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स्पेशल रिपोर्ट : 33 प्रतिशत आरक्षण... फिर भी अजमेर पुलिस बेड़े में महिलाओं की भागीदारी महज 1 फीसदी

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Published : Dec 1, 2019, 11:31 AM IST

देश भर में 2009 के बाद सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है. लेकिन इसके बाद भी पुलिस महकमें में महिलाओं की तादाद बहुत कम है. कई बार तो महिलाएं इस पेशे को चुनती नहीं है. वहीं इस नौकरी की चुनौतियों को लेकर भी माहिलाएं अपने पांव पीछे खींच लेती है. ईटीवी भारत ने अजमेर जिले के पुलिस महकमें की महिला पुलिसकर्मियों को लेकर जानकारी एकत्रित की है. जिसमें ये नतिजे सामने आए है.

अजमेर में पुलिस में महिलाएं, ajmer district police force
अजमेर जिले के पुलिस बल में महिलाएं

अजमेर. वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें महिलाओं ने अपनी मेहनत और योग्यता से सफलता के झंडे नहीं गाढ़े हों. महिलाएं जहां सेना में रहकर देश की सेवा कर रही हैं, वहीं पुलिस में रहकर समाज की सेवा भी कर रही हैं. लेकिन बावजूद इसके पुलिस महकमे में महिलाओं की संख्या काफी कम हैं. ईटीवी भारत ने अजमेर पुलिस थाने में महिलाओं की भागीदारी को लेकर पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया.

अजमेर जिले के पुलिस बल में महिलाएं

अजमेर पुलिस बेड़े में महज एक फीसदी महिलाओं की भागीदारी है. जबकि जिले में आधी आबादी महिलाओं की है. बता दें कि अजमेर के पुलिस बेड़े में 3 हजार 780 स्वीकृत पद हैं. इनमें पुरुषों की संख्या 3 हजार 10 है, जबकि महिलाओं की संख्या मात्र 338 ही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या महिलाओं का रुझान पुलिस सेवा में नहीं है ? या फिर अजमेर पुलिस में पुरुषों के अनुपात में महिलाओं के पदों की स्थापन कम की गई है.

अजमेर उत्तर क्षेत्र पदाधिकारी प्रियंका रघुवंशी ने बताया कि पुलिस से एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. खासकर महिलाओं के लिए परिवार बच्चों और काम के बीच संतुलन बनाना बहुत ही कठिन कार्य है. बावजूद इसके सन 2019 के बाद पुलिस बेड़े में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. बता दें कि 2009 से तमाम सरकारी भर्तियों में महिलाओं को 33 फीसदी कोटे का लाभ मिल रहा है. लिहाजा पुलिस महकमे में भी होने वाली भर्ती में महिलाएं अपनी जगह बना रही हैं. हालांकि कई महिलाएं भर्ती में सफल होने के बावजूद भी इस कठिन कार्य को छोड़ देती हैं. दरअसल, पुलिस के कार्य के समय में कोई निश्चितता नहीं है. वहीं अन्य महकमों की तरह कार्य का समय भी निर्धारित नहीं है.

इन समस्याओं के कारण महिलाएं नहीं करती पुलिस की नौकरी

साथ ही फील्ड जॉब में भी महिलाओं को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है. इनमें सबसे बड़ी समस्या परिवार और बच्चों को समय नहीं दे पाने की रहती है. जिले में एक महिला थाना है. लेकिन महिला सेल नाम मात्र की है. कई बार महिलाओं को सामाजिक अवहेलनाएं भी झेलनी पड़ती है.

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महिला थाने में कामकाज का तरीका अलग

वहीं थानाधिकारी विद्या मीणा ने बताया कि महिला थाने का कामकाज अन्य थानों से बिल्कुल अलग है. थाने में मुकदमा दर्ज करने से पहले पति पत्नी के बीच समझाइश की जाती है. उसके बाद मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है. साथ ही कार्रवाई में 41 का नोटिस तामील करवाने के लिए भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

महिला पुलिसकर्मियों को संसाधनों के अभाव, अकेले अन्य जिले और राज्यों में नोटिस तामील करवाने के लिए वहां जाने की परिवारिक स्वीकृति नहीं मिल पाती. जिससे उन्हे पुरुष पुलिसकर्मियों की मदद लेनी पड़ती है. फील्ड जॉब की कठिनाइयों से बचने के लिए ज्यादातर महिलाएं ऑफिस वर्क में रहना ज्यादा पसंद करती है.

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जिले के थानों में अलग से बनाए गए है महिला बैरक

अजमेर में 35 थाने हैं, जहां शहरी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती तीन से चार है और ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती एक या दो है. बता दें कि थानों में महिला बैरक अलग से बनाए गए हैं.

अजमेर पुलिस बेड़े में महिलाओं की भागीदारी

पद कुल पद महिलाओं की संख्या

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक 5 0
पुलिस उप अधीक्षक 16 2
पुलिस निरीक्षक 41 3
उप निरीक्षक 134 3
सहायक निरीक्षक 253 1
हेड कांस्टेबल 684 8
कांस्टेबल 2578 311
निजी सहायक 1 0
अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी 1 0
सहायक प्रशासनिक अधिकारी 4 0
वरिष्ठ सहायक 9 1
कनिष्ठ सहायक 16 2

कुल पद- 3782 पुरुष- 3010 महिलाएं- 338

Intro:अजमेर। देश के विकास में महिलाओं की भागीदारी बराबर होनी चाहिए। ऐसी बड़ी बड़ी बातें राजनैतिक मंच पर काफी सुनने को मिलती है। लेकिन क्या वास्तव में महिलाओं को निर्धारित अनुपात में भागीदारी मिल पाती है। ईटीवी भारत ने अजमेर पुलिस महकमे में महिलाओं की भागीदारी को लेकर पड़ताल की तो चौकाने वाला सच सामने आया। अजमेर पुलिस बेड़े में महज एक फीसदी महिलाओं की भागीदारी है। जबकि जिले में आधी आबादी महिलाओं की है।

वर्तमान में ऐसा कोई क्षेत्र नही है। जहां पर महिलाओं ने अपनी मेहनत और योग्यता से सफलता के झंडे नही गाढ़े हो। महिलाएं जहां सेना में रहकर देश की सेवा कर रही है वहीं पुलिस में रहकर समाज की सेवा कर रही है। पुलिस महकमे में महिलाओं की संख्या काफी कम है। बात करें अजमेर की तो पुलिस बेड़े में 3780 स्वीकृत पद है इनमें पर स्थापित पद पर पुरुषों की संख्या 3 हजार 10 है जबकि महिलाओं की संख्या 338 ही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या महिलाओं का रुझान पुलिस सेवा में नहीं है? या फिर अजमेर पुलिस में पुरुषों के अनुपात में महिलाओं के पद स्थापन कम किए गए हैं। अजमेर उत्तर क्षेत्र पदाधिकारी प्रियंका रघुवंशी की मानें तो पुलिस से एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। खासकर महिलाओं के लिए परिवार बच्चों और काम के बीच संतुलन बनाना बहुत ही कठिन कार्य है। बावजूद इसके सन 2019 के बाद पुलिस बेड़े में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है...
बाइट प्रियंका रघुवंशी वृताधिकारी अजमेर उत्तर क्षेत्र

सन 2009 में तमाम सरकारी भर्तियों में महिलाओं को 33 फ़ीसदी कोटे का लाभ मिल रहा है लिहाजा पुलिस महकमे में भी होने वाली भर्ती में महिलाएं अपनी जगह बना रही है हालांकि कई महिलाएं भर्ती में सफल होने के बावजूद भी पुलिसिंग के कठिन कार्य को छोड़ देती हैं। दरअसल पुलिस के कार्य के समय में कोई निश्चितता नहीं है। वहीं अन्य महकमों की तरह कार्य की घंटी भी निर्धारित नहीं है। फील्ड जॉब में महिलाओं को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है इनमें सबसे बड़ी समस्या टॉयलेट्स को लेकर आती है। दूसरी समस्या परिवार और बच्चों को समय नहीं दे पाने की रहती है जिले में एक महिला थाना है। लेकिन महिला सेल नाम मात्र की है ....
बाइट प्रियंका रघुवंशी वृताधिकारी

महिला थाने का कामकाज अन्य थानों से बिल्कुल अलग है थाने में दर्ज मुकदमें से पहले पति पत्नी के बीच समझा इसकी जाती है उसके बाद मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। कार्रवाई में 41 का नोटिस तामील करवाने के लिए भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। संसाधनों के अभाव एवं अकेले अन्य जिले एवं राज्यों में नोटिस तामील करवाने के लिए जाने को लेकर परिवारिक स्वीकृति नहीं मिल पाती। लिहाजा पुरुष पुलिसकर्मी की मदद ली जाती है। फील्ड जॉब की कठिनाइयों से बचने के लिए ज्यादातर महिलाएं ऑफिस वर्क में रहना ज्यादा पसंद करती है। ऐसा नहीं है कि सभी महिलाएं पुलिस के कठिन कार्य से घबराती हो। जिले में कई महिला अधिकारी और पुलिसकर्मी है जो आज भी डटकर पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर अपने कार्य को अंजाम दे रही हैं....
बाइट विद्या मीणा थाना प्रभारी महिला थाना

जिले में 35 थाने हैं जहां शहरी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती तीन से चार है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती एक या दो है। थानों में महिला बैरक अलग से बनाए गए हैं।
पी टू सी

अजमेर पुलिस बेड़े में महिलाओं की भागीदारी पर एक नजर:-

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक - कुल पद-5 में से एक भी महिला नहीं
पुलिस उप अधीक्षक- कुल 16 पद में से महज दो पदों पर महिलाएं
पुलिस निरीक्षक- कुल 41 पद में से केवल 3 पद पर महिलाएं
उप निरीक्षक- 134 कुल पद में से केवल 3 पद पर महिलाएं
सहायक निरीक्षक- कुल 253 में से एक पद पर महिला
हेड कांस्टेबल- कुल 684 पद मैं से 8 पद पर महिलाएं
कांस्टेबल- कुल 2578 पद में से 311 पद पर महिलाएं
निजी सहायक कुल एक पद महिलाएं नहीं
अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी- कुल पद 1 में से महिला नहीं
सहायक प्रशासनिक अधिकारी- कुल पद 4 में से महिला नहीं
वरिष्ठ सहायक- कुल 9 पद में से एक पर महिला
कनिष्ठ सहायक- कुल 16 पद में से 2 पर महिलाएं

कुल पद- 3782
पुरुष- 3010
महिलाएं- 338




Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


Conclusion:
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