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विजय दिवस विशेष : 1971 की भारत-पाक जंग के वीर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर ने सुनाई युद्ध की विजय गाथा

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 16, 2023, 5:03 AM IST

16 December Vijay Diwas
16 December Vijay Diwas

16 December Vijay Diwas, आज विजय दिवस है. आज का दिन बेहद खास और ऐतिहासिक है, क्योंकि इसी दिन साल 1971 में भारत ने पाकिस्तान को मात देकर विश्व का नक्शा बदला था. वहीं, इस युद्ध के हीरो रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर रिटायर्ड से खास बातचीत

अजमेर. भारत-पाक के बीच साल 1971 में ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को मात दे विश्व के नक्शे को ही बदल दिया. इस ऐतिहासिक घटना को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस युद्ध में कई सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी. राजस्थान के अलग-अलग जिलों से कुल 289 जवान शाहीद हुए थे, जिनके नाम अजमेर के बजरंगगढ़ पहाड़ी के नीचे बने विजय स्मारक पर अंकित हैं. वहीं, पाकिस्तान से जीता टैंक भी यहां मौजूद है, जो नई पीढ़ी को गौरवान्वित महसूस करता है और उनके अंदर इस युद्ध के बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा करता है. वहीं, ईटीवी भारत ने 1971 की जंग के हीरो रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर से खास बातचीत की.

सुनाई युद्ध की विजय गाथा : लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर बचपन से ही सेना से प्रभावित थे. बड़े होने पर उन्होंने भारतीय सेना में जाने का निर्णय लिया. इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में दाखिला लिया. यह उनके सपने की ओर पहला कदम था. साल 1965 में उन्होंने खड़कवासला में प्रशिक्षण लिया और इसके बाद 1966 में उन्हें कमीशन मिला.

16 December Vijay Diwas
देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी संग लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर

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वहीं, 1971 के युद्ध की विजय गाथा को सुनाते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर ने बताया, ''साल 1971 में 22 राजपूत बटालियन की कमान उनके कंधों पर थी. कंपनी को सितंबर माह में ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) भेजा गया. बटालियन को टास्क मिला था कि वहां दुश्मनों की लाइन के पीछे जाकर रोड ब्लॉक करना है. रोड ब्लॉक करने के लिए मधुवन नदी को पार करना सबसे बड़ी चुनौती थी. उस वक्त बटालियन में मैं डेल्टा कंपनी कमांडर था. नांव से नदी पार करने के बाद दो घंटे पैदल चलकर हम उस जगह पंहुचे, जहां दुश्मनों को रोकने के लिए रोड ब्लॉक करना था. वहां कुछ पाकिस्तानी संतरी ड्यूटी पर तैनात थे.''

16 December Vijay Diwas
राष्ट्रपति वीवी गिरी ने वीर चक्र से किया सम्मानित

सरप्राइज खत्म हुआ तो किया हमला : लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर बताते हैं, ''लाइट मशीन गन से दोनों संतरियों को गोली मारकर हम आगे बढ़े. मगर फायर करने से हमारा सरप्राइज खत्म हो गया था. दुश्मन को हमारी मौजूदगी का पता चल गया था और दुश्मन ने आर्टिलरी और मशीन गन से फायर कर दिया. हालांकि, लगातार हो रही फायरिंग के बीच हम रोड ब्लॉक करने में सफल रहे.

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दुश्मन सैनिक लगा रहे थे या अली के नारे : लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर ने बताया, ''15 दिसंबर की शाम को सवा चार बजे पाकिस्तानी आर्मी ने या अली, या अली के नारे लगाते हुए रोड ब्लॉक कर दिया. हमला एंटी टैंक गन, मशीन गन, मोटेरा, आर्टिलरी से किया गया. हमारे जवान भी बजरंगबली की जय बोलते हुए दुश्मन को ललकार रहे थे. दुश्मन के नजदीक आने पर हमारी ओर से भी जवाबी हमले किए गए. काफी देर तक जंग छिड़ी रही. इस लड़ाई में पाकिस्तान के कई जवान मारे गए और उनका हमला धीरे-धीरे ढीला पड़ गया.'' आगे उन्होंने बताया, ''इस दौरान पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी ने सफेद झंडा दिखाकर सरेंडर करने की मंशा जताई. फिर हमारी ओर से फायरिंग बंद कर दी गई. इसके बाद वहां मौजूद पाकिस्तानियों ने सरेंडर कर दिया. 14 सैन्य अधिकारी, 9 जेसीओ, 327 सैनिकों ने सरेंडर किया था. साथ बड़ी मात्रा में हथियार और राशन सामग्री बरामद हुई.''

16 December Vijay Diwas
अजमेर में पाकिस्तानी टैंक

हर मोर्चे पर विफल हो रही थी पाक आर्मी : उन्होंने बताया, ''बांग्लादेश में जहां भी हम जा रहे थे, वहां हमने देखा कि पाकिस्तानी आर्मी को हर मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ा था. हमारे हमले के साथ ही पीछे हटती जा रही थी. हमको लगने लगा था कि पाकिस्तान आर्मी को वहां से हटाना पड़ेगा और जीत हमारी होगी.''

उस जीत की निशां टैंक : सेवानिवृत लेफ्टिनेंट कर्नल एमडी माथुर ने बताया, ''ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) में जगह-जगह नरम जमीन और पानी था. इसलिए वहां कम वजनी टैंक इस्तेमाल किए गए. भारतीय सेना के पास ऐसे टैंक थे, जो पानी में भी तैरते थे और जमीन पर चला करते थे. अजमेर के बजरंगगढ़ में रखा टैंक काफी वजनी और सख्त जमीन पर काम आता है. ये वेस्टर्न सैक्टर में हुई लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के ऐसे टैंकों का नाश कर दिया था.''

राष्ट्रपति वीवी गिरी ने वीर चक्र से किया सम्मानित : लेफ्टिनेंट कर्नल एनडी माथुर ने बताया, ''1971 में उनकी जांबाजी के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया था. इस दौरान तत्कालीन देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी समारोह में मौजूद थीं.

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अजमेर में मौजूद है पाकिस्तानी टैंक : अजमेर के बजरंगगढ़ की पहाड़ी के ठीक नीचे विजय स्मारक है, जहां पाकिस्तानी टैंक को रखा गया है, लेकिन वर्तमान में इस स्थान की बेकद्री को रही है. यहां राजस्थान के विभिन्न जिलों के सैन्य अधिकारी और जवान जो 1971 की भारत पाकिस्तान की जंग में शहीद हुए थे, उनके नामों को अंकित गया है, लेकिन यह अफसोस की बात है कि नगर निगम और प्रशासन इस गौरवमय स्थान की बेकद्री पर कर रहा है.

मौजूदा समय में विजय स्मारक नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. यहां नियमित सफाई भी नहीं होती है. हिन्द सेवा दल संस्था के पदाधिकारी राजेश महावर बताते हैं, ''40 सालों से विजय स्तम्भ ही नहीं, बल्कि हर महापुरुषों की प्रतिमाओं के स्मारक को संस्था की ओर से सफाई व रंग रोगन किया जा रहा है. इस कार्य में सरकारी सहयोग नहीं मिलता है. विजय दिवस के दिन सियासी नेता और सरकारी अधिकारी केवल श्रद्धांजलि देने के लिए आते और इतिश्री कर चले जाते हैं, जबकि यह विजय स्मारक हम सब के लिए गर्व है.

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