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बैकुंठ एकादशी 2023: बैकुंठ द्वार से बाहर आए श्री रमा बैकुंठ नाथ और भक्त, 10 दिन तक मनाया जाएगा महोत्सव

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 23, 2023, 6:00 PM IST

अजमेर के पुष्कर में नए श्रीरंगजी के मंदिर में शनिवार को बैकुंठ द्वार को ढाई घंटे के लिए खोला गया. इसके साथ ही 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव शुरू हो गया. बैकुंठ द्वार को साल में एक बार ही खोला जाता है.

Vaikuntha Ekadashi 2023
बैकुंठ एकादशी 2023

बैकुंठ द्वार को ढाई घंटे के लिए खोला गया

अजमेर. पुष्कर के नए श्रीरंगजी के मंदिर में शनिवार से 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव शुरू हो गया है. मंदिर में 99 वर्षों से बैकुंठ महोत्सव मनाने की परंपरा रही है. इस दिन मंदिर में साल में केवल वैकुंठ एकादशी पर ढाई घंटे खुलने वाला बैकुंठ द्वार भी भक्त और भगवान के लिए खोल दिया गया. मंदिर गर्भ गृह से भगवान रमाबैकुंठ नाथ और दोनों पत्नियों श्रीदेवी और भू देवी के साथ पालकी की सवारी बैकुंठ द्वार से बाहर निकली. इस सवारी के पीछे सैकड़ों की संख्या में भक्त भी बैकुंठ द्वार से बाहर आए. ढाई घंटे बाद बैकुंठ द्वार फिर से बंद कर दिया.

नए श्रीरंगजी मंदिर में भगवान बैकुंठ नाथ अपनी पत्नी श्रीदेवी के साथ विराजते हैं. गणेश, महालक्ष्मी और गोदांबाजी का भी यह मंदिर है. मंदिर परिसर में ही बैकुंठ द्वार भी है, जो आज वैकुंठ एकादशी के दिन मात्र ढाई घंटे के लिए खुला है. मंदिर में पूजा-अर्चना समेत सभी धार्मिक अनुष्ठान दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार ही होती है. सुबह 4 बजे पुष्कर के पवित्र सरोवर से भगवान के स्नान के लिए जल लाया जाता है. खास बात यह है कि जल मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंचता है, तब गौशाला से एक गाय अपने आप मंदिर आती है. यहां भगवान से पहले गौ माता की पूजा होती है. पूजन के बाद गाय वापस गौशाला लौट जाती है. मंदिर में ऐसा नित्य होता है.

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मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत बताते हैं कि भगवान रमा बैकुंठ नाथ का यह मंदिर 99 वर्ष पुराना है. मंदिर में रमावैकुंठ एकादशी का पर्व मनाने की परंपरा मंदिर के निर्माण के वक्त से रही है. मंदिर परिसर में बैकुंठ द्वार वर्ष में एक बार ही खोला जाता है. आज बैकुंठ एकादशी के दिन भक्त और भगवान के निकलने के लिए यह बैकुंठ द्वार ढाई घंटे तक खुला रहेगा. वैकुंठ एकादशी से अगले 10 दिन तक बैकुंठ महोत्सव मंदिर में परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा. शाम को 5 बजे प्रतिदिन भगवान रमा बैकुंठ नाथ की सवारी निकली जाएगी और मंदिर के ढाई फेरे लिए जाएंगे.

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श्रद्धालु लाला बताते हैं कि पुष्कर में राम बैकुंठ नाथ का मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. मंदिर में बैकुंठ द्वार आज खोला गया है. इसके बारे में मैं अनभिज्ञ था. यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर मेरा आकस्मिक यहां आना हुआ और यहां के बारे में जाना. मैं आज अपने आप को इतना भाग्यशाली समझ रहा हूं. मेरी उम्र 50 वर्ष हो चुकी है, लेकिन पहली बार मैंने इस उत्सव का आनंद लिया है. ठाकुर जी की गौशाला से जो मक्खन बना, उसका भोग भगवान राम बैकुंठ नाथ को लगाया गया और उसका प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया गया.

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बैकुंठ द्वारा से राम बैकुंठ नाथ की पालकी बाहर निकली तो पीछे-पीछे भक्त अभी बैकुंठ द्वार से बाहर आ गए. धार्मिक मान्यता है कि राम बैकुंठ नाथ की पालकी के पीछे बैकुंठ द्वार से बाहर आने पर भक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है और उसे भगवान का आशीर्वाद मिलता है. धार्मिक परंपरा के अनुसार मंदिर में धूमधाम से वैकुंठ महोत्सव मनाया जा रहा है. पुष्कर आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए भी यह नया अनुभव है.

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