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नगर निगम हेरिटेज चुनाव: वार्ड नंबर 74 में बीजेपी के सामने अजीब दुविधा, अब कैसे बैठाएं सिंबलधारी प्रत्याशी को

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Published : Oct 21, 2020, 1:23 PM IST

नगर निगम हेरिटेज चुनाव में वार्ड नंबर 74 में बीजेपी के सामने अजीब दुविधा खड़ी हो गई है. . इस वार्ड में बीजेपी की सिंबल पर प्रत्याशी मुन्नी देवी भी खड़ी है और निर्दलीय के रूप में भाजपा समर्थित कुसुम यादव भी ताल ठोक रही है.

नगर निगम हेरिटेज चुनाव, Municipal Corporation Heritage Election
वार्ड नंबर 74 में बीजेपी के सामने अजीब दुविधा

जयपुर. नगर निगम हेरिटेज चुनाव में इस बार वार्ड नंबर 74 भाजपा के लिए गले की हड्डी बन गया है. जिसे ना खाया जा सकता है और ना ही निगला जा सकता है. इस वार्ड में बीजेपी की सिंबल पर प्रत्याशी मुन्नी देवी भी खड़ी है और निर्दलीय के रूप में भाजपा समर्थित कुसुम यादव भी ताल ठोक रही है. मुन्नी देवी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद नामांकन के दौरान ही उनका टिकट काट दिया गया था. जिसके बाद कुसुम यादव को टिकट मिला, लेकिन समय पर सिंबल मुहैया कराने में पार्टी नाकाम रही.

वार्ड नंबर 74 में बीजेपी के सामने अजीब दुविधा

ऐसे में अब भाजपा के सामने दुविधा इस बात की है कि मुन्नी देवी को पार्टी ने चुनाव लड़ाने से इंकार कर दिया, लेकिन तब तक मुन्नी देवी पार्टी के सिंबल पर अपना नामांकन भर चुकी थी और चुनाव आयोग ने स्कूटनी में उन्हें ही पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित भी कर दिया. जिस कुसुम यादव को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया वह बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में तो है, लेकिन सिंबल नहीं मिल पाने के कारण वो अब बीजेपी समर्थित प्रत्याशी के रूप में ही चुनाव प्रचार कर रही है.

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वहीं मुन्नी देवी ने भी पार्टी के आदेश पर अब तक अपना नामांकन वापस नहीं लिया, क्योंकि अब स्थितियां बदल गई है. इसलिए पार्टी को भी नए सिरे से निर्णय करना है. यही कारण है के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी इस मसले को स्थानीय स्तर पर आपसी सहमति से सुलझाने की बात कहते हैं. पार्टी के स्तर पर आपसी सहमति बनाने के लिए शहर अध्यक्ष राघव शर्मा को जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी से जुड़े पदाधिकारी सिंबल धारी प्रत्याशी को ही चुनाव मैदान में रखना चाहते हैं.

दूसरी ओर कुसुम यादव क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाली प्रत्याशी के रूप में जानी जाती है और वह किसी भी सूरत में नामांकन वापस लेने के लिए राजी नहीं होगी. ऐसी स्थिति में पार्टी बीच का क्या रास्ता निकालती है, ये नामांकन के अंतिम दिन यानी 22 अक्टूबर तक ही साफ हो पाएगा.

क्या जानबूझकर सिंबल देने में देरी की, संदेह के दायरे में देवनानी और गुप्ता

इस पूरे प्रकरण में स्थानीय भाजपा के पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता और नगर निगम हेरिटेज के चुनाव प्रभारी वासुदेव देवनानी संदेह के घेरे में है. वह इसलिए क्योंकि पार्टी स्तर पर नामांकन के अंतिम दिन यानी 19 अक्टूबर को करीब 1:30 बजे यह फैसला ले लिया गया था कि मुन्नी देवी का टिकट काटकर कुसुम यादव को चुनाव मैदान में खड़ा किया जाएगा. प्रदेश नेतृत्व ने कुसुम यादव को सिंबल दिए जाने के निर्देश भी दे दिए थे ,लेकिन भाजपा मुख्यालय से कलेक्ट्रेट कार्यालय तक सिंबल पहुंचने में 2 घंटे का समय लगा दिया गया और 3:00 बजे बाद नामांकन का समय खत्म हो चुका था.

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ऐसी स्थिति में कुसुम यादव ने बिना सिंबल के ही निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया और सिंबल लेकर करीब 3:30 बजे पार्टी से जुड़े पदाधिकारी वहां पहुंचे. यादव को भी यही संदेह है कि इस पूरे मामले में उच्च पदाधिकारियों द्वारा गड़बड़ की गई. वहीं स्थानीय पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता इसका ठीकरा चुनाव प्रभारी वासुदेव देवनानी पर फोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि इस बार पार्टी ने सिंबल स्थानीय विधायक या विधायक प्रत्याशी को नहीं दिए, बल्कि चुनाव प्रभारी खुद ही उसे अपने पास लेकर घूमते रहे. जिसके कारण उपयुक्त प्रत्याशी तक सिंबल समय पर नहीं पहुंच पाया.

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