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Makar Sankranti 2023: तिल और गुड़ के व्यंजन की मिठास हुई महंगी, बिक्री पर पड़ा असर

अजमेर में मकर संक्रांति के दौरान तिल और गुड़ से बने तिलकुट (Makar Sankranti 2023) और मिठाइयों की काफी मांग रहती है. लेकिन अबकी बेतहाशा बढ़ी महंगाई का असर इस पर भी पड़ा है.

Makar Sankranti 2023
Makar Sankranti 2023
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Published : Jan 14, 2023, 6:31 PM IST

तिल-गुड़ की सौंधी खुशबू से बाजार गुलजार

अजमेर. सर्द मौसम में तिल और गुड़ का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है. तिल और गुड़ को धार्मिक दृष्टि से भी शुभ माना गया है. मकर संक्रांति पर लोग तिल और गुड़ से बने व्यंजनों का दान भी करते हैं. यही वजह है कि तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट से बने व्यंजनों की सर्दी के मौसम में काफी डिमांड रहती है. खासकर लोहड़ी और मकर संक्रांति पर इनकी बिक्री अधिक होती है. अजमेर में बनने वाले तिल और गुड़ के व्यंजन की मिठास प्रदेश के अन्य जिलों में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों और विदेशों तक पहुंचती है. वहीं, अबकी महंगाई का असर तिल और गुड़ की बिक्री पर भी पड़ा है. भाव भी पिछले साल से 20 प्रतिशत बढ़ चुके हैं.

सर्दी का मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर माना जाता है. इस मौसम में खाने-पीने और पहनने का अपना ही मजा है. सर्द मौसम में तिल और गुड़ से बने व्यंजन लोग ज्यादा पसंद करते हैं. इसका कारण है कि तिल और गुड़ को स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर माना जाता है. यही वजह है कि सर्दी के मौसम में घर आने वाले मेहमान को भी तिल और गुड़ से बने व्यंजनों के साथ ही मनुहार की जाती है. लेकिन इस बार तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में वृद्धि होने की वजह से इन से बनने वाले व्यंजन की कीमत पर भी असर पड़ा है. प्रति किलो तिल और गुड़ के व्यंजन पर 100 रुपए की वृद्धि है.

इसे भी पढ़ें - Makar Sankranti 2023: तिल, खिचड़ी और 14 वस्तुओं का करें दान, बरसेगी सूर्य-शनि की कृपा

अजमेर शहर में गजक और तिलपट्टी की लगभग 200 से ज्यादा दुकानें हैं. इसके अलावा तिल गुड़ से बने व्यंजन और गुड मूंगफली की चिक्की जनरल स्टोर पर भी मिल जाती है. व्यापारी बताते हैं कि एक सीजन में करीब 5 हजार किलो गुड़ और तिल से बने व्यंजन की बिक्री हो जाती है. लेकिन इस बार बिक्री पर खासा असर पड़ा है पिछले वर्ष की तुलना में बिक्री काफी कम हो रही है.

Makar Sankranti 2023
तिल-गुड़ की सौंधी खुशबू से बाजार गुलजार

पुरानी दुकानों पर ग्राहकों का भरोसा कायम: केसरगंज में गोल चक्कर स्थित महावीर गजक भंडार पर पिछले 70 सालों से तिल और गुड़ के व्यंजन की बिक्री होती आई है. बाबूलाल जैन ने 70 साल पहले शहर को तिल और गुड़ के विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद चखाया था. बाबूलाल जैन के बाद उनकी तीसरी पीढ़ी विरासत को आगे बढ़ा रही है. शहर में सबसे ज्यादा तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजन यही मिलते हैं.

डिमांड में सॉफ्ट गजक: यहां 400 से 1200 रुपए प्रति किलों के व्यंजन उपलब्ध है. यूं तो सभी व्यंजनों की अपनी खासियत है, लेकिन सबसे ज्यादा बिक्री सॉफ्ट गजक की होती है. बाजार में तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स के लगभग 35 से भी ज्यादा व्यंजन बाजार में उपलब्ध है. इसी तरह पड़ाव क्षेत्र में महालक्ष्मी गजक भंडार भी अजमेर का जाना पहचाना नाम है. यहां भी विभिन्न प्रकार की गजक, तिलपट्टी, लड्डू, चिक्की, तिलपट्टी उपलब्ध है. यह भी करीब 60 वर्ष पुरानी दुकान है. बता दें कि ग्राहकों का पुरानी दुकानों पर आज भी भरोसा कायम है. दरअसल यह दुकानदार बिक्री के अलावा निर्माण पर भी उतना ही जोर देते है. शहर में करीब एक दर्जन से ज्यादा तिल और गुड़ से बने व्यंजन बनाने की फैक्ट्रियां हैं.

परदेस तक पहुंच रही अजमेरी गजक: राजस्थान की हृदय स्थली कहे जाने वाले अजमेर में दो प्रमुख धार्मिक स्थल है. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में लोग अजमेर आते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में अजमेर के लोग विदेशों में रहते हैं. यही वजह है कि सर्दी के मौसम में अजमेर से बाहर जाने वाले लोग अजमेर की प्रसिद्ध तिल और गुड़ के व्यंजन अपने साथ ले जाना नहीं भूलते हैं. यानी अजमेर की तिल और गुड़ के व्यंजन की मिठास देश ही नहीं, बल्कि परदेस में भी पहुंच रही है.

इसलिए पड़ा बिक्री पर असर: कारोबारी प्रवीण जैन बताते हैं कि इस बार बिक्री पर काफी असर रहा है. गत वर्ष की तुलना में 30 फीसदी बिक्री कम हो रही है. जैन बताते हैं कि मारवाड़ क्षेत्रों में बारिश के कारण तिल की फसल कमजोर रही है. तिल की पूर्ति के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से तिल मंगवाया जा रहा है. गत वर्ष तिल के 145 रुपए प्रति किलो भाव थे जबकि इस बाद तिल 175 रुपये प्रति किलो है. इसी तरह गुड़ में 10 रुपए और ड्राई फ्रूट्स के दामों में गत वर्ष की तुलना में तेजी भी तेजी है. इसलिए तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स के व्यंजनों के दामों में 22 से 25 फीसदी दामों में वृद्धि है.

उन्होंने बताया कि इस बार राजस्थान में सर्दी कम पड़ रही है. इस कारण सर्दी में व्यंजनों की डिमांड कम है. त्योहार के कारण डिमांड बढ़ी है. कारोबारी मोहनदास लखवानी ने बताया कि लोहड़ी और मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के व्यंजन की डिमांड ज्यादा रहती है. व्यंजन के भावों को मांग के अनुरूप कम रखा गया है. उन्होंने बताया कि अजमेर से तिल और गुड़ के व्यंजन प्रदेश में ही नहीं देश के कई राज्यों में जाते हैं. इसके अलावा लोग विदेश में भी सर्दी के व्यंजन लेकर जाते हैं.

बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष गजक: यूं तो गुड और तिल के व्यंजन लोग ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन कारोबारी तिल, शक्कर और मावे के व्यंजन भी बना रहे हैं. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए सॉफ्ट गजक बाजार में उपलब्ध है. सॉफ्ट गजक का तात्पर्य यह है कि मुंह में रखते ही तिल के व्यंजन घुल जाते है. यह सॉफ्ट गजक विभिन्न फ्लेवर की उपलब्ध है. बुजुर्ग भी आसानी से सॉफ्ट गजक का आनंद ले पाते हैं. इनके अलावा दुकानों पर काजू तिल गोंद के लड्डू, बादाम तिल गोंद के लड्डू, इलायची गोंद तिल के लड्डू, ड्राई फ्रूट और मूंगफली की चिक्की, अजब गजब बर्फी, काजू पिस्ता गजक, तिलपट्टी केसर इलायची शामिल है.

तिल-गुड़ की सौंधी खुशबू से बाजार गुलजार

अजमेर. सर्द मौसम में तिल और गुड़ का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है. तिल और गुड़ को धार्मिक दृष्टि से भी शुभ माना गया है. मकर संक्रांति पर लोग तिल और गुड़ से बने व्यंजनों का दान भी करते हैं. यही वजह है कि तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट से बने व्यंजनों की सर्दी के मौसम में काफी डिमांड रहती है. खासकर लोहड़ी और मकर संक्रांति पर इनकी बिक्री अधिक होती है. अजमेर में बनने वाले तिल और गुड़ के व्यंजन की मिठास प्रदेश के अन्य जिलों में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों और विदेशों तक पहुंचती है. वहीं, अबकी महंगाई का असर तिल और गुड़ की बिक्री पर भी पड़ा है. भाव भी पिछले साल से 20 प्रतिशत बढ़ चुके हैं.

सर्दी का मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर माना जाता है. इस मौसम में खाने-पीने और पहनने का अपना ही मजा है. सर्द मौसम में तिल और गुड़ से बने व्यंजन लोग ज्यादा पसंद करते हैं. इसका कारण है कि तिल और गुड़ को स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर माना जाता है. यही वजह है कि सर्दी के मौसम में घर आने वाले मेहमान को भी तिल और गुड़ से बने व्यंजनों के साथ ही मनुहार की जाती है. लेकिन इस बार तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में वृद्धि होने की वजह से इन से बनने वाले व्यंजन की कीमत पर भी असर पड़ा है. प्रति किलो तिल और गुड़ के व्यंजन पर 100 रुपए की वृद्धि है.

इसे भी पढ़ें - Makar Sankranti 2023: तिल, खिचड़ी और 14 वस्तुओं का करें दान, बरसेगी सूर्य-शनि की कृपा

अजमेर शहर में गजक और तिलपट्टी की लगभग 200 से ज्यादा दुकानें हैं. इसके अलावा तिल गुड़ से बने व्यंजन और गुड मूंगफली की चिक्की जनरल स्टोर पर भी मिल जाती है. व्यापारी बताते हैं कि एक सीजन में करीब 5 हजार किलो गुड़ और तिल से बने व्यंजन की बिक्री हो जाती है. लेकिन इस बार बिक्री पर खासा असर पड़ा है पिछले वर्ष की तुलना में बिक्री काफी कम हो रही है.

Makar Sankranti 2023
तिल-गुड़ की सौंधी खुशबू से बाजार गुलजार

पुरानी दुकानों पर ग्राहकों का भरोसा कायम: केसरगंज में गोल चक्कर स्थित महावीर गजक भंडार पर पिछले 70 सालों से तिल और गुड़ के व्यंजन की बिक्री होती आई है. बाबूलाल जैन ने 70 साल पहले शहर को तिल और गुड़ के विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद चखाया था. बाबूलाल जैन के बाद उनकी तीसरी पीढ़ी विरासत को आगे बढ़ा रही है. शहर में सबसे ज्यादा तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजन यही मिलते हैं.

डिमांड में सॉफ्ट गजक: यहां 400 से 1200 रुपए प्रति किलों के व्यंजन उपलब्ध है. यूं तो सभी व्यंजनों की अपनी खासियत है, लेकिन सबसे ज्यादा बिक्री सॉफ्ट गजक की होती है. बाजार में तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स के लगभग 35 से भी ज्यादा व्यंजन बाजार में उपलब्ध है. इसी तरह पड़ाव क्षेत्र में महालक्ष्मी गजक भंडार भी अजमेर का जाना पहचाना नाम है. यहां भी विभिन्न प्रकार की गजक, तिलपट्टी, लड्डू, चिक्की, तिलपट्टी उपलब्ध है. यह भी करीब 60 वर्ष पुरानी दुकान है. बता दें कि ग्राहकों का पुरानी दुकानों पर आज भी भरोसा कायम है. दरअसल यह दुकानदार बिक्री के अलावा निर्माण पर भी उतना ही जोर देते है. शहर में करीब एक दर्जन से ज्यादा तिल और गुड़ से बने व्यंजन बनाने की फैक्ट्रियां हैं.

परदेस तक पहुंच रही अजमेरी गजक: राजस्थान की हृदय स्थली कहे जाने वाले अजमेर में दो प्रमुख धार्मिक स्थल है. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में लोग अजमेर आते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में अजमेर के लोग विदेशों में रहते हैं. यही वजह है कि सर्दी के मौसम में अजमेर से बाहर जाने वाले लोग अजमेर की प्रसिद्ध तिल और गुड़ के व्यंजन अपने साथ ले जाना नहीं भूलते हैं. यानी अजमेर की तिल और गुड़ के व्यंजन की मिठास देश ही नहीं, बल्कि परदेस में भी पहुंच रही है.

इसलिए पड़ा बिक्री पर असर: कारोबारी प्रवीण जैन बताते हैं कि इस बार बिक्री पर काफी असर रहा है. गत वर्ष की तुलना में 30 फीसदी बिक्री कम हो रही है. जैन बताते हैं कि मारवाड़ क्षेत्रों में बारिश के कारण तिल की फसल कमजोर रही है. तिल की पूर्ति के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से तिल मंगवाया जा रहा है. गत वर्ष तिल के 145 रुपए प्रति किलो भाव थे जबकि इस बाद तिल 175 रुपये प्रति किलो है. इसी तरह गुड़ में 10 रुपए और ड्राई फ्रूट्स के दामों में गत वर्ष की तुलना में तेजी भी तेजी है. इसलिए तिल, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स के व्यंजनों के दामों में 22 से 25 फीसदी दामों में वृद्धि है.

उन्होंने बताया कि इस बार राजस्थान में सर्दी कम पड़ रही है. इस कारण सर्दी में व्यंजनों की डिमांड कम है. त्योहार के कारण डिमांड बढ़ी है. कारोबारी मोहनदास लखवानी ने बताया कि लोहड़ी और मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ के व्यंजन की डिमांड ज्यादा रहती है. व्यंजन के भावों को मांग के अनुरूप कम रखा गया है. उन्होंने बताया कि अजमेर से तिल और गुड़ के व्यंजन प्रदेश में ही नहीं देश के कई राज्यों में जाते हैं. इसके अलावा लोग विदेश में भी सर्दी के व्यंजन लेकर जाते हैं.

बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष गजक: यूं तो गुड और तिल के व्यंजन लोग ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन कारोबारी तिल, शक्कर और मावे के व्यंजन भी बना रहे हैं. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए सॉफ्ट गजक बाजार में उपलब्ध है. सॉफ्ट गजक का तात्पर्य यह है कि मुंह में रखते ही तिल के व्यंजन घुल जाते है. यह सॉफ्ट गजक विभिन्न फ्लेवर की उपलब्ध है. बुजुर्ग भी आसानी से सॉफ्ट गजक का आनंद ले पाते हैं. इनके अलावा दुकानों पर काजू तिल गोंद के लड्डू, बादाम तिल गोंद के लड्डू, इलायची गोंद तिल के लड्डू, ड्राई फ्रूट और मूंगफली की चिक्की, अजब गजब बर्फी, काजू पिस्ता गजक, तिलपट्टी केसर इलायची शामिल है.

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