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बदलाव की बयार के बीच आसान नहीं पायलट की मंजिल! हाड़ौती से विधायक-मंत्री साथ नहीं

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Published : Sep 25, 2022, 10:10 AM IST

Updated : Sep 25, 2022, 2:18 PM IST

कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद, गहलोत और पायलट चर्चा के केन्द्र में हैं. अब संभागवार दोनों की ताकत को मापने का दौर चल निकला है. किसमें कितना दम है इसे आंका जाने लगा है. हाड़ौती की बात करें तो यहां के 7 विधायक सीएम गहलोत के प्रति समर्पित दिखते हैं. सवाल यही है क्या बदलते समय में हाड़ौती के ये 7 पायलट को संबल देंगे!

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सचिन पायलट और सीएम गहलोत

कोटा. कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक उथल पुथल का दौर चल रहा है. कांग्रेस को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है. स्पष्ट है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की पदवी संभालते ही सीएम अशोक गहलोत को वर्तमान पद छोड़ना पड़ेगा. इसके साथ ही सवाल मौजूं है कि फिर प्रदेश की कमान किसको सौंपी जाएगी? इसमें सबसे टॉप पर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम है. इस बीच पूरे प्रदेश के संभागों की स्थिति को लेकर गुणा भाग भी खूब किया जा रहा है. हाड़ौती के विजयी 7 विधायक गहलोत समर्थक हैं.

हालांकि हाड़ौती से कांग्रेस के 7 विधायक आते हैं. 2018 में 17 सीटों पर चुनाव हुए थे जिनमें से 7 कांग्रेस के पाले में गई थी. ये सात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हाड़ौती ताकतवार बनाता है. कोटा के वरिष्ठ पत्रकार सुनील माथुर के अनुसार हाड़ौती में सचिन पायलट अपना वर्चस्व नहीं खड़ा कर पाए थे. विधानसभा चुनाव 2018 में वे अपने समर्थक नेताओं को टिकट भी पार्टी से नहीं दिला पाए थे. जबकि वे प्रदेश अध्यक्ष थे. ऐसे में हाड़ौती के जितने भी विधायक हैं. उनमें पायलट के सहयोगी न होकर सभी गहलोत समर्थक हैं.

चांदना पायलट से खफा!: मंत्री अशोक चांदना भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक माने जाते हैं. जब 2013 में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हाड़ौती में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था. तब केवल अशोक चांदना ही जीत पाए थे. वो हाड़ौती से कांग्रेस के इकलौते विधायक थे. इसके बाद वे पायलट के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उनकी जीत और काबिलियत को गहलोत की पारखी नजरों ने सम्मान दिया और ओहदा भी. विधानसभा चुनाव लड़े और मंत्री बने. चांदना गुर्जर कम्युनिटी से आते हैं वही समाज जिससे सचिन पायलट हैं. ज्यादा वक्त नहीं बीता जब अजमेर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चांदना को जूते दिखाए गए. वो खफा हुए और अपना गुबार सोशल मीडिया पर जाहिर भी किया. चांदना ने धमकी भरे अंदाज में कहा था- अगर मैं अपनी पर आ गया तो दोनों में से एक ही बचेगा.

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धारीवाल गहलोत के खास: प्रदेश के यूडीएच मंत्री और कोटा उत्तर से विधायक शांति धारीवाल पूरी तरह से सीएम गहलोत खेमे के माने जाते हैं. वो मुख्यमंत्री गहलोत के साथ हर मंत्रिमंडल में शामिल रहे हैं. यहां तक कि गहलोत की अनुपस्थिति में मुख्यमंत्री से जुड़े विभागों का काम भी संभालते हैं. मंत्री शांति धारीवाल के पास वर्तमान में भी संसदीय कार्य, विधि और न्याय और यूडीएच जैसे अहम विभाग हैं.

इसके अलावा दो अन्य विधायकों की भी गहलोत से निकटता और पायलट से दूरी जगजाहिर है. इनमें पूर्व मंत्री भरत सिंह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्पित समर्थक हैं. गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में भरत सिंह को मंत्री पद से भी नवाजा था. तो दूसरे राम नारायण मीणा ये कह कर कि पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहिए अपनी मंशा जता चुके हैं.

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भाया को अपने वीटो से लगातार बनाए रखा मंत्री: मंत्री प्रमोद जैन भाया गहलोत मंत्रिमंडल के विवादित मंत्रियों में से एक रहे हैं. जिन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हाड़ौती से ही कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह लगाते रहे हैं. भरत सिंह ने कई बार उन पर निशाना भी साधा है. सांगोद विधायक ने सीएम गहलोत से प्रमोद जैन भाया को मंत्रिमंडल से हटाने के लिए पत्र भी लिखे गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने उनकी इच्छा पूरी नहीं की. सीएम ने अपने वीटो का उपयोग कर भाया पर आशीर्वाद बनाए रखा. स्पष्ट है कि उनकी भी आस्था गहलोत संग ही है. यहां तक कि प्रमोद जैन भाया बारां जिले से आते हैं. जहां पर दो अन्य कांग्रेस विधायक हैं. किशनगंज से निर्मला सहरिया और बारां अटरू सीट से पानाचंद मेघवाल हैं. यह भी पूरी तरह से प्रमोद जैन भाया से जुड़े हुए है. भाया बारां जिले से आते हैं. जहां पर दो अन्य कांग्रेस विधायक भी हैं. किशनगंज से निर्मला सहरिया और बारां अटरू सीट से पानाचंद मेघवाल भी भाया के साथ खड़े दिखते हैं.

Last Updated : Sep 25, 2022, 2:18 PM IST
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