ETV Bharat / state

पूर्व मंत्री कटारा ने डूंगरपुर उपद्रव को लेकर बड़ा बयान दिया है, खुद सुनिये

author img

By

Published : Oct 26, 2020, 7:14 PM IST

बीजेपी के पूर्व मंत्री एवं प्रदेश महामंत्री सुशील कटारा आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियों को लेकर सोमवार को बांसवाड़ा आए. पार्टी के प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद प्रतापगढ़ रवाना हो गए. इस बीच ईटीवी भारत ने गत महीने डूंगरपुर में हुए उपद्रव के मामले में कटारा से बातचीत की, जिसे लेकर उन्होंने बड़ा बयान दिया है. खुद सुनिये और समझिये...

डूंगरपुर उपद्रव  आगामी पंचायत चुनाव  राजस्थान में पंचायत चुनाव  डूंगरपुर-रतलाम रेल परियोजना  गहलोत सरकार  banswara news  rajasthan news  Gehlot Government  Dungarpur-Ratlam Rail Project  Panchayat elections in Rajasthan  Upcoming panchayat elections
कटारा सामने लाए डूंगरपुर उपद्रव के कारणों की हकीकत

बांसवाड़ा. शिक्षक भर्ती 2018 के दौरान 1,167 पदों को लेकर जनजाति वर्ग के अभ्यर्थी काकरी डूंगरी पर कई दिनों के पड़ाव के बाद सितंबर के आखिरी सप्ताह में आक्रोशित हो उठे. लगातार तीन दिन तक नेशनल हाईवे उपद्रव की आग में जलता रहा. हालांकि, जनजीवन फिर से पटरी पर आ गया है, लेकिन इस मामले को लेकर अब भी प्रमुख राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप खत्म नहीं हो पाए.

डूंगरपुर उपद्रव पर कटारा का बयान

प्रदेश महामंत्री कटारा के अनुसार इस घटना के बाद सारे राजनीतिक दलों के नेताओं ने गांव तक पहुंचकर इन पदों को लेकर आ रही संवैधानिक जटिलताओं के बारे में समझाइश की. उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम के लिए कांग्रेस के नेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं की लापरवाही या फिर अनदेखी का नतीजा कहा जा सकता है. 15 जून 2020 को मुख्यमंत्री ने कांग्रेस और बीजेपी के जनप्रतिनिधियों को एक पत्र भेजकर संवैधानिक दिक्कतों का हवाला दिया था. परंतु जनजाति अभ्यर्थियों के विरोध को देखते हुए दोनों ही पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री के पत्र को दबा गए और अभ्यर्थियों के बीच मुख्यमंत्री की बात नहीं पहुंचाई. इसी कारण जनजाति अभ्यर्थी आक्रोशित हो उठे.

यह भी पढ़ें: बांसवाड़ा : संक्रमण पर शिकंजा या सच्चाई पर लगाम...सितंबर में 'सितम' के बाद ये रही राहत की खबर

इस मामले में अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए कटारा ने कहा कि हम चाहते हैं कि संवैधानिक आधार पर ही इसका समाधान होना चाहिए. हमारा मानना है कि जिन लोगों का इन पदों पर अधिकार है, उन्हें हक मिलना चाहिए. अपनी मांगों के लिए आंदोलन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. लेकिन बलपूर्वक उसे हासिल नहीं किया जा सकता. संवैधानिक आधार पर ही इसका समाधान निकाला जा सकता है.

यह भी पढ़ें: गहलोत और सचिन की अदावत के बीच पिस रही है प्रदेश की जनता: पूर्व मंत्री कटारा

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बीटीपी का शुरू से ही एक अलग ही रवैया रहा है और उसने टीएसपी क्षेत्र में शत प्रतिशत आरक्षण की बात कहकर लोगों को भ्रमित और गुमराह किया. उसका यह झूठ अब सामने आ गया. टीएसपी क्षेत्र में पहले से ही 45 प्रतिशत आरक्षण जनजाति वर्ग के लिए चल रहा है और 5 प्रतिशत एसटी तथा 50 प्रतिशत सामान्य वर्ग के लिए है. बीटीपी कोई जनजाति वर्ग का सामाजिक संगठन नहीं है, क्योंकि उसमें भी मुस्लिम, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग भी शामिल हैं.

उपद्रव के बाद पुलिस का शिकंजा कसने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उपद्रवियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. रेलवे के मसले पर कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेलवे परियोजना का शिलान्यास किया था. उस समय केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और खुद कांग्रेस सरकार ने 70 प्रतिशत खर्च वहन करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया था. केंद्र सरकार अभी अपने हिस्से की राशि देने को तैयार है. लेकिन राज्य सरकार ने हाथ खड़े कर लिए. इसी कारण रेलवे परियोजना खटाई में पड़ गई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.