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बीजेपी ही नहीं इन दलों को भी है कांग्रेस में बिखराव का इंतजार!

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Published : Sep 30, 2022, 10:24 AM IST

राजस्थान कांग्रेस में चल रही उठा पटक के बाद बिखराव की आस (Split in Rajasthan Congress) भाजपा को ही नहीं बल्कि अन्य दलों को भी है. सब संभावनाएं तलाश रहे हैं. कांग्रेस में मचे घमासान से विभन्न राजनैतिक दल कैसे फायदा उठा सकते हैं! जानते हैं इस रिपोर्ट में.

Split in Rajasthan Congress
कांग्रेस में बिखराव का इंतजार!

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में चल रहा घमासान दूसरे राजनैतिक दलों के लिए अवसर का सबब बन रहा है (Split in Rajasthan Congress). इंतजार सिर्फ बड़ी पार्टी में बिखराव का है. मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ही नहीं बल्कि कई और भी ताक में बैठे हैं. खासकर वो जो प्रदेश में तीसरे विकल्प का दम भरते हैं. इनमें वो शामिल हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव 2018 में पहली बार किस्मत आजमाई या फिर सालों बाद प्रदेश में खाता खोला.

राजस्थान में बीजेपी भले ही मुख्य विपक्षी दल हो लेकिन पिछले कुछ ऐसे भी हैं जो कछुआ गति से ही सही लेकिन अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं. इनमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने राजस्थान में दस्तक देकर अपना खाता खोला. वहीं पंजाब में बम्पर जीत के साथ सत्ता में आई आम आदमी पार्टी बुलंद हौसलों के साथ लगातार राजस्थान में अपनी सक्रियता बढ़ा रही है.

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक और एक सांसद हैं. कुछ इलाकों तक ही आरएलपी की पहुंच है. उम्मीद शायद उसे भी है कि कांग्रेस जैसे बड़े राजनीतिक दल में बिखराव होगा तो जनाधार वाले कुछ चेहरे उसके पाले में आएं तो उसका अपना रसूख और बढ़े. RLP के अलावा बहुजन समाज पार्टी (BSP) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) और आम आदमी पार्टी (AAP) भी फेहरिस्त में हैं.

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बड़े चेहरे से मजबूत होगी छोटी पार्टी: आरएलपी की बात करें तो 3 विधायकों और एक सांसद वाली इस पार्टी में बड़ा चेहरा केवल हनुमान बेनीवाल का है. इनका असर कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित है. ऐसे में यदि कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा टूटकर आरएलपी में आता है तो उस क्षेत्र विशेष में पार्टी की पकड़ पहले से मजबूत होगी (Rajasthan Congress Political Crisis). यही स्थिति बहुजन समाज (BSP) पार्टी की भी है जिसके पिछले विधानसभा चुनाव में 6 विधायक जीत कर आए थे. वर्तमान में एक भी विधायक उसके पास नहीं है क्योंकि सारे विधायक टूटकर कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि बीएसपी का राजस्थान के करीब आधा दर्जन सीटों पर प्रभाव है ऐसे में कोई बड़ा नाम बसपा का काम बना सकता है.

बीटीपी का प्रभाव जनजातीय क्षेत्र तक: भारतीय ट्राइबल पार्टी का पिछले विधानसभा चुनाव में उदय हुआ था. इसके दो विधायक जीत कर भी आए. पहली बारी में प्रदर्शन ठीक ठाक रहा. दल का प्रभाव राजस्थान के जनजाति क्षेत्र तक ही सीमित है. जो स्थिति और परिस्थिति है उस लिहाज से देखें तो बीटीपी से जुड़ने वाले नेताओं को फायदा केवल जनजातीय क्षेत्र तक ही मिलेगा. खासकर वो जो आदिवासी या जनजातीय क्षेत्र और समाज से आते हैं. पार्टी ऐसे ही नेताओं पर नजर बनाए होगी.

'आप' की भी नजर: पंजाब विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी की निगाहें अब राजस्थान पर है. संगठनात्मक रूप से राजस्थान में निचले स्तर पर पार्टी ने अपना ढांचा खड़ा कर लिया है लेकिन बड़े चेहरों की तलाश अभी जारी है. खुद पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगामी अक्टूबर में जयपुर दौरे पर होंगे. पार्टी के प्रभारी विनय मिश्रा पहले भी इस बात को कह चुके हैं कि कांग्रेस और भाजपा के कुछ नेता आम आदमी पार्टी के संपर्क में है लेकिन कोई बड़े नाम फिलहाल पार्टी में शामिल नहीं हुआ. तो कहा जा सकता है कि उम्मीद तो आप को भी कम नहीं है.

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