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Consumer Protection Commission Rajasthan: ऑनलाइन फ्रॉड में ग्राहक की लायबिलिटी शून्य, अवैध निकासी के 3.60 लाख अदा करेगी बैंक

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Published : Dec 13, 2021, 12:44 PM IST

राजस्थान राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग (Rajasthan State Consumer Protection Commission) ने अवैध निकासी के एक मामले में फैसला सुनाते हुए बैंक की सेवा में कमी (SBI Bank Service Deficiency) मानते हुए खाते से निकाली गई राशि 3.60 लाख रुपए परिवादी को लौटाने का आदेश दिया है. जानें क्या है पूरा मामला...

Consumer Protection Commission Rajasthan
Consumer Protection Commission Rajasthan

जोधपुर. ग्राहक द्वारा खाता में जमा कराई गई राशि की बैंक ना केवल ट्रस्टी है, बल्कि खाता से अवैध निकासी के मामले में बैंक का यह दायित्व है कि वह मामले की विस्तृत जांच करवाकर वास्तविकता का पता लगाये. एटीएम के जरिए अवैध निकासी की शिकायत के मामले में बैंक द्वारा जांच के बिना ही ग्राहक को जिम्मेदार ठहराने पर उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने न केवल एसबीआई की कार्यप्रणाली की आलोचना (Criticism Of The Functioning Of SBI) की है बल्कि निकासी राशि 3.60 लाख रुपए मय क्षतिपूर्ति ग्राहक को वापस लौटाने का भी आदेश दिया है.

ये है पूरा मामला

मगरा पूंजला निवासी गोविन्दलाल द्वारा उपभोक्ता संरक्षण आयोग (Consumer Protection Commission Rajasthan) द्वितीय में परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि भारतीय स्टेट बैंक हाईकोर्ट शाखा में उसके खाता में से 4 से 9 फरवरी, 2019 के दौरान प्रतिदिन 40 हजार की राशि एटीएम के जरिए विड्राल की गई है, जबकि उसने एटीएम कार्ड का उपयोग ही नहीं किया है. विपक्षी बैंक द्वारा जबाव प्रस्तुत कर यह कहा गया था कि एटीएम कार्ड व पिन नंबर परिवादी के पास होने से अन्य व्यक्ति द्वारा निकासी संभव नहीं है तथा कार्ड व पिन की सुरक्षा के लिए खाताधारक ही जिम्मेदार है.

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बैंक ने नहीं की कोई कार्यवाही

आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की बैंच ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि परिवादी ने अवैध निकासी के बाबत तुरंत बैंक शाखा को सूचित किया था. बैंक अधिकारियों के निर्देशानुसार पुलिस थाना उदयमंदिर में प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज करा दी गई. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने पर परिवादी द्वारा बैंकिंग लोकपाल, जयपुर को भी परिवाद प्रस्तुत किया गया. जिन्होंने मई 2019 में बैंक को इस मामले की विस्तृत जांच करवाने का आदेश दिया था, लेकिन इस के बावजूद बैंक ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

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बैंक ने सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं करवाये

आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि खाते से तृतीय पक्ष के अवैध आहरण के मामले में ग्राहक की जीरो लाइबिलिटी (Customer liability in online fraud) होती है. विपक्षी बैंक ने परिवादी को सीसीटीवी कैमरे के फुटेज भी उपलब्ध नहीं करवाये हैं. आयोग ने बैंक की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि बैंकिंग लोकपाल के आदेश के बावजूद ढाई वर्ष तक कोई जांच किए बिना मात्र परिवादी द्वारा ही राशि निकासी का कोरा कथन कर बैंक ने अपने कर्तव्य से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है, जो उचित नहीं है.

आयोग ने विपक्षी बैंक की सेवा में कमी (SBI Found Guilty Of Deficiency In Service) मानते हुए खाते से निकाली गई राशि 3.60 लाख रुपए परिवादी को लौटाने के अलावा शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति राशि दस हजार रुपए व परिवाद खर्च 5 हजार रुपए अदा करने (Bank will pay for illegal withdrawal) हेतु विपक्षी बैंक को आदेश दिया है.

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