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Special : शिकार के लिए बदनाम सरिस्का में बेहतर हो रहे हालात...वन्यजीवों के लिए तैयार किया सुरक्षा 'कवच'

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Published : Dec 14, 2020, 8:08 PM IST

अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र में देश और दुनिया से लोग आते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां पर लगातार शिकार की घटनाएं भी सामने आती रही हैं. समय-समय पर शिकारियों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन इन पर लागाम लगाना मुश्किल था. ऐसे में अब वन्यजीवों को बचाने के लिए थर्मल कैमरे और हाई रेज्युलेशन कैमरे की मदद से सुरक्षा 'कवच' तैयार किया गया है....

वन्यजीवों का शिकार, सरिस्का टाइगर रिजर्व, Wildlife hunting in Sariska, Wildlife monitors through camera, Sariska Tiger Reserve
सरिस्का में वन्यजीवों को बचाने के लिए थर्मल कैमरे लगाए गए

अलवर. शिकार के लिए बदनाम हो चुके सरिस्का में अब हालात बेहतर होने लगे हैं. पिछले कुछ दिनों में शिकार की घटनाओं में कमी आई है. सुरक्षा के इंतजाम भी पहले की तुलना में ज्यादा बढ़े हैं. 24 घंटे बॉर्डर होमगार्ड, होमगार्ड और वन रक्षक वन्यजीवों पर नजर रखते हैं. इसके अलावा कैमरों की मदद से चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जाती है. 886 वर्ग किलोमीटर में सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र फैला है. देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी जयपुर के बीच में स्थित सरिस्का में आए दिन शिकार के मामले सामने आते रहे हैं.

वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए थर्मल और हाई रेज्युलेशन कैमरों की ली जा रही मदद

यही वजह रही कि साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन नजर आने लगा था. कई बड़े तस्करों को सरिस्का में शिकार करते हुए पकड़ा गया है. शिकार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए प्रशासन की तरफ से अब सुरक्षा इंतजाम बढ़ाए गए हैं. सरिस्का में बॉर्डर होमगार्ड, होमगार्ड और वनकर्मी लगातार जंगल क्षेत्र में गश्त करते हैं. इसके अलावा चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए सरिस्का में कैमरा ट्रैपिंग पद्धति से काम किया जाता है. इसके अलावा सरिस्का क्षेत्र में तीन टावर गए हैं, जिन पर थर्मल कैमरे और हाई रेज्युलेशन कैमरे 24 घंटे सरिस्का पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं.

सैलानियों के लिए सरिस्का पर्यटन का बेहतर विकल्प साबित हो रहा है. आने वाले समय में सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़ सकता है. साथ ही सरिस्का प्रशासन की तरफ से यहां कई नए रूट डेवलप किए जा रहे हैं. इसके अलावा फुल-डे सफारी और हाफ-डे सफारी भी शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है.

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सरिस्का में वन्यजीवों के शिकार के आंकड़े

कैमरा ट्रैपिंग पद्धति का किया जा रहा उपयोग...

वन क्षेत्र में वन्यजीवों को ट्रैप करने के लिए 150 से ज्यादा कैमरे लगे हुए हैं. यह विशेष तरह के कैमरे होते हैं जो बाघ की टेरिटरी के क्षेत्र में पेड़ और उसके आसपास डालियों पर लगाए जाते हैं इनके आगे से वन्यजीव निकलते हैं. यह कैमरा उसकी फोटो कैद कर लेता है. वन्यकर्मी कैमरे में लगी मेमोरी हर 10 दिन में देखते हैं और हर गतिविधि पर इसके आधार पर नजर रखते हैं.

सरिस्का में लगे हैं टावर...

420 किलोमीटर क्षेत्र में रात और दिन निगरानी के लिए 16 टावर तैयार किए गए हैं, जिसने से कैमरे के द्वारा नजर रखी जा रही है. इन पर थर्मल व हाय रिलेशन आईडेंटिफाई कैमरे लगे हुए हैं जो कई किलोमीटर दूर तक साफ देख सकते हैं. इसके अलावा इन कैमरों की मदद से वन्यजीवों की हलचल पर भी नजर रखी जा सकती है. यह कैमरे सरिस्का में रह रहे वन्यजीवों के बचाने के लिए मददगार साबित हो रहे हैं.

24 घंटे रखी जा रही है कंट्रोल रूम से नजर...

सरिस्का में 120 से अधिक बॉर्डर होमगार्ड लगे हुए हैं, इसके अलावा 60 स्थानीय होमगार्ड है. वनकर्मी व वन अधिकारी लगातार 24 घंटे बाद की मॉनिटरिंग करते हैं. पग मार्ग और अन्य साधनों से बाघ पर नजर रखी जाती है. साथ ही कोई भी व्यक्ति शिकार या अन्य किसी भी तरह की जानकारी कंट्रोल रूम पर दर्ज करा सकता है.

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सरिस्का में हुई शिकार की घटनाएं...

तीन सालों के दौरान शिकार के कुल 20 मामले सामने आए हैं. 24 मई 2018 को एक बघेरे की मौत का मामला सामने आया था. उसके बाद 19 जुलाई 2018 को शिकार की घटना सामने आई थी. 19 जुलाई 2018 को अलवर बफर जोन में जंगली सूअर के शिकार का मामला सामने आया था. अजबगढ़ रेंज में 25 जुलाई को तीतर, कॉमेडी और जीवित पाठक को शिकारियों के साथ पकड़ा गया. 30 जुलाई को अजबगढ़ क्षेत्र में नील गाय के शिकार का मामला आया. 9 अक्टूबर 2018 को अकबरपुर क्षेत्र में बाघिन ST-9 का शिकार हुआ. 16 दिसंबर 2018 को बाघ ST-4 के शिकार का मामला सामने आया.

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11 फरवरी 2019 को ताल वृक्ष रेल में बघेरे के शिकार का मामला सामने आया था. अकबरपुर रेंज में 8 जून 2019 को बाघ ST-16 के शिकार का मामला सामने आया. एक अगस्त 2019 को सरिस्का क्षेत्र में बघेरे का शिकार किया गया. इसी तरह से 23 फरवरी 2020 को टहला क्षेत्र में बघेरे की मौत हुई. वहीं, 24 फरवरी 2020 को सरिस्का क्षेत्र में संघर्ष में एक बघेरा की मौत हो गई थी. इसी तरह से 20 से अधिक मामले 3 साल में सामने आए हैं.

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