू कर देश के करोड़ों किसानों को वर्षों से जारी सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य और राज्यों की कृषि मंडियों को कमजोर करते हुए देश के कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ देने का काम किया जा रहा है.

देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर और 250 से अधिक किसान संगठन इस काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन केन्द्र सरकार किसानों की एक सुनने को तैयार नहीं है. केन्द्र सरकार ने संसद के अंदर तीन काले काूननों को जबरन और बगैर किसी चर्चा के पारित किया है. उन्होंने बताया कि कृषि अध्यादेश कानून लागू होने से अनाज मंडी, सब्जी मंडी, को खत्म करने से कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी. अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था खत्म हो गई, तो इससे बड़ा नुकसान किसान और मजदूर का होगा. सबसे बड़ा फायदा पूंजीपतियों को होगा.

बस्सी में किसानों का चक्का जाम

किसान संगठनों द्वारा 6 फरवरी को प्रदेश में चक्का जाम की रणनीति बनाई गई थी. प्रदेश सहित आसपास के कई क्षेत्रों में चक्का जाम किया गया है. इसी कड़ी में राजधानी जयपुर के निकट बस्सी में भी किसानों द्वारा झूंथा लाल नाड़ला स्मृति मैदान, बस्सी किसान महापंचायत का आयोजन हुआ. आयोजन में किसानों की संख्या बहुत ही कम देखने को मिली है. वहीं मौजूद स्थानीय किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तीन काले कानूनों को वापस लेने के नारे लगाए. इसके बाद मैदान से निकलकर किसान हाईवे की ओर चल पड़े. हाईवे पर पहुंचने से पहले किसानों को पुलिस ने रोकने की कोशिश की पर बातचीत के बाद किसान हाईवे तक पहुंच गए. किसानों ने हाईवे पर लेट कर प्रदर्शन किया.

कामां में किसानों के समर्थन में कांग्रेस का प्रदर्शन

कामां दिल्ली मार्ग गांव उदाका पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं और किसानों ने विधायक जाहिदा खान के निर्देश पर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री चंद गौड़ के नेतृत्व में जाम लगा दिया, जहां सूचना मिलते ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं पूर्व प्रधान जलीस खान भी चक्का जाम में पहुंच गए और कांग्रेसी कार्यकर्ता और किसानों के साथ धरने पर बैठ गए हैं. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य एवं कामां पंचायत समिति के पूर्व प्रधान जलीस खान ने बताया कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी और किसान संघ के आह्वन पर पूरे भारतवर्ष में तीन कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है जिसके चलते कामां विधायक जाहिदा खान के निर्देश पर कामां ब्रज मेवात क्षेत्र के कांग्रेसी कार्यकर्ता और किसानों ने संयुक्त रूप से कामां दिल्ली मार्ग गांव उदाका पहुंचकर चक्का जाम कर दिया.

चित्तौड़गढ़ में किसानों का प्रदर्शन

चित्तौड़गढ़ में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर शनिवार दोपहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की और से विरोध प्रदर्शन किया गया. पहले यहां धरना दिया गया. बाद में मानव श्रृंखला बना कर यहां प्रधामंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. बाद में सभी चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा सिक्सलेन पहुंचे और कुछ देर के लिए धरना भी दिया. जानकारी के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर भी प्रदर्शन किया गया.

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