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सावधान ! फिंगर प्रिंट का क्लोन बनाकर हो रही बैंक खातों में सेंधमारी, 54 लाख उड़ाए

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Published : Sep 10, 2021, 1:24 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 10:45 PM IST

निजी ई-मित्र या कियोस्क बैंकिंग करना भी अब खतरे से खाली नहीं है. ऐसे कियोस्क चलाने वाले शातिर बदमाश बैंकिंग के दौरान उपयोग होने वाले फिंगर प्रिंट सेव कर उनका क्लोन बना रहे हैं और उसके बाद लोगों के खातों में सेंध लगा रहे हैं. जब कोई व्यक्ति ऐसे कियोस्क पर बैंकिंग करने के लिए जाता है तो उसे पता भी नहीं होता कि जिस फिंगर प्रिंट की मदद से वह राशि प्राप्त कर रहा है वह सेव भी किया जा रहा है.

Fraud by cloning finger print
बैंक खातों में सेंधमारी

जोधपुर. फिंगर प्रिंट का क्लोन बना कर शातिर बदमाश कई राज्यों में लोगों के खातों में सेंध लगा चुके हैं. अब तक हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक व बिहार में लोगो के खातों से 54 लाख रुपए उड़ा चुके हैं. जिसकी भरपाई आईटी कंपनी को करनी पड़ी.

खास बात ये है कि जब कोई व्यक्ति ऐसे कियोस्क पर बैंकिंग करने के लिए जाता है तो उसे पता भी नहीं होता है कि जिस फिंगरप्रिंट की मदद से वह राशि प्राप्त कर रहा है, वह सेव भी किया जा रहा है. जोधपुर की एक आईटी सॉल्यूशन कंपनी ने ऐसे बदमाशों के खिलाफ शास्त्री नगर थाने में मामला दर्ज करवाया है.

पुलिस के अनुसार एक्सेल वन स्टॉप सॉल्यूशन कंपनी के दीपक अग्रवाल की रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया है, जिसका इस्तेमाल ईमित्र पर बैंकिंग के लिए होता है. इसमें खाताधारक का वेरिफिकेशन उसके फिंगरप्रिंट से आधार के साथ मिलान से होता है. उसके बाद ही भुगतान जारी होता है. इस सॉफ्टवेयर में तकनीकी बदलाव कर कुछ लोगों ने खाताधारकों का वेरिफिकेशन होते समय फिंगरप्रिंट का क्लोन बनाकर खातों से रुपए निकाल लिए हैं.

कंपनी की ओर से झारखंड हरियाणा व पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों के 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है. जिन्होंने सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी कर यह फर्जीवाड़ा किया है. शास्त्रीनगर नगर थाने के उपनिरीक्षक पुखराज इस प्रकरण की जांच कर रहे हैं. दीपक अग्रवाल के अनुसार ऐसी शिकायतों के साथ ही कम्पनी ने स्तर पर तकनीकी जांच की तो यह सामने आया कि कुछ ई-मित्र संचालकों जिनके यहां उनका सॉफ्टवेयर था, उन्होंने यह बदमाशी की है. थानाधिकारी पंकज राज माथुर के अनुसार दर्ज परिवाद के अनुसार 9 जनों ने करीब 54 लाख रुपए लोगों के खातों से निकाल लिए.

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क्लोनिंग बनाकर करते हैं फर्जीवाड़ा

जब कोई व्यक्ति किसी ई कियोस्क के माध्यम से राशि निकालता है तो वहां पर फिंगरप्रिंट देना होता है, यह फिंगरप्रिंट और आधार से बायोमेट्रिक मैचिंग होने के बाद ही बैंक से कियोस्क संचालक को राशि जारी करने की सूचना मिलती है. जिसके आधार पर व्यक्ति को भुगतान दिया जाता है.

इस तरह के ज्यादातर की ओर वह प्राइवेट ई-मित्र ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैं. जहां एटीएम की सुविधा बहुत कम होती है और जिनका उपयोग बहुतायत ग्रामीण करते हैं. बदमाशों ने ऐसे मित्रों पर तकनीकी बदलाव कर लोगों के फिंगरप्रिंट को सेव कर उनका क्लोन बनाकर राशि निकालनी शुरू कर दी.

Last Updated : Sep 10, 2021, 10:45 PM IST
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