ETV Bharat / city

World No Tobacco Day 2022: तंबाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर ही नहीं पर्यावरण पर भी पड़ रहा प्रतिकूल असर, चिकित्सकों ने जताई चिंता

author img

By

Published : May 31, 2022, 9:37 AM IST

Updated : May 31, 2022, 1:26 PM IST

World No Tobacco Day 2022: हर साल तंबाकू के सेवन के कारण होने वाले प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोगों से लाखों लोगों की मौत हो रही है. वहीं तंबाकू उद्योग का कचरा, तंबाकू उत्पादों को बनाने और पैकेजिंग में पर्यावरण का भयंकर नाश किया जा रहा है. मतलब तंबाकू उत्पाद आपको बीमार तो बना ही रहे हैं, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी चुनौती खड़ी हो रही है. इसको लेकर चिकित्सकों ने चिंता जताई है.

World No Tobacco Day
World No Tobacco Day

जयपुर. अक्सर हम सब सोचते हैं कि बीड़ी, सिगरेट, पान, गुटखा, धूम्रपान आदि उत्पादों के सेवन से कैंसर हो सकता है, लेकिन इससे भी अधिक खतरा बढ़ रहा है हमारे पर्यावरण पर, जिससे हम सब प्रभावित हो रहे हैं. तंबाकू व अन्य चबाने वाले उत्पादों के सेवन से देशभर में करीब 13 लाख लोग अकारण ही मौत के शिकार हो जाते हैं. वहीं राजस्थान में करीब 65 हजार लोगों की मौत हो जाती है. इस पर राजस्थान के ईएनटी चिकित्सकों, सुखम फाउंडेशन, एसोसियेशन ऑफ आटोलंरेंगोलेजिस्ट ऑफ इंडिया (एओआई) सहित कई सामाजिक संगठनों ने 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' (World No Tobacco Day 2022) के मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई है.

सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान, नाक और गला विभाग आचार्य डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि प्रदेश में ही नहीं देशभर में आज सिगरेट, बीड़ी के बट्स, गुटखे के खाली पाउच, पान मसाला, धूम्रपान उत्पादों को उपभोग के बाद खुले में फेंक दिया जाता है. कुछ ही समय बाद ये सब नालियों में जमा हो जाते हैं, जिससे नालियां भी अवरुद्ध हो जाती है. इसके विषैले पदार्थ मिट्टी में और उसके जरिए भूमिगत पानी में भी चले जाते हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि तंबाकू उत्पादों में करीब 7 हजार से अधिक विषैले रसायन होते हैं, जोकि न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण पर भी बड़े खतरे के रुप में उभर रहे हैं.

चिकित्सकों ने जताई चिंता

पढ़ें- World No Tobacco Day 2022: राजस्थान में एक करोड़ से अधिक तंबाकू के लती, चिकित्सा विभाग दिलाएगा नशा छोड़ने की शपथ

तंबाकू उत्पाद पर्यावरण पर बड़ा खतरा- उन्होंने बताया कि सिगरेट, बीड़ी के टुकड़े, लोगों द्वारा पान सुपारी, गुटखे की पीक जमीन पर थूकने से जमीन का पानी विषैला होता जा रहा है. सिगरेट के बट में प्लास्टिक होता है, जोकि कभी गलता नहीं है. सिगरेट बट को बनाने वाले पदार्थ सेल्यूलोज एसीटेट, पेपर और रेयाॅन के साथ मिलकर पानी और जमीन को भी प्रदूषित और विषैला बना रहे हैं. तंबाकू के सेवन से मुंह का कैंसर, फेफड़े, हृदय, गले का कैंसर तो होता ही है. यह हमारे पर्यावरण को भी कैंसर बनाता जा रहा है. हवा से लेकर पानी तक पर भी इसका प्रभाव सामने आ रहा है. सिगरेट के बट माइक्रोप्लास्टिक से जुड़े प्रदूषण की बड़ी समस्या बनता जा रहा है.

डॉ.सिंघल ने बताया कि टुथ इनीशियेटिव की रिसर्च में भी सामने आया है कि सिगरेट बट और धूम्रपान के अन्य उत्पादों से जितना विषैला जहर निकलता है, वह हमारे ताजे पानी और नमकीन पानी की 50 फीसदी मछलियों को भी मार सकता है. इसका दूरगामी परिणाम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और पर्यावरण की खाद्य श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. वर्ष 2022 में राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल ने भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इसके लिए दिशा निर्देश जारी किए थे.

पढ़ें- World No Tobacco Day: भारत में युवाओं में तंबाकू की सबसे अधिक लत, हर साल लाखों लोग गंवा रहे जान

ईएनटी चिकित्सकों ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर जताई चिंता- विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day 2022) प्रतिवर्ष एक थीम के साथ मनाया जाता है. वर्ष 2022 के लिए 'पर्यावरण की रक्षा करें' की थीम रखी गई है. विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम के माध्यम से सालभर इस मुद्दे पर काम किया जाता है, ताकि तंबाकू व अन्य उत्पादों के सेवन से होने वाले खतरों व बीमारियों के साथ स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाई जा सके. इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रुप में 31 मई 1987 से लगातार मनाया जाता है.

देश के ईएनटी चिकित्सकों के संगठन व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्मयंत्री अशोक गहलोत को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर पत्र देकर तंबाकू व चबाने वाले सभी तरह के उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया जा रहा है. इसके साथ ही इससे होने वाले खतरों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. वहीं तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों पर तंबाकू उत्पादों से होने वाले राजस्व आय से तीन गुना अधिक इन उत्पादों से बीमार होने वालों के स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ता है. इन सभी उत्पादों की पीक, खाली पाउच, सिगरेट व बीड़ी के बट को साफ करने पर भी सरकार को अधिक खर्च करना पड़ता है.

पढ़ें- स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा बोले- तंबाकू खाने से नहीं होता कैंसर...पढ़ें पूरी खबर

सुखम फाउंडेशन की ट्रस्टी संतोष फनात ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे, 2017 के अनुसार राजस्थान में वर्तमान में 24.7 प्रतिशत लोग (5 में से 2 पुरुष, 10 में से 1 महिला यूजर) किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का उपभोग करते हैं. जिसमें 13.2 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष, 3.7 प्रतिशत महिलांए शामिल है. यहां पर 14.1 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हैं, जिसमें 22.0 प्रतिशत पुरुष और 5.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल है. उन्होंने बताया कि आज भी तंबाकू उत्पादों को पांरपिक रीति रीवाज के रूप में देखा जाता है. इसलिए इसे सामाजिक तौर भी बहिष्कृत करने की महती जरूरत है.

Last Updated :May 31, 2022, 1:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.