Kota Education City: कोटा बनी इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की टॉपर्स फैक्ट्री, 21 सालों में दिए 16 ऑल इंडिया टॉपर्स

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Published : Jan 1, 2022, 8:04 PM IST

Updated : Jan 1, 2022, 9:01 PM IST

Kota coaching institutes

शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध कोटा आज इंजीनियरिंग और मेडिकल फील्ड में करिअर बनाने की इच्छा रखने वालों की पहली सीढ़ी बन चुकी है. कोटा के कोचिंग संस्थान मानो जैसे विद्यार्थियों के लिए सफलता की कुंजी बन गई हो. हो भी क्यों न कोटा लगातार देश को टॉपर्स जो दे रहा है. अब तक 21 सालों में कोटा ने 16 ऑल इंडिया टॉपर्स (16 All India Toppers from Kota in 21 Years) दे दिए हैं.

कोटा. एजुकेशन के मामले में देशभर में कोटा की धाक है. यहां पर हिंदुस्तान से ही नहीं अब दूसरे देशों से भी स्टूडेंट पढ़ने आने लगे हैं लेकिन मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस में आज यह धाक ऐसे ही नहीं बनी है. इसके लिए काफी मेहनत की गई. इसी के परिणाम स्वरूप हर साल देश से निकलने वाले टॉपर ज्यादातर कोटा से ही निकल रहे हैं. 21 सालों में कोटा कोचिंग संस्थानों (Kota coaching institutes) ने 16 ऑल इंडिया टॉपर मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस (16 All India Toppers from Kota in 21 Years) में दिए हैं. इसमें जेईई मेन एग्जाम को भी जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा दो दर्जन तक पहुंच जाएगा. यह आंकड़ा देश भर में किसी भी शहर से आने वाले टॉपर्स की तुलना में सबसे आगे है. यह रिकॉर्ड कोटा के कोचिंग संस्थानों में मिलकर बनाया है जिस पर आज भी मेहनत जारी है. देशभर में लोग भी कोटा पर ही उम्मीद करते हैं.

21 सालों में 16 टॉपर कोटा से

कोटा कोचिंग को शुरू हुए 21 साल हो गए हैं, लेकिन यहां पर देशभर का टॉपर वर्ष 2000 में बना था. इसमें इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में नितिन गुप्ता टॉपर बने थे. इसके बाद कोटा ने इन 21 वर्षों में अब तक 16 ऑल इंडिया टॉपर दिए हैं. हालांकि इनमें जेईई मेन के टॉपर शामिल नहीं हैं. वहीं मेडिकल प्रवेश परीक्षा में यह रिकॉर्ड 11 साल पहले वर्ष 2010 में बना था. जब ऑल इंडिया पैरामेडिकल टेस्ट में कोटा से कोचिंग कर रहे लोकेश अग्रवाल पहली रैंक लेकर आए थे.

बीते 11 सालों में यह रिकॉर्ड 7 बार कोटा के नाम रहा है. इंजीनियरिंग एग्जाम के टॉपर की बात की जाए तो नितिन गुप्ता, डूंगराराम, अचिन बंसल, शितिकांत, चित्रांग मुरडिया, सतवत, अनम बंसल व कार्तिकेय गुप्ता शामिल हैं. जबकि मेडिकल प्रवेश परीक्षा में लोकेश अग्रवाल, आयुष गोयल, तेजस्विनी झा, हेत संजय शाह, निशिता पुरोहित, नलिन खंडेलवाल, शोएब आफताब शामिल हैं.

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कोटा ने ही शुरू किया परफेक्ट स्कोर का रिकॉर्ड

नीट यूजी के अलावा जेईई मेन परीक्षा में भी कोटा परफेक्ट स्कोर का रिकॉर्ड बना चुका है. मेडिकल प्रवेश परीक्षा के इतिहास में पहली बार परफेक्ट स्कोर यानी कि पूर्णांक में से पूरे अंक लाने वाले एकमात्र स्टूडेंट शोएब आफताब बने थे. उन्होंने नीट यूजी 2020 में ये रिकॉर्ड बनाया था जबकि जेईई मेन 2017 में कोटा से कोचिंग कर रहे छात्र कल्पित वीरवाल ने परफेक्ट स्कोर का रिकॉर्ड कायम किया था. इसके बाद में 2020 में कई स्टूडेंट कोटा से यह रिकॉर्ड बना चुके हैं. 2021 में भी यह सिलसिला जारी रहा है जिसमें काव्या चोपड़ा, अखिल जैन व पार्थ द्विवेदी जैसे होनहार शामिल रहे. हालांकि अभी भी कोटा के कोचिंग संस्थानों के लिए जेईई एडवांस परीक्षा में परफेक्ट स्कोर लाना एक चुनौती बना हुआ है. नीट यूजी और जेईईमेन के बाद अब जेईई एडवांस परीक्षा में परफेक्ट स्कोर लाने के लिए वे जी तोड़ मेहनत भी स्टूडेंट्स के साथ में कर रहे हैं.

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यहां पर क्रिएट किए जाते हैं टॉपर

कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि कोटा में टॉपर्स को क्रिएट करने की क्षमता है. जिन बच्चों में पोटेंशियल ज्यादा होता है उनके साथ फैकल्टी अलग से मेहनत भी करती है ताकि वे बढ़िया रैंक ला सकें. इन बच्चों के सेलेक्शन से लेकर टॉपर बनाने तक 3 से 4 स्तर पर काम होता है. पहले बच्चे को सेलेक्ट किया जाता है और उसकी मेहनत करने के पोटेंशियल को चेक किया जाता है. इसके बाद ही बच्चे के साथ फैकल्टी से लेकर हॉस्टल तक में भी मेहनत की जाती है. इन बच्चों को सिंगल आंकड़े में रैंक लाने या टॉप करने के लिए टेंपरामेंट तैयार किया जाता है.

टॉपर्स के साथ जमकर मेहनत करती है फैकल्टी

कोटा के एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी सफलता का श्रेय कोटा कोचिंग की शुरुआत करने वाले वीके बंसल को जाता है. उन्होंने ही यह मैकेनिज्म यहां पर तैयार किया है. कोटा के सभी लोगों का लर्निंग प्रोसेस भी अच्छा होता है.सभी लोगों ने इसे सीख भी लिया है. इस मैकेनिज्म को लगातार इंप्रूव भी किया गया है और सभी लोग इसे लागू भी कर रहे हैं. इसी के चलते लगाता कोटा से एक के बाद एक टॉपर निकल रहे हैं. बच्चों के स्टडी मैटेरियल, कंटेंट से टेस्ट भी ज्यादा लिए जाते हैं. इस परीक्षा में स्ट्रेस मैनेजमेंट सिखाया जाता है. कई बार बच्चे के एग्जाम में कम नंबर आते हैं. ऐसे में उन्हें फ्रस्ट्रेशन न हो इसके लिए भी काम किया जाता है. कक्षा 11वीं में एडमिशन लेने वाले बच्चों के साथ यह मेहनत पूरे 2 साल चलती है. कुछ बच्चे कक्षा 9 से एडमिशन लेते हैं तो उनके साथ मेहनत 4 साल चलती है.

Last Updated :Jan 1, 2022, 9:01 PM IST
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