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SPECIAL : कोटा में बन रहा प्रदेश का सबसे बड़ा बायोलॉजिकल पार्क, ये होगी खासियत

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Published : Sep 22, 2020, 1:47 PM IST

कोटा के नांता एरिया में प्रदेश का सबसे बड़ा अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क लगभग बनकर तैयार है. इस बायोलॉजिकल पार्क से पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा. क्योंकि इस एरिया में पहले से ही अभेड़ा महल मौजूद है. इसके अलावा अभेड़ा तालाब है, जहां पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं.

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क, Abheda Biological Park
अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क

कोटा. 126 एकड़ से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क कोटा में लगभग बनकर तैयार है. पार्क में फिनिशिंग और पूरे बायोलॉजिकल पार्क के सेटअप को तैयार किया जा रहा है. पार्क के इसी साल पूरा होने की उम्मीद है. अगले साल इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा. नांता एरिया में बना यह बायोलॉजिकल पार्क पूरे टूरिस्ट सर्किट को पूरा कर देगा. क्योंकि इस एरिया में पहले से ही अभेड़ा महल मौजूद है.

प्रदेश का सबसे बड़ा बायोलॉजिकल पार्क

इसके अलावा अभेड़ा तालाब है, जहां पर देश-विदेश से बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं. करीब 40 से ज्यादा प्रजातियों के विदेशी पक्षी यहां पर मौजूद रहते हैं. साथ ही करणी माता का भी प्रसिद्ध मंदिर पास में ही स्थित है. पर्यटक इस एरिया में एक बार जाने के बाद पूरे दिन घूमने फिरने का आनंद लोग ले सकेंगे. प्रदेश में 5 से ज्यादा बायोलॉजिकल पार्क हैं, लेकिन सबसे बड़ा बायोलॉजिकल पार्क कोटा में ही बनकर तैयार हो रहा है. इसके एंक्लोजर भी प्रदेश के अन्य बायोलॉजिकल पार्क में सबसे बड़े हैं. ऐसे में जीव स्वच्छंद विचरण एंक्लोजर में कर सकेंगे. साथ ही पर्यटकों को भी उन्हें देखने में आनंद आएगा.

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कोटा जू से शुरू हो गई शिफ्टिंग

उप वन संरक्षक डॉ. एएन गुप्ता के अनुसार कोटा जू से शाकाहारी जानवरों की शिफ्टिंग शुरू कर दी है. इसके बाद मांसाहारी जानवरों को भी अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क भेजा जाएगा. जिसके लिए पूरा प्रोटोकॉल फॉलो किया जा रहा है. अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बनाए गए एंक्लोजरो में 120 वन्यजीव रखे जाएंगे. इसके अलावा कई तरह के पक्षियों की प्रजातियां भी यहां होगी. इनमें तेंदुआ, बाघ, शेर, सियार, लोमड़ी, भेड़िया और भालू सहित अन्य मांसाहारी जानवर रखे जाएंगे. इसके अलावा शाकाहारी जानवरों में चीतल, सांभर, ब्लैकबक, चिंकारा और कई तरह की चिड़िया हैं. वहीं, बतख और अन्य पक्षी भी मौजूद रहेंगे.

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17 एंक्लोजर बनकर तैयार

कोटा के अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में 17 एंक्लोजर बनकर तैयार हो गए हैं. जिनमें से 13 वन्यजीव के लिए है. वहीं, चार एंक्लोजर पक्षियों के लिए बनाए गए हैं. इसके बाद दूसरे फेज में एंक्लोजर की संख्या बढ़ जाएगी. बाकी के 27 एंक्लोजर दूसरे फेज में स्वीकृति के बाद बनेंगे. इन्हें मिलाकर कुल 44 एंक्लोजर वन्य जीव और पक्षियों के होंगे.

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क, Abheda Biological Park
कोटा का वन संरक्षक कार्यालय
घूमने के लिए चाहिए 2 से 3 घंटे

कोटा के एसीएफ वन्यजीव अनुराग भटनागर ने बताया कि अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में सैर सपाटा जल्द ही शुरू होगा. उम्मीद है कि यह अगले साल से शुरू हो जाएगा और इसमें घूमने के लिए करीब 2 से 3 घंटे का समय लगेगा. क्योंकि यहां जाने वाले पर्यटकों को पैदल ही एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी. एंक्लोजर भी काफी दूरी-दूरी पर बनाए गए हैं. ऐसे में भीड़ पूरे पार्क में नहीं हो, साथ ही कैफेटेरिया और हट सभी जगह बनाई जाएगी. ताकि लोग आराम से खा पी सके.

सर्दी में हीटर और गर्मी में डक्ट पहुंचाएगा राहत

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में बनाए गए एंक्लोजर में वन्यजीवों को गर्मी और सर्दी से बचाने का भी पूरा ध्यान रखा गया है. गर्मी में उन्हें बचाने के लिए डक्ट सिस्टम लगाया गया है. वहीं, सर्दी के मौसम में भी उन्हें राहत देने के लिए हीटर लगाए गए हैं. इसके साथ ही एंक्लोजर में ही उपचार की व्यवस्था के लिए भी एक पूरा सेटअप तैयार किया गया है. बायोलॉजिकल पार्क में हॉस्पिटल का निर्माण भी किया जा रहा है, ताकि वन्यजीवों के बीमार होने पर उनका उपचार किया जा सके.

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कई सालों से थी बनाने की योजना

कोटा में अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को बनाने की योजना 1991-92 में तैयार की गई थी, लेकिन इस को स्वीकृति नहीं मिल रही थी. कोटा में अधिकारियों की काफी कोशिशों के बाद साल 2010 में इसे राजस्थान जैव विविधता प्रोजेक्ट में शामिल किया. हालांकि इसके निर्माण के लिए राशि तब भी जारी नहीं हुई. यह राशि साल 2017 में स्वीकृत हुई. इसके बाद 2018 से ही इसका निर्माण करवाया जा रहा है. इसके निर्माण एजेंसी नगर विकास न्यास कोटा है. इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी उप वन संरक्षक वन्यजीव कोटा कर रहे हैं.

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क, Abheda Biological Park
प्रगति पर है अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क का कार्य

10,000 से ज्यादा पौधे लगाए जा रहे

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क को हरा भरा बनाने के लिए करीब 10,000 से ज्यादा पौधे लगाए जा रहे हैं. इनका काम बीते एक साल से ही जारी है. यह पौधे बढ़ने लगे हैं और पेड़ के आकार की ओर अग्रसर हैं. इस कार्य में करीब एक करोड़ रुपए का खर्चा हुआ.

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