जयपुर. सचिवालय में एलडीसी से एएसओ प्रमोशन को लेकर चल रहा विवाद (Secretariat LDC Promotion Controversy in Rajasthan) थमने का नाम नहीं ले रहा है. आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों ने एक बार फिर अपनी मांग को लेकर धरना शुरू कर दिया. कर्मचारियों के विरोध के बीच सरकार ने विसंगति प्रकरण के निस्तारण को लेकर कमेटी का गठन कर दिया है. लेकिन प्रदर्शनकारी कमेटी के गठन से संतुष्ट नहीं हैं.
सचिवालय में आरक्षित वर्ग के लिपिक से ASO प्रमोशन में विसंगति आरोप के निस्तारण के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने 4 आईएएस अधिकारियों की कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में एसीएस होम अभय कुमार, प्रमुख सचिव आनंद कुमार, IAS भास्कर सावंत, प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा को शामिल किया गया है. हालांकि कमेटी गठन से प्रदर्शनकारी संतुष्ट नहीं हैं और सचिवालय परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के पास धरना (Employee Strike in Jaipur Secretariat) जारी किए हुए हैं.
दरअसल आरक्षित सचिवालय कर्मचारियों की नाराजगी है कि 15 जुलाई 2020 को लिपिक ग्रेड प्रथम से सहायक अनुभागाधिकारी के पदों पर रोस्टर नियमों की पालना नहीं की गई. जो डीपीसी की गई उसमे में सहायक अनुभागाधिकारी के स्वीकृत पदों की संख्या में एससी - एसटी को अनुपात का लाभ नही दिया गया. कुल पदों की संख्या 401 थी. पदोन्नति में आरक्षण के सन्दर्भ में पदभार अनुपात में एससी / एसटी क्रमशः 16, 12 प्रतिशत के अनुसार पदों की संख्या क्रमशः 64,48 होती है.
आरक्षित वर्ग की जगह अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से भर दिया, जो कि नियमों का उलंघन है. विभाग रोस्टर नियमों की पालना नहीं होने का आरोप लगाते हुए नेता कजोड़ मल मीणा ने कहा इससे पहले भी उच्च अधिकारियों ने यह कहते हुए धरना स्थगित कराया था कि कार्मिक विभाग के अधिकारियों के साथ में बैठक करके सकारात्मक निर्णय निकालेंगे. कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार मांगो को पूरा करेगी. लेकिन दो से तीन बार बैठक होने के बाद भी अधिकारियों ने उन्हें निराश किया है.
मजबूरन कर्मचारियों को फिर से धरने पर बैठना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पदोन्नति के नियमों में स्पष्ट है कि आरक्षित वर्ग के पदों को आरक्षित वर्ग से ही भरा जाता है. लेकिन जो डीपीसी की गई उसमें आरक्षित वर्ग के स्थान पर अनारक्षित वर्ग के लोगों को शामिल कर दिया गया. जिसकी वजह से आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. कर्मचारी नेता राजपाल मीना ने कहा कि कार्मिक विभाग की ओर से ही एससी/एसटी के कार्मिकों को संविधान की ओर से मिले प्रदत्त अधिकारों का हनन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि जब तक संतोषजनक हल नहीं निकाला जाता है कि तब तब धरने पर बैठे रहेंगे. मीणा ने कहा कि विसंगति के बारें में उच्चाधिकारियों को बार बार अवगत कराने के बावजूद इसे गंभीरता से नहीं लिया गया. ये अत्यन्त गंभीर सोचनीय विषय है. विसंगति को अब तक गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण कार्मिकों की मजबूरन धरना प्रदर्शन की राह पर जाना पड़ा है.