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Special : 'मृग मरीचिका' बनी मुख्यमंत्री युवा संबल योजना, आवेदन मंजूर लेकिन खाते में एक टका तक नहीं पहुंचा

भत्ता मिलने की आस में हर रोज आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. पड़ताल में कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिसमें एक-दो महीने तक भत्ते का भुगतान किया गया, लेकिन बाद में आवेदन पत्रों को रिजेक्ट कर दिया गया.

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मुख्यमंत्री युवा संबल योजना
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Published : Sep 1, 2020, 2:35 PM IST

बांसवाड़ा. युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का सरकार ने तोहफा देकर राजी तो किया, लेकिन पिछले 7 माह से नए आवेदन पत्र पर केवल मंजूरी की मुहर लगाई जा रही है. अब राज्य के बेरोजगार युवाओं के लिए मुख्यमंत्री युवा संबल योजना 'मृग मरीचिका' बनकर रह गई है.

मजे की बात यह है कि भत्ता मिलने की आस में हर रोज आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. यहां तक कि कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें एक-दो महीने तक भत्ते का भुगतान किया गया, लेकिन बाद में आवेदन पत्रों को रिजेक्ट कर दिया गया या भुगतान प्रक्रिया बंद कर दी गई. ऐसे में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं को ऑफिस के चक्कर लगाते बखूबी देखा जा सकता है.

युवाओं को नहीं मिल रहा बेरोजगारी भत्ता

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की मुख्य घोषणाओं में मुख्यमंत्री युवा संबल योजना शामिल थी. सरकार द्वारा 1 फरवरी 2019 से इस योजना को प्रदेश में लागू कर दिया गया. योजना के अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बांसवाड़ा जिले में फिलहाल 1742 बेरोजगारों को इसका लाभ मिल रहा है. इनमें से अनुसूचित जनजाति के 1210 तथा अनुसूचित जाति के 83 बेरोजगारों को भत्ता मिल रहा है. इसी प्रकार सामान्य वर्ग के 449 युवा बेरोजगार इसका लाभ उठा रहे हैं. कुल मिलाकर जून 2020 तक योजना के अंतर्गत 1742 बेरोजगारों को 55,30,300 रुपए का भुगतान किया जा चुका है.

दिसंबर से बाद के आवेदन पर मिल रही केवल मंजूरी...

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि 17 दिसंबर 2019 से पहले तक आवेदन करने वालों को बेरोजगारी भत्ते का भुगतान किया जा रहा है. इसके बाद आवेदन करने वालों को केवल मंजूरी दी जा रही है. उन्हें किसी प्रकार की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

पढें- अलवर: बेरोजगारी भत्ते के लिए 2 हजार से अधिक युवाओं ने कराया रिनुअल

अब तक बांसवाड़ा जिले से वर्ष 2019 के 465 तथा वर्ष 2020 में अब तक 3738 आवेदन पत्रों को मंजूरी दी जा चुकी है, लेकिन राशि के भुगतान के नाम पर अब तक किसी के भी खाते में 1 टका तक ट्रांसफर नहीं किया गया है. इसे लेकर बड़ी संख्या में युवा हर रोज जिला रोजगार कार्यालय के चक्कर काटते नजर आते हैं. कुल मिलाकर लगभग 4303 बेरोजगारों के लिए यह योजना मृग मरीचिका साबित हो रही है, जो भत्ते की आस में दुर्गम इलाकों से कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने इसे लेकर कुछ आवेदकों से बात की तो सामने आया कि इनमें से कई युवा तीन से चार बार तक आवेदन कर चुके हैं, लेकिन हर बार कोई न कोई त्रुटि बताकर आवेदन को रिजेक्ट किया जा रहा है. एक आवेदक की स्थिति यह थी कि जून 2019 में ही उसका आवेदन पत्र मंजूर हो गया, लेकिन भत्ता अब तक नहीं पहुंचा. इसी प्रकार एक अन्य युवा का कहना था कि जून 2019 में ही उसके आवेदन पत्र को मंजूरी मिल गई और 1 महीने का भत्ता भी मिल गया. उसके बाद उसके खाते में कोई राशि नहीं आई.

पढ़ें : ...फिर 'कैद' हुआ अंधेरी सुरंग में नौनिहालों का बचपन

राकेश डामोर का कहना था कि फरवरी में उसका आवेदन पत्र मंजूर कर लिया गया. उसके डॉक्यूमेंट भी वेरीफाई हो गए, लेकिन बेरोजगारी भत्ता शुरू नहीं हो पाया. इनमें से कई युवा ऐसे भी थे जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जिला मुख्यालय पर विभिन्न प्रकार की कोचिंग ले रहे हैं.

इस बारे में हमने कार्यवाहक रोजगार अधिकारी धर्मेंद्र निनामा के अनुसार प्रतिदिन बड़ी संख्या में नए आवेदन पत्रों के साथ-साथ जिन लोगों के आवेदन पत्र मंजूर हो गए हैं, वे कार्यालय पहुंच रहे हैं. दिसंबर 2019 तक के आवेदकों को भत्ता मिल रहा है, लेकिन उसके बाद से किसी आवेदक को भुगतान नहीं हो रहा है. वहीं, सरकार द्वारा शीघ्र ही फंड जारी किए जाने की उम्मीद है.

बांसवाड़ा. युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का सरकार ने तोहफा देकर राजी तो किया, लेकिन पिछले 7 माह से नए आवेदन पत्र पर केवल मंजूरी की मुहर लगाई जा रही है. अब राज्य के बेरोजगार युवाओं के लिए मुख्यमंत्री युवा संबल योजना 'मृग मरीचिका' बनकर रह गई है.

मजे की बात यह है कि भत्ता मिलने की आस में हर रोज आवेदन करने वालों की संख्या बढ़ रही है. यहां तक कि कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें एक-दो महीने तक भत्ते का भुगतान किया गया, लेकिन बाद में आवेदन पत्रों को रिजेक्ट कर दिया गया या भुगतान प्रक्रिया बंद कर दी गई. ऐसे में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं को ऑफिस के चक्कर लगाते बखूबी देखा जा सकता है.

युवाओं को नहीं मिल रहा बेरोजगारी भत्ता

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की मुख्य घोषणाओं में मुख्यमंत्री युवा संबल योजना शामिल थी. सरकार द्वारा 1 फरवरी 2019 से इस योजना को प्रदेश में लागू कर दिया गया. योजना के अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बांसवाड़ा जिले में फिलहाल 1742 बेरोजगारों को इसका लाभ मिल रहा है. इनमें से अनुसूचित जनजाति के 1210 तथा अनुसूचित जाति के 83 बेरोजगारों को भत्ता मिल रहा है. इसी प्रकार सामान्य वर्ग के 449 युवा बेरोजगार इसका लाभ उठा रहे हैं. कुल मिलाकर जून 2020 तक योजना के अंतर्गत 1742 बेरोजगारों को 55,30,300 रुपए का भुगतान किया जा चुका है.

दिसंबर से बाद के आवेदन पर मिल रही केवल मंजूरी...

ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया कि 17 दिसंबर 2019 से पहले तक आवेदन करने वालों को बेरोजगारी भत्ते का भुगतान किया जा रहा है. इसके बाद आवेदन करने वालों को केवल मंजूरी दी जा रही है. उन्हें किसी प्रकार की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

पढें- अलवर: बेरोजगारी भत्ते के लिए 2 हजार से अधिक युवाओं ने कराया रिनुअल

अब तक बांसवाड़ा जिले से वर्ष 2019 के 465 तथा वर्ष 2020 में अब तक 3738 आवेदन पत्रों को मंजूरी दी जा चुकी है, लेकिन राशि के भुगतान के नाम पर अब तक किसी के भी खाते में 1 टका तक ट्रांसफर नहीं किया गया है. इसे लेकर बड़ी संख्या में युवा हर रोज जिला रोजगार कार्यालय के चक्कर काटते नजर आते हैं. कुल मिलाकर लगभग 4303 बेरोजगारों के लिए यह योजना मृग मरीचिका साबित हो रही है, जो भत्ते की आस में दुर्गम इलाकों से कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है.

ईटीवी भारत की टीम ने इसे लेकर कुछ आवेदकों से बात की तो सामने आया कि इनमें से कई युवा तीन से चार बार तक आवेदन कर चुके हैं, लेकिन हर बार कोई न कोई त्रुटि बताकर आवेदन को रिजेक्ट किया जा रहा है. एक आवेदक की स्थिति यह थी कि जून 2019 में ही उसका आवेदन पत्र मंजूर हो गया, लेकिन भत्ता अब तक नहीं पहुंचा. इसी प्रकार एक अन्य युवा का कहना था कि जून 2019 में ही उसके आवेदन पत्र को मंजूरी मिल गई और 1 महीने का भत्ता भी मिल गया. उसके बाद उसके खाते में कोई राशि नहीं आई.

पढ़ें : ...फिर 'कैद' हुआ अंधेरी सुरंग में नौनिहालों का बचपन

राकेश डामोर का कहना था कि फरवरी में उसका आवेदन पत्र मंजूर कर लिया गया. उसके डॉक्यूमेंट भी वेरीफाई हो गए, लेकिन बेरोजगारी भत्ता शुरू नहीं हो पाया. इनमें से कई युवा ऐसे भी थे जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जिला मुख्यालय पर विभिन्न प्रकार की कोचिंग ले रहे हैं.

इस बारे में हमने कार्यवाहक रोजगार अधिकारी धर्मेंद्र निनामा के अनुसार प्रतिदिन बड़ी संख्या में नए आवेदन पत्रों के साथ-साथ जिन लोगों के आवेदन पत्र मंजूर हो गए हैं, वे कार्यालय पहुंच रहे हैं. दिसंबर 2019 तक के आवेदकों को भत्ता मिल रहा है, लेकिन उसके बाद से किसी आवेदक को भुगतान नहीं हो रहा है. वहीं, सरकार द्वारा शीघ्र ही फंड जारी किए जाने की उम्मीद है.

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