स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 : राजस्थान के सामने बड़ी चुनौती, वर्तमान 12वीं रैंक से करना होगा बेहतर

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Published : Feb 19, 2022, 8:25 AM IST

Updated : Feb 19, 2022, 9:54 AM IST

Swachh Survekshan 2022
स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 ()

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में जयपुर की खराब स्थिति का जिम्मेदार चाहें कोई भी हो लेकिन इस बार होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण से पहले राज्य सरकार ने शहरों को साफ सुथरा रखने के लिए नए प्रयास शुरू किए है. फिलहाल राजस्थान पूरे देश में 12वें पायदान पर है. ऐसे में इस बार बेहतर करने के लिए सभी अर्बन लोकल बॉडीज को ताकीद की गई है.

जयपुर. पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के परिणामों ने ये साबित कर दिया था कि राजस्थान दूसरे राज्यों से कितना पिछड़ा हुआ है. टॉप 10 में आना तो दूर प्रदेश के निकाय अपनी पिछली रैंक पर भी पिछड़ गए थे. आलम ये है कि राजधानी जयपुर, कोटा और जोधपुर में दो-दो निगम होने का भी फायदा नहीं मिला. क्योंकि ना तो इन निगमों में सीएंडडी वेस्ट प्लांट लग पाया है, ना कचरा सेग्रीगेट होकर कलेक्ट हो रहा है. नतीजन गार्बेज फ्री सिटी के जीरो अंक मिले और फिर वही होगा. इस बार वेस्ट वाटर मैनेजमेंट की चुनौती भी साथ जुड़ गई है. अगले महीने 1 मार्च से 31 मार्च तक स्वच्छता सर्वेक्षण (Swachh Survekshan 2022) होना है. फिलहाल राजस्थान पूरे देश में 12वें पायदान पर है. ऐसे में इस बार बेहतर करने के लिए सभी अर्बन लोकल बॉडीज को ताकीद किया गया है.

प्रदेश में 216 नगरीय निकाय है. इनमें से 20 नगर पालिका तो नई है जिनके पास नाम मात्र संसाधन हैं. और सामने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की चुनौतियां हैं. जिनसे निपटने के लिए अब समय भी ज्यादा नहीं बचा. सर्विस लेवल प्रोग्रेस - 3000, सेग्रीगेशन कलेक्शन - 900, सस्टेनेबल सैनिटेशन - 900, प्रोसेसिंग एंड डिस्पोजल - 1200 है.

स्वच्छ सर्वेक्षण 2022

सर्टिफिकेशन : स्टार सिटी रेटिंग - 1250, ओडीएफ स्टेटस - 1000, पीपल फर्स्ट (सिटीजन वॉइस) - 2250, सिटीजन फीडबैक - 600 (यूथ-200, सीनियर सिटीजन-400), सिटीजन इंगेजमेंट - 550, डायरेक्ट ऑब्जरवेशन - 350, स्वच्छता एप - 400, डिजास्टर एंड एपिडेमिक रिस्पांस प्रिपेयरनेस - 200, म्युनिसिपल रेस्पॉन्स ड्यूरिंग कोविड-19 हैं.

वहीं 150 बड़े नगरीय निकाय समीक्षा और सुधार के काम में जुट गए हैं. पब्लिक टॉयलेट को साफ रखने, ओपन कचरा डिपो खत्म करने, कचरे का सेग्रीगेशन करने, वाटर बॉडीज को अतिक्रमण मुक्त करने जैसी कई बड़ी चुनौतियों पर पार पाने में जुटे हुए हैं. इसके अलावा डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की खामियों को दूर सबसे बड़ा चैलेंज हैं. इसे लेकर स्वायत्त शासन विभाग ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिया है और जल्द अधिकारियों की क्लास भी ली जाएगी.

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मॉनिटरिंग के लिए सातों क्षेत्रीय उपनिदेशक कार्यालय से जुड़े शहरों में सहायक अभियंताओं की जिम्मेदारी तय की गई है. ताकि राजस्थान को साफ सुथरा रखा जा सकें. वैसे भी राज्य की स्वच्छता रैंकिंग आप के सामने है.

इन लोगों को मिली है जिम्मेदारी

  • जयपुर : हेरिटेज निगम - दिनेश कुमार लोदवाल, ग्रेटर निगम - सूर्य प्रकाश स्वामी, राजेश कुमार मीणा
  • अजमेर : नगर निगम अजमेर - बबीता सिंह, अखिल गोयल
  • भरतपुर : भरतपुर नगर निगम - प्रदीप कुमार मिश्रा, धौलपुर नगर परिषद - रतन सिंह
  • बीकानेर : बीकानेर नगर निगम - उपेंद्र मीणा, हनुमानगढ़ नगर परिषद - विश्वास सिंघल
  • जोधपुर : जोधपुर उत्तर - सचिन मौर्य, अंकित पुरोहित
  • उदयपुर : उदयपुर नगर निगम - गौरव धीग, बांसवाड़ा नगर परिषद - अजय गहलोत
  • कोटा : कोटा उत्तर दक्षिण - रिचा गौतम, कुलदीप प्रेमी, झालावाड़ नगर परिषद - सौरभ गुप्ता

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आपको बता दें कि इंदौर के लगातार 5 साल से स्वच्छता रैंकिंग में अव्वल आने के पीछे नगर निगम की सक्रियता है. जबकि राजधानी सहित प्रदेश के दूसरे निकायों में स्थिति ये है कि कोई निकाय कचरे का निस्तारण तक गंभीरता से नहीं कर पा रहा. इंदौर और जयपुर में कचरा कलेक्शन पर लगभग बराबर पैसा खर्च किया जाता है. लेकिन मॉनिटरिंग ठीक से नहीं होने की वजह से आज जयपुर इतना पिछड़ गया है.

Last Updated :Feb 19, 2022, 9:54 AM IST
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