मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के बावजूद राजस्थान सरकार ने शुरू नहीं की लहसुन की खरीद, किसानों को रोज हो रहा नुकसान

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Published : Jun 21, 2022, 12:21 AM IST

Buying not started even after MIS for garlic crop

मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत किसानों के औने पौने दाम पर बिक रहे लहसुन खरीद की केंद्र सरकार ने स्वीकृति दे दी है, लेकिन राजस्थान सरकार ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया (Buying not started even after MIS for garlic) है. किसानों की खरीद नहीं हो पा रही है, अभी भी मंडी में किसानों को औने-पौने दाम ही लहसुन बेचना पड़ रहा है. सरकारी खरीद की मात्रा और समय को लेकर भी किसानों को किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई है.

कोटा. केंद्र सरकार ने करीब 15 दिन पहले लहसुन मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत खरीद की स्वीकृति राज्य को दे दी थी, लेकिन राजस्थान सरकार ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया है. किसानों की खरीद नहीं हो पा रही (Raj govt not started buying of garlic even after MIS) है. अभी भी मंडी में किसानों को लहसुन औने-पौने दाम पर ही बेचना पड़ रहा है. इससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है.

ईटीवी भारत ने कोटा मंडी में किसानों से जाकर बात की और पूरे मामले का जायजा लिया. जिसमें किसानों का कहना है कि यह खरीद एक छलावा जैसी ही साबित होने वाली है. किसानों का कहना है कि खरीद भी 100 से लेकर 150 क्विंटल तक होनी चाहिए, ताकि हमें मुनाफा भी मिले केवल 25 से 40 क्विंटल खरीद से केवल खानापूर्ति हो पाएगी. केंद्र ने राजस्थान सरकार को 1,06,000 मीट्रिक टन लहसुन की खरीद की स्वीकृति दी है. इसके दाम 2957 रुपए प्रति क्विंटल रखे गए हैं, लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हो पाई है. कोटा के सबसे बड़े लहसुन केंद्र में सेठ भामाशाह कृषि उपज मंडी में 5000 क्विंटल लहसुन रोज आ रहा है. यह लहसुन 2 से लेकर 25 रुपए किलो तक बिक रहा है. ऐसे में किसानों को रोज करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. जबकि कुछ समय पहले तक यह लहसुन 10 हजार रुपए तक आ रहा था.

लहसुन की फसल को लेकर किसानों को क्यों हो रहा नुकसान...

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किसान बोले- खरीद का केवल विश्वास दिला रहे: सांगोद इलाके के किसान माणकचंद का कहना है कि उनके सामने कई समस्याएं हैं. करीब 70 कट्टे मंडी में हम लेकर आए थे, इनमें 20 कट्टे 14 रुपए किलो बिका है. जबकि बचे हुए में आधा तीन और 10 रुपए किलो बिका है. इसमें 50 हजार रुपए ही आए हैं. जबकि हमारा इसे उगाने में ही डेढ़ लाख का खर्चा हुआ है. सरकारी कांटे पर कब लहसुन की तुलाई होगी, यह कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. केवल हमें विश्वास ही दिलाया जा रहा है. बीते साल भी हमारा ऑनलाइन टोकन कट गया था, नंबर आने के पहले ही खरीद बंद हो गई थी.

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साइज में फिट बैठना भी बड़ी चुनौती, अब बारिश में कैसे होगी तुलाई : किसानों की समस्या यह भी है कि खरीद में अच्छी क्वालिटी का लहसुन ही लिया जाता है. कितने एमएम की साइज का लहसुन खरीदा जाएगा. यह भी अभी नहीं बताया गया है. पिछली बार करीब 25 एमएम की साइज के लहसुन को ही खरीद के शर्त में शामिल किया गया था. ऐसे में जो लहसुन इस साइज में फिट नहीं बैठता है, उसकी खरीद नहीं हो पाएगी. इससे साफ है कि काश्तकारों को नुकसान होगा. बारिश का सीजन भी आ गया है. ऐसे में लहसुन को लाना ही खतरे से खाली नहीं होगा. क्योंकि लहसुन लाने पर वह भीग जाएगा. जिसके चलते तुलाई भी नहीं हो पाएगी.

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सैकड़ों क्विंटल लहसुन, खरीद होगी केवल 25 या 40 क्विंटल: किसानों से कितना लहसुन खरीदा जाएगा. इस बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. इस बार 25 या 40 क्विंटल खरीद होगी, यह भी साफ नहीं है. साल 2018 में की गई खरीद में 40 क्विंटल लहसुन एक किसान से लिया गया था. हालात ऐसे हैं कि कई किसानों के पास 500 से 600 क्विंटल लहसुन है. जबकि सरकारी खरीद केंद्र पर एमआईएस के तहत केवल 40 क्विंटल की ज्यादा से ज्यादा तुलाई हो सकती है. ऐसे में बचे हुए लहसुन को औने-पौने दाम पर ही मंडी में बेचना होगा.

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गिरदावरी में गड़बड़झाला, लहसुन की जगह गेंहू: किसानों की गिरदावरी में भी गड़बड़झाला है. झालावाड़ जिले के खानपुर के किसान मदन लाल मीणा की गिरदावरी में गेहूं दिखाया हुआ है. जबकि उन्होंने लहसुन का उत्पादन किया है. ऐसे में जब वहां पर जाएंगे तब टोकन ही नहीं कट पाएगा. इसीलिए मंडी में आकर बेच रहे हैं. केंद्र सरकार ने घोषणा जरूर कर दी है, लेकिन उसके बाद राज्य सरकार आदेश जारी करेगी. इसके बाद लहसुन खरीद केंद्र स्थापित किए जाएंगे. जिनके लिए मेन पावर और अन्य व्यवस्थाओं के टेंडर होंगे. इसके अलावा लोडिंग-अनलोडिंग के ट्रांसपोर्टेशन की निविदा भी जारी होगी.

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