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भ्रष्टाचार की 'अफीम कथा' : कोटा ACB जानती है अफीम रिश्वत की A.B.C...अब तक इन 3 बड़े अफसरों को धरा

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Published : Jul 19, 2021, 4:59 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 5:16 PM IST

भ्रष्टाचार की 'अफीम कथा'
भ्रष्टाचार की 'अफीम कथा'

कोटा एसीबी की अफीम की रिश्वत के मामले में पीएचडी होल्डर कहा जा सकता है. कोटा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने अब तक भ्रष्टाचार के मामले के साथ करोड़ों की अफीम पकड़ी है. साथ ही रिश्वतखोरों की करोड़ों की संपत्ति का भी खुलासा किया है.

कोटा. आईआरएस अधिकारी डॉ. शशांक यादव को 16 लाख से ज्यादा की नगद राशि के साथ कोटा एसीबी ने पकड़ा. ये पैसा अफीम उगाने वाले किसानों से वसूला गया था. कोटा एसीबी की अफीम के मामले में ये पहली कार्रवाई नहीं थी. इससे पहले भी अफीम के मामले में कोटा एसीबी टीम कई बड़ी कार्रवाइयों को अंजाम दे चुकी है.

कोटा एसीबी की 3 कार्रवाई तो ऐसी थी जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी. जिनमें करोड़ों रुपए की अफीम बरामद की गई, लाखों की नगदी पकड़ी गई और करोड़ों की संपत्ति का खुलासा हुआ.

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कोटा एसीबी की अफीम के खिलाफ हुई कार्रवाई में दो आईआरएस अधिकारी हत्थे चढ़े. इसके अलावा सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो के अफीम के काले खेल और तस्करों से सांठ-गांठ को भी उजागर किया गया. एसीबी ने अब तक की कार्रवाई में अफीम की अवैध खेती करवाना, तस्करों से सांठ-गांठ, अफीम के तौल में गड़बड़झाला, तस्करों तक अफीम पहुंचाना जैसे घालमेल सामने आए. नाप से लेकर, क्वालिटी और डोडा-चूरा को नष्ट करने में गड़बड़ी तक की गई.

भ्रष्टाचार की 'अफीम कथा'
आईआरएस अधिकारी डॉ. शशांक यादव

एसीबी ने आईआरएस अधिकारी सहीराम मीणा को 26 जनवरी 2019 को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था. इस मामले में दलाल और अफीम किसानों पर लगे मुखिया कमलेश धाकड़ को भी गिरफ्तार किया गया. इसके बाद अपात्र लोगों को पट्टे देने और पात्र लोगों के पट्टे रदद् करने के मामले खुले. वहीं मुखिया और पट्टा वितरण प्रणाली का काला खेल उजागर हुआ. जिसमें आईआरएस अधिकारी सहीराम मीणा के घर जांच में तीन करोड़ नगद और करीब 270 करोड़ की संपत्ति मिली. जिसमें जयपुर में सैंकड़ों भूखंड और कई जगह उनकी जमीन मिली.

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आईआरएस अधिकारी सहीराम मीणा

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अफीम के ही दूसरे मामले में कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के चित्तौड़गढ़ सुपरिटेंडेंट सुधीर यादव को गिरफ्तार किया था. उनके साथ ही इंस्पेक्टर भानुप्रताप, कॉन्स्टेबल प्रवीण सिंह और तस्कर छगन गुर्जर को भी गिरफ्तार किया गया था. अन्य तस्करों के बारे में अभी पड़ताल जारी है. इस मामले में दो बार में 80 किलो अफीम एसीबी के अधिकारियों ने बरामद की थी. जो कि तस्कर के घर से मिली थी. साथ ही इसका बाजार मूल्य करीब 5 करोड़ आंका गया.

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केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के चित्तौड़गढ़ सुपरिटेंडेंट सुधीर यादव

इसके अलावा 30 लाख रुपए नगद भी मिले थे. इस पूरे प्रकरण में सामने आया था कि नारकोटिक्स ब्यूरो के अधिकारियों और कर्मचारियों के तस्करों के साथ ताल्लुकात थे. ये सब लोग मिलकर अवैध अफीम का नेटवर्क चला रहे थे. इसके पहले 10 अक्टूबर 2018 को एसीबी ने ही सीबीएन के इंस्पेक्टर विपिन गुप्ता को पट्टा जारी करने की एवज में 20 हजार रुपए लेते गिरफ्तार किया था. उनके साथ संविदा कर्मी पंकज पांचाल भी गिरफ्तार हुआ था.

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कोटा एसीबी की टीम ने तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ बीते ढाई साल में रिश्वत के मामलों में कार्रवाई की है. इनमें सबसे पहले सहीराम मीणा के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. इसके बाद 19 जून 2019 को इनकम टैक्स में कमिश्नर के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी अमरीश बेदी के खिलाफ भी कार्रवाई की गई. इसमें एक सेटलमेंट के मामले को लेकर रिश्वत मांगी गई थी. जिसमें दलाल के तौर एक वीरेंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया था. इसके जरिये 50 हजार की रिश्वत ली गई थी.

हालांकि इस मामले में अमरीश बेदी फरार हो गए थे. उनके खिलाफ कार्रवाई जारी है. तीसरे आईएएस अधिकारी डॉ. शशांक यादव है. जिन्हें हाल ही में एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया है. डॉ. शशांक यादव के पिता रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं. वहीं उनका भाई संजय यादव यूपी के बलिया में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात है.

Last Updated :Jul 19, 2021, 5:16 PM IST
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