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SPECIAL: इतिहास के पन्नों में खोताा बांसवाड़ा का एक और उप डाकघर

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Published : Oct 19, 2020, 11:01 PM IST

बांसवाड़ा का उप डाकघर इतिहास के पन्नों में खोता दिखाई दे रहा है. उप डाकघर के भविष्य को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा होने पर शहर की एक चौथाई आबादी के समक्ष दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं. इसका पूरा भार मुख्य डाकघर पर पड़ेगा, जबकि पहले से ही वहां स्टाफ की कमी चल रही है और लोग कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं.

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उप डाकघर इतिहास के पन्नों पर सिमटता हुआ

बांसवाड़ा. शहर का एक और उप डाकघर इतिहास के पन्नों में खोता जा रहा है. मई में केंद्र सरकार ने सिटी सब पोस्ट ऑफिस के साथ कुशलगढ़ में बाजार की ब्रांच को बंद कर दिया था. अब बांसवाड़ा में उदयपुर रोड स्थित माही परियोजना उप डाकघर पर नजर है. इस बार सरकार को भी एक बहाना मिल गया है. यह डाकघर जिस भवन में संचालित है, संबंधित विभाग ने उसे खाली करने का नोटिस जारी किया है.

उप डाकघर इतिहास के पन्नों पर सिमटता हुआ

हालांकि उप डाकघर के भविष्य को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा होने पर शहर की एक चौथाई आबादी के समक्ष दिक्कतें खड़ी हो सकती है. इसका पूरा भार मुख्य डाकघर पर पड़ेगा, जबकि पहले से ही वहां स्टाफ की कमी चल रही है और लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं. उप डाकघर को मुख्य डाकघर में मर्ज करने से होने वाली दिक्कतों को देखते हुए लोग अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. अब देखना होगा कि उनकी आवाज कब सरकार तक पहुंचती है.

70 के दशक में माही बांध परियोजना के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए परियोजना प्रबंधन द्वारा डाक विभाग को निःशुल्क एक कमरा उपलब्ध कराया गया था. करीब 45 साल से परियोजना में उप डाकघर का संचालन हो रहा है. हालांकि परियोजना के कर्मचारियों की संख्या लगभग एक तिहाई भी नहीं रही, लेकिन आसपास के 2 से 3 किलोमीटर परिधि क्षेत्र में आने वाली कॉलोनियों के लिए इसकी जरूरत बढ़ गई. यहां एफडीआरडी, एमआईएस, सुकन्या योजना और वरिष्ठ नागरिकों सहित हजारों खाते चल रहे हैं.

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सूत्रों के अनुसार इस उप डाकघर में लगभग 20 हजार लोगों के बचत खाते चल रहे हैं. यहां का प्रतिदिन का कलेक्शन 8 लाख से 10 लाख रुपए तक पहुंच रहा है. इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के भी हजारों खाते हैं, जिनका यहां आना जाना बना रहता है. बिना कतार के उनके काम आसानी से हो जाते हैं. डाकघर सूत्रों के अनुसार छोटी ब्रांच होने के बावजूद डाक सेवाओं के अलावा प्रतिमाह का टर्नओवर करीब 2 करोड़ रुपए तक पहुंच रहा है. मुख्य डाकघर में मर्ज होने पर लोगों की परेशानियां बढ़ जाएंगी. इसके साथ ही लोड कई गुना बढ़ सकता है. इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ेगा. जिनके लिए छोटे-मोटे कामकाज के लिए भी मुख्य डाकघर तक पहुंचने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

उपभोक्ता मनीष दोषी ने बताया कि करीब 45 साल से यह उप डाकघर संचालित है और जनता को विशेषकर बुजुर्गों को काफी राहत मिल रही है. करीब 15 से 20 हजार लोग उप डाकघर से जुड़े हुए हैं. नवीन सिंह चौहान के अनुसार आरडीएफडी सेविंग अकाउंट के अलावा सुकन्या योजना सहित हजारों लोगों के उप डाकघर में खाते चल रहे हैं. माही परियोजना के कई भवन खाली पड़े हैं. लोगों की सुविधा को देखते हुए इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. राजेश जैन के अनुसार मुख्य डाकघर में दो 2 घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए समस्या और भी बढ़ सकती है जबकि अभी कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा है.

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हमने क्षेत्रीय सांसद, विधायक और नगर परिषद सभापति आदि से संपर्क कर उन्हें अपनी समस्या से अवगत कराया है. सेवानिवृत्त कर्मचारी का मिलावट का कहना था कि उनका खाता इसी ब्रांच में है और नगदी निकासी सहित अन्य कामकाज के लिए करीब 2 किलोमीटर दूर अमरदीप नगर से आना पड़ता है. वरिष्ठ नागरिकों की सहूलियत को देखते हुए इस ब्रांच का बना रहना जरूरी है.

उप डाकघर प्रभारी पंकज कुमार के अनुसार हमें परियोजना प्रबंधन द्वारा भवन खाली कराने का नोटिस जारी किया गया है और उसे हमने आगे भेज दिया है. वहीं सहायक डाकघर अधीक्षक अमरचंद का कहना था कि हमने परियोजना प्रबंधन द्वारा जारी किए गए नोटिस को उच्चाधिकारियों के पास भेज दिया है और वहां से जो भी दिशा निर्देश होगा उसी के अनुरूप अगला कदम उठाया जाएगा. बता दें कि बांसवाड़ा जिले में मुख्य डाकघर सहित डाक विभाग की 20 शाखाएं संचालित थी. मई में बांसवाड़ा सिटी के साथ कुशलगढ़ की बाजार शाखा को बंद कर दिया गया.

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