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SPECIAL: निजी अस्पतालों में बदला इलाज का पैटर्न, 25 और 75 प्रतिशत के अनुपात में बंटे कोविड और अन्य मरीज

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Published : Oct 27, 2020, 10:37 PM IST

कोरोना महामारी के बाद निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज के पैटर्न में बदलाव आया है और खासकर संस्थागत प्रसव से जुड़े मामलों में काफी परिवर्तन देखने को मिला है. सरकार की ओर से एक आदेश भी जारी किया गया है कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 से जुड़े इलाज के अलावा डिलिवरी और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा इलाज आमजन को उपलब्ध कराना होगा और इसे लेकर कोई भी निजी अस्पताल या कॉर्पोरेट हॉस्पिटल अपनी फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकता.

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कोरोना महामारी के बाद बदलने लगा इलाज का पैटर्न

जयपुर. कोरोना महामारी के बाद निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज के पैटर्न में बदलाव आया है और खासकर संस्थागत प्रसव से जुड़े मामलों में काफी बदलाव देखने को मिला है. क्योंकि अब पीपीई किट, मास्क फेस शील्ड आदि का खर्चा भी निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले लोगों के खाते में जोड़ा जाने लगा है और निजी अस्पतालों में होने वाले डिलीवरी की फीस में भी इसे वसूला जा रहा है.

निजी अस्पताल या कॉर्पोरेट हॉस्पिटलों के फीस बढ़ोतरी पर रोक

सरकार का आदेश है कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 से जुड़े इलाज के अलावा डिलीवरी और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा इलाज आमजन को उपलब्ध कराना होगा और इसे लेकर कोई भी निजी अस्पताल या कॉर्पोरेट हॉस्पिटल अपनी फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकता. जयपुर के मेडिकल चीफ ऑफिसर डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि निजी अस्पतालों पर सरकार लगातार नजर बनाए हुए हैं और यदि तय सीमा से अधिक फीस वसूलने का मामला सामने आता है तो उस पर कार्रवाई करने की छूट सरकार द्वारा दी गई है.

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हालांकि डॉ. शर्मा का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान संस्थागत प्रसव को लेकर वे विशेष सावधानी बरत रहे हैं और निजी अस्पतालों को साफ तौर पर निर्देश दिया गया है कि सिर्फ 25% बेड का उपयोग ही वे कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए करेंगे. बाकी 75% बेड अन्य बीमारियों से जुड़े इलाज को लेकर आरक्षित किए गए हैं. जिसमें संस्थागत प्रसव को भी शामिल किया गया है.

कितनी फीस वसूल रहे

निजी अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार संस्थागत प्रसव से जुड़े मामलों की बात की जाए तो आमतौर पर कोविड-19 महामारी से पहले सामान्य प्रसव पर करीब 15 से 20 हजार और सीजेरियन डिलीवरी पर करीब 40 से 50 हजार रुपए फीस तय की गई है. इसके साथ ही अधिकतर अस्पतालों ने पैकेट सिस्टम भी इसे लेकर तैयार किया है. हालांकि कोविड-19 महामारी के बाद कुछ अतिरिक्त खर्चे इन पैकेज में और शामिल किए गए हैं. जिसमें पीपीई किट और मास्क का खर्चा भी पैकेज में शामिल कर दिया गया है. इसके अलावा कोविड-19 टेस्ट की कीमत को भी इसमें शामिल किया गया है.

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सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क

वहीं सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव से जुड़े मामलों की बात की जाए तो सरकार की ओर से निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है और किसी तरह का कोई चार्ज अस्पताल की ओर से वसूला नहीं जाता. इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 टेस्ट की कीमत भी एकदम फ्री है. जबकि निजी अस्पतालों में कोविड-19 टेस्टिंग का खर्चा मरीज के बिल में जोड़ा जाता है.

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अलग से कोविड-19 सेंटर

यदि निजी और सरकारी अस्पताल में प्रसव से पहले महिला कोविड-19 पॉजिटिव पाई जाती है तो उसे लेकर चिकित्सा विभाग की ओर से एक गाइडलाइन जारी की गई है. इस तरह के मरीजों के लिए जयपुर के सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल में अलग से एक वार्ड तैयार किया गया है. जहां कोविड-19 पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं का इलाज भी किया जाता है और प्रसव भी किया जाता है. वहीं सांगानेरी गेट स्थित महिला अस्पताल की अधीक्षक भी कोविड-19 की चपेट में आ चुकी है.

फीस बढ़ोतरी के नहीं आए मामले

वहीं फीस बढ़ोतरी को लेकर जब जयपुर के मेडिकल चीफ ऑफिसर डॉक्टर नरोत्तम शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार की ओर से साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि यदि निजी अस्पताल इलाज को लेकर फीस में बढ़ोतरी करते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. हालांकि डॉ. शर्मा ने कहा कि फिलहाल इस तरह के मामले सामने नहीं आए हैं.

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