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कोटा में फिर दहशत, दादाबाड़ी बस्ती में उल्टी दस्त से मर रहे बच्चे, सप्ताह में तीन मौतें

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Published : Feb 5, 2020, 11:40 PM IST

जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के बाद एक बार फिर कोटा में दहशत का माहौल है. यहां की दादाबाड़ी उड़िया बस्ती में उल्टी-दस्त से हो रही बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने बस्ती में जाकर पानी के सैंपल जुटाए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

vomiting and diarrhea in dadabari, कोटा तीन बच्चों की मौत
childrens died due to vomiting and diarrhea

कोटा. शहर के दादाबाड़ी स्थित उड़िया बस्ती में इन दिनों एक सप्ताह में तीन बच्चों की मौत हो गई. बच्चा अचानक बीमार होता है और उसको उल्टी दस्त शुरू होते हैं लेकिन अस्पताल ले जाते वक्त बच्चे दम तोड़ देते हैं. बुधवार को जलदाय विभाग की टीम ने मौके पर पहुच कर पानी के सैम्पल लिए गए.

कोटा में फिर दहशत...

कोटा शहर के दादाबाडी के उड़िया बस्ती में इन दिनों अजीब सा भय का माहौल बना हुआ है. हर पल लोगों को यह डर सताता है कि अब कौन सा मासूम अज्ञात बीमारी से काल के मुंह में समा जाए. उड़िया बस्ती में पिछले एक सप्ताह में तीन बच्चे अचानक बीमार होकर कुछ घंटों में मौत के मुंह में समा गये. सामान्य से उल्टी और दस्त के बाद जब तक बच्चों को अस्पताल ले जा पाते उससे पूर्व ही उनकी मौत हो गई.

vomiting and diarrhea in dadabari, कोटा तीन बच्चों की मौत
बस्ती में पसरी गंदगी

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खास बात यह है कि मौत के बाद बच्चे का शरीर काला पड़ पड़ गया, जिसके कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं. इस मामले का स्थानीय नेताओं को मालूम हुआ तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग नगर निगम व जलदाय विभाग के अधिकारियों को फटकारा. जिसके बाद जाकर जलदाय विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को बस्ती में जाकर पानी के सैंपल भरे.

vomiting and diarrhea in dadabari, कोटा तीन बच्चों की मौत
सैंपल लेते जलदायकर्मी

उड़िया बस्ती के निवासियों ने बताया कि बच्चो की मौत से सभी सहमे हुए हैं. बच्चों को अचानक उल्टियां होती है और उसके बाद अस्पताल ले जाते समय कुछ ही पलों में उनकी मौत हो जाती है जिसके बाद पूरा शरीर काला पड़ जाता है. चिकित्सकों द्वारा अभी तक बीमारी की पहचान नहीं हुई है. एक सप्ताह में तीन बच्चों की मौत के बाद बस्ती निवासी पलायन भी कर रहे हैं.

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आपको बता दें कि दादाबाड़ी इलाके को स्लम बस्ती माना जाता है. जहां सालों से नालों की सफाई नहीं हुई है. सैकड़ों की संख्या में लोग इस गंदगी में रह रहे हैं. जिसकी वजह से अज्ञात बीमारियां मासूम बच्चों को मौत के आगोश में समा रही हैं. वहीं, बस्ती के इन हालातों पर ना तो किसी विभाग का दिल पसीजता है और ना ही राजनीतिक रहनुमाओं का.

Intro:दादाबाड़ी उड़िया बस्ती में उल्टी दस्त से हो रही है बच्चों की मौत, अस्पताल ले जाने से पहले ही मौत हो जाती है।जलदाय विभाग ने बस्ती में जा कर पानी के सैम्पल लिए।

कोटा शहर के दादाबाड़ी स्थित उड़िया बस्ती में इन दिनों एक सप्ताह में तीन बच्चों की मौत हो गई। बच्चा अचानक बीमार होता है और उसको उल्टी दस्त शुरू होते है लेकिन अस्पताल ले जाते वक्त वह दम तोड़ देते हैं।आज जलदाय विभाग की टीम ने मौके पर पहुच कर पानी के सैम्पल लिए गए।

Body:कोटा शहर के दादाबाडी के उड़िया बस्ती में इन दिनों अजीब सा भय का माहौल बना हुआ है यहां के रहवासी ऐसी दहशत में जी रहे हैं जो हर पल उन्हें यह डर सताता है कि अब कौन सा मासूम अज्ञात बीमारी से काल के मुंह में समा जाए।

बता दे कि उड़िया बस्ती में पिछले एक सप्ताह में तीन बच्चे अचानक बीमार होकर कुछ घंटों में मौत के मुंह में समा गये। सामान्य से उल्टी और दस्त के बाद जब तक बच्चे को अस्पताल ले जाते उससे पूर्व ही बच्चे की मौत हो जाती है और उसके बाद बच्चे का शरीर काला पड़ जाता है इस मामले का स्थानीय नेताओं को मालूम हुआ तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग नगर निगम व जलदाय विभाग के अधिकारियों को यहां की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए कहा जिस पर स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम अभी भी नहीं चेता है वहीं जलदाय विभाग के अधिकारियों ने आज यहां पर पानी का सैंपल लिया है।
उड़िया बस्ती निवासियों ने बताया कि बच्चो की मौत से भय का जीवन यापन कर रहे है।उन्होंने बताया कि बच्चो को उल्टियां होती है और उसके बाद अस्पताल ले जाते समय कुछ पलों में उसकी मौत हो जाती है और पूरा शरीर काला पड़ जाता है।डाक्टरो ने देखने के बाद भी इस बीमारी का कोई पता नही चल पा रहा।बच्चो की मौतों से बस्ती निवासी पलायन कर रहे हैं।
बस्ती निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि बस्तियों में ना तो डॉक्टर आते है और ना ही सरकारी कोई सुविधा है।
Conclusion:बात दे कि स्लम बस्ती मानी जाती है जहां पर नालों की जो कई वर्षों से सफाई नहीं हुई उस वजह से गंदगी और अनेक प्रकार की कीड़े पनपते रहते है मगर इन लोगों के हालात पर किसी भी विभाग का दिल नहीं पसीजता है शहर के मध्य में स्थित यह बस्ती को जरूरत है सरकारी विभागों की मदद की ताकि यहां पर भय के माहौल के बाद पलायन करें लोगों को रोका जा सके और अकाल मौत के शिकार हो रहे मासूमों को बचाया जा सके।
बाईट-कृष्णा, स्थानीय महिला
बाईट-मंगराज, पीड़ित पिता
बाईट-महेश आहूजा, कांग्रेसी नेता
बाईट-दया, जेईएन, दादाबाड़ी, जलदाय विभाग
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