Top Class facilities in Kota Hostels : यहां स्ट्रेस मैनेजमेंट से लेकर बच्चे की पूरी मॉनिटरिंग, होटल के बराबर VVIP सुविधाएं भी

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Published : Jan 3, 2022, 7:09 PM IST

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कोटा में कोचिंग के साथ बेहतरीन होस्टल की सुविधा है. कुछ होस्टल तो VVIP होटलों जैसी सुविधा दे रहे हैं. जिससे बच्चों को रहने खाने में दिक्कत ना हो और वे पूरी तरह फोकस रहें. वहीं सुविधाएं ऐसी भी है कि हजार किमी दूर बैठे पैरंट्स अपने बच्चे की गतिविधियों पर पूरा ध्यान रख सकते हैं.

कोटा. कोचिंग (Kota Coaching) सिटी कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले छात्रों की पहली पसंद है. वहीं कोटा के होस्टलों में सुविधा इतनी अच्छी है कि आने वाले बच्चे और उनके पैरेंट्स देखकर भी चौंक जाते हैं. होस्टलों में बच्चों के लिए प्ले जोन, जिम, क्रिएशन रूम, टेबिल टेनिस, आउटडोर और इनडोर गेम्स और स्वमिंग पुल तक भी बनाएं हुए (VVIP facilities in Kota Hostels) हैं.

कोटा में बेहतरीन पढ़ाई के साथ होस्टल ऐसे बनाए गए हैं कि बच्चे स्टडी करते समय जब बोर हो जाएं तो वह अपने आप को रिफ्रेश कर सकें. कई हॉस्टल में तो फाइव स्टार फैसिलिटी बच्चों को उपलब्ध कराई गई है. उन्हें घर से दूर भी यहां पर पूरी केयर दी जा रही है. बच्चों की पूरी मॉनिटरिंग रखने के साथ-साथ उनके स्ट्रेस मैनेजमेंट का भी ख्याल कोटा के हॉस्टल रखते हैं. यही कारण है कि यहां से बच्चे सफलता भी पा रहे हैं.

कोटा हॉस्टल में सुविधाएं

हॉस्टल्स की सुविधाओं की बात की जाए तो पूरी तरह से वाईफाई जोन बने हुए हैं. कमरों में भी बच्चों को एसी और गीजर की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. जिससे सर्दी और गर्मी में उन्हें परेशानी नहीं हो. हॉस्टल में बच्चों को आरामदायक बेड उपलब्ध करवाए गए हैं, उन्हें रात को नींद लेने में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो. यहां तक की पढ़ाई के लिए भी स्पाइन चेयर बच्चों के लिए लगाई गई है. सभी हॉस्टलों में पावर बैकअप होने से पढ़ाई में किसी तरह की कोई दिक्कत बच्चों को नहीं आती है.

एक छत के नीचे सारी सुविधा, VVIP सुविधा भी उपलब्ध

कोटा शहर में अपने सपनों को पूरा करने के लिए देश भर से बच्चे आ रहे हैं. यह क्रम कई साल से चालू है. ऐसे में इन बच्चों के रहने के लिए पहले पीजी हुआ करते थे, लेकिन वहां पर व्यवस्थाएं अलग-अलग होती थी. बच्चे मकानों में कमरा किराए से मिल जाता था लेकिन उसे खाने-पीने और लॉन्ड्री का जुगाड़ अलग करना पड़ता था. बच्चों को पीजी में रहने की आदत तो थी लेकिन कई सुविधाओं का अभाव उनमें था. ऐसे में बच्चे ऐसी रहने की व्यवस्था चाहते थे. जहां पर सब कुछ एकजुट उन्हें मिल जाए. जिससे उन्हें परेशान नहीं होना पड़े. इन सब सुविधाओं को एक जगह एकत्रित करने के लिए ही हॉस्टल यहां पर बने, लेकिन धीरे-धीरे हॉस्टलों में सुविधाएं विकसित होती जा रही है. सभी सुविधाएं एक छत के नीचे बच्चों को मिल रही है. व्यवस्थाएं एक जगह मिलने पर पैरेंट्स भी इसे मुफीद मानने लगे और फिर कोटा का हॉस्टल कल्चर शुरू हो गया. अब वीवीआइपी सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं.

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होस्टल की संख्या 3300 के पार

कोटा में जब हॉस्टल की जरूरत सामने आई, तब बच्चों की डिमांड को देखते हुए एक ग्रुप ने विज्ञान नगर में हॉस्टल बनाया. इसके बाद तलवंडी इलाके में भी हॉस्टल बनना शुरू हुए. बाद में यह हॉस्टल राजीव गांधी नगर और इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पलेक्स की तरफ शिफ्ट हो गए. उसके बाद न्यू राजीव गांधी नगर, महावीर नगर और जवाहर नगर में भी हॉस्टल बने.

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कोचिंग संस्थान ने अपनी ब्रांच लैंड मार्क सिटी में शुरू की, उसके बाद वहां भी बड़ी संख्या में हॉस्टल बन गए हैं. अब नया कोचिंग एरिया कोरल पार्क बना है, जहां भी हॉस्टल शुरू हो गए हैं और बड़ी संख्या में निर्माण भी जारी है. कोटा में कुल मिलाकर अभी तक 3300 से ज्यादा हॉस्टल बनकर तैयार है. जिनमें डेढ़ लाख से ज्यादा सिंगल रूम बच्चों के लिए उपलब्ध हैं.

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होस्टल में जिम की फैसिलिटी

कोटा में प्रमुख रूप से 8 कोचिंग एरिया बने हुए हैं. इनमें कुछ किलोमीटर के दायरे में ही हजारों की संख्या में बने हुए हैं. साथ ही 100 से ज्यादा हॉस्टलों का निर्माण लैंडमार्क, राजीव गांधी नगर, कोरल पार्क सहित अन्य कई इलाकों में हो रहा है.

कोटा की इकोनॉमी में लाखों रुपए का योगदान

कोटा के हॉस्टल का किराया की बात की जाए तो यह आठ हजार रुपए के आसपास से शुरू होता है. सिंगल स्टूडेंट्स के लिए यह राशि 14 हजार रुपए तक भी है. कुछ हॉस्टल ऐसे हैं, जहां पर बच्चे अपनी मां के साथ भी रहते हैं. उन्हें गैस से लेकर हर सुविधा भी हॉस्टल में उपलब्ध कराई जा रही है. ये हॉस्टल वन बीएचके फ्लैट की तरह बने हुए हैं. ऐसे में इनका किराया करीब 20 हजार रुपए तक भी है. जिन भी एरिया में हॉस्टल बने हुए हैं, वहां पर जमीनों के दाम आसमान पर हैं. इन इलाकों में करीब 10 हजार स्क्वायर फीट के आसपास ही जमीन मिल रही है. जिस पर हॉस्टल खड़े करने में भी करोड़ों रुपए का खर्चा आता है.

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कोटा की हॉस्टल इंडस्ट्री की बात की जाए, तो यह भी करोड़ों रुपए के पार पहुंच गई है. क्योंकि जब डेढ़ लाख रूप सिंगल रूम यहां पर मौजूद है और बच्चे पूरे साल में 70 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक इनका किराया चुका रहे हैं.

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होस्टलों में स्टडी जोन

बायोमेट्रिक से ही बच्चे की अटेंडेंस, हजारों किलोमीटर दूर मां-बाप कर रहे मॉनिटरिंग

हॉस्टल के नियमों के मुताबिक बच्चों के निकलने और वापस आने के भी कड़े नियम यहां पर बने हुए हैं. बच्चा सुबह 6 बजे के बाद शाम 7 बजे तक ही बाहर रह सकता है. अगर इससे ज्यादा समय बच्चा बाहर रहता है तो उसके पैरंट्स से तुरंत कंसर्न ली जाती है. यहां तक कि बायोमैट्रिक से बच्चों के अटेंडेंस होती है. हॉस्टल से छात्र-छात्राओं के निकलने पर जब वे बायोमेट्रिक करते हैं, तो उनके मां पिता को भी SMS से जानकारी मिल जाती है. ऐसे में हजारों किलोमीटर दूर बैठे हुए मां बाप भी बच्चे की सीधी मॉनिटरिंग रख पाते हैं.

बच्चों के लिए थंब इंप्रेशन के अलावा आयरिश और रिकॉग्नाइज एक्शन की भी बायोमेट्रिक यहां पर लगी हुई. बायोमेट्रिक स्क्रीन पर पूरी जानकारी उपलब्ध होती है. ऐसे में हॉस्टल की वार्डन भी तुरंत देखकर पता लगा सकती है कि कौन से रूम का स्टूडेंट हॉस्टल से गायब है.

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होस्टल में पुल की सुविधा

कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि अब तक अलग-अलग नियमों से सभी हॉस्टलों को संचालित किया जा रहा था. इनमें बदलाव की जरूरत हमें महसूस हुई क्योंकि कोविड-19 के बाद काफी कुछ बदल गया है. ऐसे में अब हम सभी हॉस्टल को एक नियम से चलाने के लिए कार्य कर रहे हैं. पूरे कोटा शहर के हॉस्टल जल्द ही एक नियम से संचालित होंगे. सभी हॉस्टल एसोसिएशन ने इसमें सहमति भी जता दी है.

500 रुम तक होस्टल मौजूद

बच्चों की केयर रखने के लिए 20 से भी ज्यादा लोगों का स्टाफ तैनात किया जाता है. हालांकि अधिकांश हॉस्टल बड़ी कैपेसिटी के हैं. यहां पर करीब 60 सिंगल रूम से भी ज्यादा बड़े-बड़े हॉस्टल यहां पर मौजूद हैं. जिनकी संख्या 500 रूम तक कैपेसिटी के हॉस्टल मौजूद है. ऐसे में अधिकांश होस्टल में 20 से ज्यादा का स्टाफ है. जिनमें सुरक्षा गार्ड, स्वीपर से लेकर हॉस्पिटैलिटी, मैस, हाउसकीपिंग और वार्डन शामिल है. ऐसे में हजारों लोग इन हॉस्टल में सीधे तौर पर रोजगार भी ले रहे हैं.

हॉस्टल में होटल जैसा खाना, स्ट्रेस मैनेजमेंट तक भी

कोरल पार्क हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि बच्चों के खाने में हाइजीन का पूरा ध्यान रखा जाता है. यह कहा जा सकता है कि इन बच्चों को हम अच्छे होटल जैसा खाना ही उपलब्ध करा रहे हैं, जो घर जैसा सादा ही उन्हें मिलता है. बच्चों को सुबह शाम दूध और उन्हें ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर भी बिल्कुल साफ सुथरा उपलब्ध कराया जाता है. बच्चे को अगर अच्छा खाना मिल जाता है तो उसका पढ़ाई में भी पूरी तरह से मन लगता है. बच्चों की स्ट्रेस मैनेजमेंट की क्लास संचालित करवा दी है. करीब 45 से ज्यादा में हॉस्टल में एक्टिविटी की गई है.

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