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सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी लगाने उमड़े श्रद्धालु, पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने का क्रम जारी

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Published : Jul 17, 2023, 2:22 PM IST

तीर्थ नगरी पुष्कर में सावन मास में सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व है. हजारों की संख्या में श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. सरोवर में स्नान के बाद पूजा अर्चना कर श्रद्धालु जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं.

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पुष्कर सरोवर में डूबकी लगाने उमड़े श्रद्धालु

अजमेर. तीर्थ नगरी पुष्कर में सावन मास में सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व है. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने उमड़ पड़ी हैं. सरोवर में स्नान के बाद पूजा अर्चना कर श्रद्धालु जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन के लिए लाइन में खड़े हैं.

सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी लगाते हुए श्रद्धालु
सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी लगाते हुए श्रद्धालु

पुष्कर में सावन मास में सोमवार को आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. सोमवती अमावस्या का काफी विशेष महत्व है. सोमवती अमावस्या का धार्मिक पौराणिक महत्व है. यही वजह है कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे. पुष्कर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का सरोवर 52 घाटों पर तांता लगा है. श्रद्धालुओं की भारी आवक को देखते हुए पुष्कर नगरपालिका ने पहले से ही सरोवर में गहराई को प्रदर्शित करते हुए लाल झंडी आग लगा दी है. सरोवर के घाटों पर हर आयु वर्ग के लोगों ने सोमवती अमावस्या का स्नान किया. स्नान के उपरांत श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तीर्थ पुरोहितों से तर्पण, पिंडदान, सरोवर की पूजा अर्चना करवाई. उसके बाद जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन कर श्रद्धा अनुसार दान पुण्य किया.

सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी के बाद पितरों की पूजा करते श्रद्धालु
सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी के बाद पितरों की पूजा करते श्रद्धालु

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित्त तीर्थ गुरु ब्रह्मा पुष्कर में दर्पण, पिंड दान आदि अनुष्ठान और पूजा-अर्चना करवाने से घर में सुख, शांति समृद्धि बनी रहती है. पंडित पाराशर बताते हैं कि पुष्कर सरोवर में 12 महीने पितरों के निमित्त पूजा-अर्चना होती है. अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है. लेकिन सोमवती अमावस्या पर पितरों के लिए अनुष्ठान करने से 100 गुना फल की प्राप्ति होती है.

सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी के लिए आते श्रद्धालु
सोमवती अमावस्या के दिन पुष्कर सरोवर में डूबकी के लिए आते श्रद्धालु

सोमवती अमावस्या का महत्व : तीर्थ पुरोहित पंडित हरि गोपाल पाराशर बताते हैं कि महाभारत युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मा शांति के लिए पिंडदान करने के लिए पांडव पुष्कर आए थे. सोमवती अमावस्या पर विशेष मुहूर्त होने के कारण वह पुष्कर में रहकर सोमवती अमावस्या का इंतजार करने लगे. महीनों इंतजार करने के बाद कलयुग के आगमन से पहले बिना पिंडदान किए हुए पांडव पुष्कर से हिमालय की ओर निकल गए. जाने से पहले पांडवों ने सोमवती अमावस्या को श्राप दिया था कि कलयुग में सोमवती अमावस्या वर्ष में कई बार आएगी. ताकि श्रद्धालुओं को तीर्थ गुरु पुष्कर में पितरों के निमित्त तर्पण आदि अनुष्ठान कर सकें.

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घाटों और बाजारों में विशेष निगरानी : तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा के लिए घाटों पर सिविल डिफेंस, पुलिस मित्र और पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं. इसके साथ ही तीर्थयात्रियों से लगातार अपील की जा रही है कि वह सीढ़ियों पर बैठकर ही स्नान करें. बारिश के कारण सरोवर में पानी की आवक लगातार बनी हुई है. इसी तरह जगतपिता ब्रह्मा मंदिर और पुष्कर के बाजारों में भी पुलिस के जवान तैनात नजर आ रहे हैं. बता दें कि इस बार सोमवती अमावस्या पर पुष्कर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है.

मांगलियावास में कल्पवृक्ष का मेला : मांगलियावास में प्राचीन कल्पवृक्ष के जोड़े का विशेष धार्मिक महत्व है. कल्पवृक्ष के जोड़े को शिव पार्वती के रूप में देखा जाता है. हरियाली अमावस्या पर कल्पवृक्ष मेले का आयोजन मांगलियावास में हो रहा है. दूरदराज से लोग कल्पवृक्ष के जोड़े की पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. कल्पवृक्ष जोड़े की पूजा अर्चना कर लोग दोनों जोड़े के लच्छा लपेटकर परिवार में समृद्धि और खुशहाली की कामना कर रहे हैं. सुबह से ही कल्प वृक्ष के जोड़ों की पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.

बारिश से मौसम हुआ सुहाना : अजमेर में सोमवार सुबह से ही बारिश का दौर जारी है. जिले के हर क्षेत्र में अच्छी बारिश होने की सूचना है. पुष्कर और मांगलियावास में भी अच्छी बारिश हुई है. इसके बावजूद लोगों की आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. लोग दुगूने उत्साह के साथ धार्मिक स्थलों पर पहुंचकर अपना धार्मिक प्रयोजन सिद्ध कर रहे हैं.

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