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स्पेशल: वसंत पंचमी से ढोल उत्सव तक यहां विराजते हैं 'श्रीनाथजी'

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Published : Jan 29, 2020, 7:46 PM IST

किशनगढ़ से 6.5 किलोमीटर और अजमेर से 28 किलोमीटर की दूरी पर पीताम्बर की गाल नामक एक पवित्र तीर्थ है. जहां, पहाड़ी की तलहटी के बीचों बीच भगवान श्रीनाथ जी वसंत पंचमी से लेकर होली के बाद ढोल उत्सव तक 42 दिन तक बिराजे थे. मान्यताओं के अनुसार आज भी श्रीनाथ जी यहां आकर विराजते हैं.

pitambar ki gaal in ajmer, तीर्थस्थल पीताम्बर की गाल
यहां विराजते है श्रीनाथजी

अजमेर. पीताम्बर की गाल एक पवित्र तीर्थ है. मान्यता है कि पहाड़ी की तलहटी के बीचों बीच पीतांबर की गाल में भगवान श्रीनाथ 42 दिन तक बिराजे थे. यह पवित्र स्थान किशनगढ़ से साढ़े छ: किलोमीटर और अजमेर से 28 किलोमीटर की दूरी पर है. खास बात यह है कि आज भी श्रीनाथजी की बैठक स्थली के बारे में लोगों को कम ही मालूम है.

बताया जाता है कि संवत 1727 में मुगल शासक औरंगजेब जब हिन्दू मंदिर और प्रतिमाओं को तुड़वा रहा था. तब ब्रज से श्रीनाथजी की प्रतिमा को मेवाड़ ले जाया गया. इस बीच किशनगढ़ के नजदीक पीताम्बर की गाल वही स्थान है, जहां श्रीनाथजी के रथ का पहिया जाम हो गया था. तब इस स्थान पर ही वसंत पंचमी से लेकर होली के बाद ढोल उत्सव तक श्रीनाथजी यहीं बिराजे थे.

यहां विराजते है श्रीनाथजी

वर्तमान में श्रीनाथजी की बैठक स्थली के रूप में पीतांबर गाल का महत्व है. पहाड़ी की तलहटी में जंगल में श्रीनाथजी की आज भी बैठक स्थली है. जहां नित्य सेवा पूजा यहां मंदिर के मुखिया धर्मेंद्र शर्मा करते है.

पढ़ें- पंचायत चुनाव 2020 का 'रण' आज, 17 सौ ग्राम पंचायतों की 17 हजार से अधिक वार्डों में होगा मतदान

ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर में श्रीनाथजी की बैठक स्थली उसी जगह है जहां श्रीनाथजी 42 दिन तक बिराजे थे. बैठक स्थली के समीप ही 7 कदम्ब के पेड़ है. बताया जाता है कि जहां पेड़ है वहा श्रीनाथजी के सात कदमों के निशान थे. उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी से श्रीनाथजी की बैठक स्थली का विशेष महत्व है. माना जाता है कि वसंत पंचमी से होली के बाद ढोल उत्सव तक फाग के दिनों में श्रीनाथजी आज भी यहां आकर रुकते है.

Intro:अजमेर। अजमेर में पीताम्बर की गाल एक पवित्र तीर्थ है। मान्यता है कि पहाड़ी की तलहटी के बीचों बीच पीतांबर की गाल में भगवान श्रीनाथ 42 दिन तक बिराजे थे। यह पवित्र स्थान साढ़े छ किलोमीटर और अजमेर 28 किलोमीटर की दूरी पर है। खास बात यह कि आज भी श्रीनाथजी की बैठक स्थली के बारे में लोगों को कम ही मालूम है। देखिए ईटीवी भारत पर श्रीनाथजी की बैठक स्थली पर स्पेशल स्टोरी ...
ओपनिंग पी2सी

बताया जाता है कि संवत 1727 में मुगल शासक औरंगजेब जब हिन्दू मंदिर और प्रतिमाओं को तुड़वा रहा था। तब ब्रज से श्रीनाथजी की प्रतिमा को मेवाड़ ले जाया गया। इस बीच किशनगढ़ के नजदीक पीताम्बर की गाल वही स्थान है जब श्रीनाथजी के रथ का पहिया जाम हो गया था। तब इस स्थान पर ही बसंत पंचमी से लेकर होली बाद ढोल उत्सव तक श्रीनाथजी यही बिराजे थे। वर्तमान में श्रीनाथजी की बैठक स्थली के रूप में पीतांबर गाल का महत्व है। पहाड़ी की तलहटी में जंगल में श्रीनाथजी की आज भी बैठक स्थली है। जहां नित्य सेवा पूजा यहां मंदिर के मुखिया धर्मेंद्र शर्मा करते है ...
मिड पी2सी

ईटीवी भारत से बातचीत में पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर में श्रीनाथजी की बैठक स्थली उसी जगह है जहां श्रीनाथजी 42 दिन तक बिराजे थे। बैठक स्थली के समीप ही 7 कदम्ब के पेड़ है। बताया जाता है कि जहां पेड़ है वहा श्रीनाथजी के सात कदमो के निशान थे। उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी से श्रीनाथजी की बैठक स्थली का विशेष महत्व है। माना जाता है कि बसन्त पंचमी से होली के बाद ढोल उत्सव तक फाग के दिनों में श्रीनाथजी आज भी यहां आकर रुकते है ....
बाइट- पंडित धर्मेंद्र शर्मा- मुखिया- पीताम्बर की गाल

नेशनल हाइवे 79 जयपुर भीलवाड़ा पर किशनगढ़ के नजदीक पीताम्बर की गाल है। पवित्र धार्मिक स्थान होने के बावजूद बहुत ही कम लोग है जो पीतांबर गाल के बारे में जानते है ...

पी2 सी





Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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