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जयपुर: दो साल पहले मंत्री के आदेश पर किए निलंबन को हाईकोर्ट ने किया रद्द

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Published : Dec 9, 2019, 11:00 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचायत समिति में निर्माण कार्यों के लिए भुगतान राशि को लेकर दायर याचिका पर फैसला सुनाया. इस मामले में कोर्ट ने दो साल पहले निलंबित किए गए कर्मचारी किन्तुराम मीणा का निलंबन आदेश रद्द कर दिया है.

jaipur latest news, न्यायाधीश एसपी शर्मा
राजस्थान हाईकोर्ट ने कर्मचारी का निलंबन आदेश किया रद्द

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दो साल पहले विभाग के मंत्री के निर्देश पर निलंबित किए गए कर्मचारी का निलंबन आदेश रद्द कर दिया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता किन्तुराम मीणा की याचिका को मंजूर करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता नादौती पंचायत समिति में स्टोर कीपर के तौर पर कार्यरत था. पंचायत समिति को निर्माण कार्यों के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया था और स्टोर कीपर होने के कारण वर्क ऑर्डर जारी होने से लेकर भुगतान तक का काम याचिकाकर्ता को ही करना था.

इसी कारण याचिकाकर्ता ने सरकारी निर्देश के अनुसार भुगतान प्राप्त कर निर्माण करने वाली फर्मों को भुगतान किया था. इस संबंध में उप-प्रधान ने तत्कालीन प्रधान पर सीधे फर्म को भुगतान करने के स्थान पर याचिकाकर्ता के जरिए भुगतान करने की शिकायत की थी.

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वहीं, इस संबंध में जांच हुई और याचिकाकर्ता को जांच में क्लीन चिट दी गई थी. इसके बावजूद राजनीतिक कारणों से याचिकाकर्ता को तत्कालीन मंत्री के निर्देश पर 6 जून, 2017 को निलंबित कर दिया था. याचिका में कहा गया कि जांच में क्लीन चिट मिलने के बावजूद याचिकाकर्ता को राजनीतिक दखल से मंत्री के निर्देश पर निलंबित करना गलत है.

बता दें कि हाईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2017 को निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी. पिछले दिनों सरकार की ओर से स्टे हटाने की अर्जी दायर हुई थी. अदालत ने सरकार की अर्जी खारिज कर दी और याचिकाकर्ता की याचिका मंजूर करते हुए निलंबन आदेश को ही रद्द कर दिया.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने दो साल पहले विभाग के मंत्री के निर्देश पर निलंबित किए कर्मचारी का निलंबन आदेश रद्द कर दिया है। न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता किन्तुराम मीणा की याचिका को मंजूर करते हुए दिए।Body:याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता नादौती पंचायत समिति में स्टोर कीपर के तौर पर कार्यरत था। पंचायत समिति को निर्माण कार्यों के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया था और स्टोर कीपर होने के कारण वर्क ऑर्डर जारी होने से लेकर भुगतान तक का काम याचिकाकर्ता को ही करना था। इसी कारण याचिकाकर्ता ने सरकारी निर्देश के अनुसार भुगतान प्राप्त कर निर्माण करने वाली फर्मों को भुगतान किया था। इस संबंध में उप-प्रधान ने तत्कालीन प्रधान पर सीधे फर्म को भुगतान करने के स्थान पर याचिकाकर्ता के जरिए भुगतान करने की शिकायत की थी। इस संबंध में जांच हुई और याचिकाकर्ता को जांच में क्लीन चिट दी गई थी। इसके बावजूद राजनीतिक कारणों से याचिकाकर्ता को तत्कालीन मंत्री के निर्देश पर 6 जून, 2017 को निलंबित कर दिया था। याचिका में कहा गया कि जांच में क्लीन चिट मिलने के बावजूद याचिकाकर्ता को राजनीतिक दखल से मंत्री के निर्देश पर निलंबित करना गलत है। हाईकोर्ट ने 7 जुलाई, 2017 को निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी। पिछले दिनों सरकार की ओर से स्टे हटाने की अर्जी दायर हुई थी। अदालत ने सरकार की अर्जी खारिज कर दी और याचिकाकर्ता की याचिका मंजूर करते हुए निलंबन आदेश को ही रद्द कर दिया।Conclusion:
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