जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के तहत चाहा गया रिकॉर्ड और दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाने के मामले में दायर रिट याचिका पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव, बाड़मेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और झांफलीकलां ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी और सरपंच को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
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बाड़मेर जिले के झांफलीकलां निवासी रणवीरदान की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजाक के हैदर और पंकज एस चौधरी ने रिट याचिका दायर कर कहा कि आवेदक ने राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के नियम 321 सपठित नियम 324 के तहत विकास कार्यों से संबंधित दस्तावेजों की सत्यापित प्रति चाही थी, जिसका जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने नियम 328 के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी को प्रतिवेदन भेजा, जिसका भी निस्तारण नहीं हुआ.
सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश विजय बिश्नोई ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव, बाड़मेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और शिव पंचायत समिति की झांफलीकलां ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी और सरपंच को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब पेश करने का आदेश दिया.
आरटीआई का विकल्प है यह नियम
यह पंचायती राज संस्थाओं (यथा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) से दस्तावेज अथवा रिकॉर्ड लेने के लिए सूचना के अधिकार का विकल्प है. जिसके तहत केवल चार दिन (अधिकतम) में पंचायतराज संस्थाओं को आवेदकों को चाहे गए रिकॉर्ड अथवा दस्तावेज उपलब्ध करवाना होता है. नियम 328 के तहत मुख्य कार्यकारी अधिकारी को इन नियमों की पालना सुनिश्चित करनी होती है. इन प्रावधानों की समुचित रूप से पालना नहीं करने और आवेदक को रिकॉर्ड/दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पंचायतराज विभाग के शीर्ष अधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं.