फीस वसूली पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बच्चों को डिबार नहीं कर सकेंगे स्कूल, शिक्षा अधिकारियों से की जा सकेगी शिकायत

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Published : Oct 1, 2021, 6:45 PM IST

Supreme Court's Supreme Court Judgment

कोरोना काल में निजी स्कूलों की ओर से फीस वसूली के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. फीस जमा नहीं करवाने पर निजी स्कूल बच्चों को क्लास से डिबार नहीं कर सकेंगे. जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने यह अहम फैसला दिया है.

जयपुर. कोरोना काल में निजी स्कूलों की ओर से फीस वसूली के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. इसके अनुसार फीस जमा नहीं करवाने पर निजी स्कूल बच्चों को क्लास से डिबार नहीं कर सकेंगे. जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया है.

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें मांग की कि 3 मई 2021 को दिए आदेश को मोडिफाई किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार किया कर दिया. ऐसे में अब फीस के अभाव में बच्चों को डिबार नहीं किया जा सकेगा.

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विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि सुनवाई के दौरान प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय की ओर से 3 मई 2021 को दिए फैसले से यह बात हटाने की मांग की थी. जिसमें कहा गया कि फीस नहीं भरने के कारण किसी भी बच्चे की पढ़ाई नहीं रोकी जा सकेगी. यह मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. साथ ही अभिभावकों की ओर से फीस नहीं भरने पर स्कूलों को फीस वसूली के लिए कानूनी प्रावधानों के तहत फीस वसूली करने को स्वतंत्र किया है. सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट ने सुप्रीम कोर्ट से स्कूल फीस कमेटी के अभाव में स्कूल मैनेजमेंट की ओर से निर्धारित फीस को माने जाने की मांग को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने 3 मई 2021 के निर्णय को बहाल रखा है.

राजस्थान हाईकोर्ट में सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट की फीस एक्ट संबंधी लंबित रिट के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की ओर से निर्णीत किए जाने के लिए कहा है. ऐसे स्कूल जो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की मंशा के विपरीत ज्यादा फीस मांग रहे हैं. उनके खिलाफ सक्षम न्यायालाय में जाकर इसकी शिकायत अभिभावक कर सकते हैं. साथ ही जो अभिभावक फीस देने में अक्षम हैं, उनके प्रतिवेदन पर स्कूल को निर्णय करने के लिये कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार फीस एक्ट के अनुसार तय नहीं की गई फीस की शिकायत भी ब्लॉक, जिला एवं शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री को की जा सकेगी.

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प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायसंगत फैसला सुनाते हुए निजी स्कूलों की बच्चों को क्लास से डिबार करने को फीस वसूलने का हथियार बनाने की मांग को खारिज किया है. अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट और प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत विवेचना कर प्रदेश के अभिभावकों को प्रताड़ित कर रहे हैं. एडवोकेट अमित छंगाणी ने जानकारी बताया कि 3 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए एक्ट की ओर से निर्धारित सत्र 2019-20 की 85 फीसदी फीस लेने के आदेश दिए थे.

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