Special : सरिस्का में केवल ST-13 के दम पर बाघ कुनबे में इजाफा...

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Published : Oct 14, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 7:50 PM IST

Alwar news, Sariska Tiger Reserve

सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) में बाघों के कुनबे में इजाफा हो रहा है. कुनबा बढ़ाने में बाघ ST-13 अहम रोल निभा रहा है. अब तक 13 शावकों का जन्म हुआ है लेकिन इनमें से तीन शावकों की मौत हो गई. सरिस्का का एरिया रणथंभोर से बड़ा है लेकिन इसके बावजूद यहां टाइगर के लिए अनूकुल वातावरण मिल नहीं पा रहा है.

अलवर. सरिस्का टाइगर रिजर्व में 23 बाघ, बाघिन और शावक हैं. यहां लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. बाघों का कुनबा बढ़ाने में बाघ ST-13 अहम रोल निभा रहा है. अब तक ST-13 तीन बाघिनों के संपर्क में रहा है. ST-13 उन बाघिनों की ब्रिडिंग होने के बाद अब तक 13 शावकों का जन्म हुआ है. इनमें से तीन शावकों की मौत हो चुकी है. जबकि 10 बाघ-बाघिन अकेले ST-13 के बच्चे हैं. इन सबके बाद भी बाघों के अनुकूल जीवन सरिस्का में बाघों को नहीं मिल रहा है.

आखिरकार सरिस्का में बाघों के अनुकूल वातावरण नहीं बनने के मुख्य तौर पर दो बड़े कारण है. सबसे प्रमुख कारण सरिस्का के जंगल क्षेत्र में बसे गांव हैं. गांव में लोगों की आवाजाही रहती है. ऐसे में बाघों को एकांत एरिया नहीं मिल पाता है क्योंकि बाघों को लोगों की आवाजाही से परेशानी होती है.

सरिस्का टाइगर रिजर्व को कैसे बनाए बाघों के लिए अनूकूल

इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण सरिस्का के जंगल के बीचोबीच से निकलने वाला अलवर-जयपुर सड़क मार्ग है. यह सड़क मार्ग सरिस्का को दो हिस्सों में बंटता है. सड़क मार्ग पर दिनभर 24 घंटे वाहनों की आवाजाही होती है. इसके चलते बाघ या अन्य जंगली जानवर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं. वहीं आए दिन सड़क मार्ग के चलते हादसे होते हैं और वन्यजीवों की जान जाती है.

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सरिस्का में इस समय 10 बाघिन, 7 बाघ और 6 शावक हैं. सरिस्का में मौजूद बाघों का कुनबा बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका बाघ एसट-13 की रही है. ST 13 बाघिन ST10 के संपर्क में आया. उसके बाद एक बार तीन शावक हुए और दूसरी बार एक शावक हुआ. तीन शावकों की मौत हो गई और एक शावक जिंदा है. बाघिन ST-12 के संपर्क में आने के बाद दो बार तीन-तीन शावकों को जन्म हुआ. साथ ही बाघ एसटी-13 और 14 मेटिंग हुई. जिसके बाद बाघिन ST-14 ने तीन शावकों को जन्म दिया. इस हिसाब से बाघ ST-13 की तीन बाघिनों से अलग-अलग समय मेटिंग हुई और उन बाघिनों ने 13 शावकों को जन्म दिया. जिसमें से तीन की मौत हो चुकी है. 10 शावक अब भी सरिस्का में है. इनमें से कुछ का नामकरण भी हो चुका है.

बाघ ST-13 के लगा हुआ है कॉलर

सरिस्का में केवल बाघ ST-13 का कॉलर काम कर रहा है. इसकी लोकेशन सरिस्का प्रशासन के पास हमेशा रहती है. 24 घंटे पुरानी लोकेशन जीपीएस की मदद से सरिस्का प्रशासन को मिलती है. सबसे ज्यादा मूवमेंट भी बाघ ST-13 की रहती है. इसकी मॉनिटरिंग में 24 घंटे वन विभाग की एक टीम रहती है. जो इसकी लोकेशन और हलचल पर नजर रखती है. बाघिन एसटी के 2 शावक हैं. टेरिटरी को लेकर कई बार बाघ का अन्य बाघों से संघर्ष भी हो चुका है.

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सड़क मार्ग बंद करने के लिए उठाने चाहिए कदम

वन विभाग के आदेशों के अनुसार सरिस्का के अंदर से गुजरने वाला अलवर-जयपुर सड़क मार्ग को चालू रखने के लिए स्थानीय ग्रामीण और विधायक विरोध प्रदर्शन करते हैं. जिसके चलते इस सड़क मार्ग को अभी चालू रखा गया है. हालांकि, भारी वाहनों को कुशलगढ़ से नारायणपुर सड़क मार्ग पर डायवर्ट किया जाता है. सरिस्का के बीच से गुजरने वाली सड़क मार्ग पर एलिवेटेड रोड बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है लेकिन अभी तक अंतिम फैसला नहीं हुआ है.

गांव का विस्थापन है जरूरी

सरिस्का में कुछ 29 गांव बसे हुए हैं. इनमें कोर एरिया में बसे 9 गांवों को प्राइटी पर विस्थापित करना है. इनमें से 3 गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुके हैं. दो गांवों को विस्थापित करने का काम अंतिम चरण में है. जंगल क्षेत्र में बसे अन्य गांवों को विस्थापित करने के लिए भी सरिस्का प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों से बातचीत की जा रही है. ग्रामीण विस्थापित होने के लिए तैयार नहीं है. सरकार की तरफ से उनको कई तरह की सुविधाएं दी जाती है. ऐसे में सबसे पहले सरिस्का प्रशासन को जंगल के कोर क्षेत्र में बसे गांवों को विस्थापित करना चाहिए. जिससे बाघों को घूमने के लिए शांत व खुला क्षेत्र मिल सके.

Last Updated :Oct 14, 2021, 7:50 PM IST
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