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बेमौसम बारिश ने फेरा किसानों की उम्मीद पर पानी, हाड़ौती में 5 लाख हेक्टेयर की फसल में नुकसान

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Published : Oct 8, 2022, 8:34 PM IST

Updated : Oct 8, 2022, 8:49 PM IST

बेमौसम हुई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. इस बारिश के कारण करीब 5 लाख हेक्टेयर (kharif crops in Hadoti Division) एरिया के फसलों में नुकसान का आकलन किया जा रहा है. इस बेमौसम बारिश से खेतों में खड़ी सोयाबीन, उड़द, मूंग, व धान की फसल बर्बाद हुई है.

kharif crops in Hadoti Division
kharif crops in Hadoti Division

कोटा. हाड़ौती संभाग में खरीफ की फसल की कटाई शुरू हो चुकी थी. कई किसानों ने फसल काटकर खेतों में रख भी (kharif crops in Hadoti Division) चुके थे, लेकिन बेमौसम हुई बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. इन बारिश की वजह से करीब 5 लाख हेक्टेयर एरिया में नुकसान का आकलन किया जा रहा है.

बेमौसम बारिश से खेतों में खड़ी सोयाबीन, उड़द, मूंग, व धान की फसल बर्बाद हुई है. जिसमें सोयाबीन में पौने चार लाख (Unseasonal rains affect kharif crops in Hadoti) व धान में एक लाख 5 हजार हेक्टेयर में नुकसान का अनुमान है. सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की कटकर खेतों में पड़ी हुई फसल को हुआ है. इसी तरह धान में भी खेत में कटकर पड़ी फसल को भी नुकसान है. यह नुकसान भी 50 से 55 फीसदी होने का अनुमान है.

बेमौसम बारिश ने फेरा किसानों की उम्मीद पर पानी

कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बारिश एक-दो दिन जारी रहती है तो यह नुकसान 90 फीसदी तक हो सकता है. दूसरी तरफ, भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि इस बेमौसम बारिश से खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है. पीड़ित किसानों ने बताया कि इस समय सोयाबीन, उड़द, व मूंग की फसल की कटाई चल रही है. वहीं धान अभी खेत में खड़ा हुआ है. बारिश से यह फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. कोटा, बूंदी, झालावाड़ व बारां जिले में भी भारी बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है.

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खेतों में खड़ा धान तेज बारिश व हवा से जमीन पर लेट चुका है. इस समय धान में बालियां आई (Harvesting of Kharif Crops in Hadoti Division) हुई हैं, यह तेज बारिश से नष्ट हो चुकी है. किसानों की मांग है कि सरकार तुरंत नुकसान का सर्वे करवाकर किसानों को उचित मुआवजा दें. जिससे किसान रबी सीजन की फसल ठीक से उत्पादन कर सकें. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि साल 2019 व 2021 में इस तरह से खराबा हुआ था, लेकिन उसका मुआवजा आज दिन तक नहीं मिला है. कोटा जिले के इटावा क्षेत्र के लुहावद व देवकरण पटेल का कहना है कि सोयाबीन की फसल कट चुकी थी. जिसके बाद बारिश का पानी खेतों में भर गया. इससे खेत पूरी तरह से डूब गई है.

बारिश लगातार हुई तो 90 फीसदी तक होगा नुकसानः कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा ने बताया कि संभाग में शुक्रवार को दिन और रात में हुई इस बारिश से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. अभी पूरी सूचना नहीं आई है, लेकिन खेत में कटकर पड़ी हुई सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान हुआ है. यह नुकसान अभी 50 से 55 फीसदी तक होने का अनुमान है. एक दो दिन तेज धूप निकलने पर फसल सूख जाती है, तब नुकसान कम होकर 25 से 30 या 40 फीसदी तक रह सकता है. बताया जा रहा है कि 10 अक्टूबर तक बारिश होगी, ऐसे में धूप नहीं निकलती है और बारिश जारी रहती है तो नुकसान का आकलन 80 से 90 फीसदी तक जा सकता है.

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सोयाबीन में पौने चार लाख हेक्टेयर में नुकसानः संयुक्त निदेशक ने बताया कि हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में साढ़े पांच लाख (Soyabean Crops affected in Kota) हेक्टेयर एरिया में सोयाबीन की फसल की बुवाई की गई थी. जिसमें से करीब सवा दो लाख हेक्टेयर एरिया से किसानों ने सोयाबीन काट कर अपने घरों में रख ली व मंडी में पहुंचा दी है. हालांकि अभी करीब सवा दो लाख हेक्टेयर फसल खेत में खड़ी है. जिसकी क्वालिटी खराब हो गई है. वहीं जिन किसानों ने फसल काटकर खेत में रखी थी, वह भी पानी भरने से पूरी तरह से गिली हो गई हैं.

एक लाख हेक्टेयर में धान में नुकसानः रामावतार शर्मा के अनुसार धान की फसल करीब एक लाख 40 हजार हेक्टेयर में की गई थी. इसमें से 25 हजार हेक्टेयर धान खेतों से काटकर किसानों ने घर पर स्टोर कर ली है. वहीं खेत में पड़ी हुई 15 हजार हेक्टेयर फसल की क्वालिटी खराब हो गई है. इसमें 30 से 40 फीसदी नुकसान हुआ है. जहां मंडी में पहले उसके 3500 रुपए प्रति क्विंटल धान मिलते हैं, अब यह गिरकर 2500 रुपए प्रति क्विंटल रह जाएंगे. अभी अगर बारिश ज्यादा होती है, तो यह नुकसान बढ़ जाएगा. वहीं खेत में खड़ी करीब 90000 हेक्टेयर धान की फसल झुक गई है. इसमें भी उत्पादन 10 से 15 फीसदी कम होगा.

Last Updated : Oct 8, 2022, 8:49 PM IST
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