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Dirty Politics साधुओं की आत्महत्या प्रकरण में कहीं हल्ला बोल तो कहीं चुप्पी

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Published : Aug 18, 2022, 7:52 PM IST

साधुओं की आत्महत्या प्रकरण में कहीं हल्ला बोल तो कहीं चुप्पी. कुछ ऐसी ही स्थिति है राजस्थान में, जहां खुदकुशी के दो मामलों में से एक में तो भाजपा ने जमकर (Dirty Politics) राजनीति की, लेकिन दूसरे मामले में मौन धारण कर लिया. यहां समझिए पूरा गणित.

Politics on Saints Suicide
जांच कमेटी में शामिल भाजपा नेता

जयपुर. प्रदेश में साधुओं की मौत के मामले में (Saints Death in Rajasthan) डर्टी पॉलिटिक्स इस कदर हावी हो गई है कि राजनीतिक दल अपने सियासी फायदे के लिए सभी हदें पार कर गए हैं. पिछले दिनों राज्य में साधुओं के आत्महत्या के 2 प्रकरण सामने आए. भरतपुर में संत विजय दास आत्महत्या और जालोर में योगी रविनाथ आत्महत्या का प्रकरण, लेकिन भरतपुर मामले में भाजपा मुखर रही जबकि जालोर संत आत्महत्या मामले में बीजेपी ने चुप्पी साध रखी है. क्योंकि आरोपों के घेरे में उनके ही विधायक पूराराम चौधरी हैं.

भाजपा का दोहरा रुख : दरअसल, राजनीतिक दल अपने सियासी फायदे और नुकसान के अनुसार ही राजनीति करते हैं. भरतपुर में 20 जुलाई को संत विजय दास ने अवैध खनन के खिलाफ खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली. तब भाजपा ने राज्य स्तर पर जांच समिति बनाकर नेताओं को मौके पर भेजा तो वहीं पार्टी ने केंद्र स्तर पर भी जांच समिति बनाकर सांसदों को मौके पर भेजा. दिल्ली से लेकर जयपुर तक भाजपा नेताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी और जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए पूरा दोष प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर डाल दिया.

Suicides of Sadhus
साधुओं की आत्महत्या

उसके बाद 5 अगस्त को जालोर में योगी रविनाथ ने फंदा लगाकर (Sant Ravinath Suicide Case) आत्महत्या की तो उस प्रकरण में भाजपा ने जांच समिति बनाने में ही देर कर दी. मीडिया का दबाव बना तो केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को शामिल करते हुए 3 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई. जिसमें विधायक जोगेश्वर गर्ग और पूर्व संसदीय सचिव रहे जोगाराम पटेल भी शामिल किए गए. कमेटी ने 10 अगस्त को यहां दौरा भी किया, लेकिन जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया गया. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया से लेकर अन्य नेताओं ने भी इस मामले में चुप्पी साधे रखी.

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ये है पूरा मामला : जिले में नाथ संप्रदाय के साधु योगी रविनाथ के 'बाल जती हनुमान आश्रम' के सामने भील समाज के लोगों की जमीन थी. बताया जा रहा है कि भाजपा विधायक पूराराम चौधरी ने यह जमीन खरीद कर कन्वर्ट भी करवा ली और बाद में आश्रम के सामने जो रास्ता जा रहा था उसे जेसीबी के जरिए खाई के रूप में खुदवा दिया. जब योगी रविनाथ में ऐसा ना करने का आग्रह किया तो विधायक ने उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया. जिससे आहत होकर योगी रविनाथ ने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट में भी विधायक के नाम का जिक्र होना बताया जा रहा है, जिसके आधार पर पुलिस ने जसवंतपुरा थाने में भीनमाल भाजपा विधायक पूराराम चौधरी समेत तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. इन पर धारा 452, 506 और 306 लगाई गई है. आरोप है कि आश्रम से सटी जमीन पर विधायक रिसोर्ट बनवाना चाहते थे, जिसके चलते साधु से उनका विवाद हुआ था.

Suicides of Sadhus
आत्महत्या पर राजनीति

अपना विधायक शामिल, इसलिए भाजपा नेता भी चुप : जालोर संत रविनाथ आत्महत्या प्रकरण में मौजूदा भाजपा विधायक पूराराम चौधरी का नाम सामने आने के बाद भाजपा इस प्रकरण में चुप्पी साधे हुए हैं या फिर कहें इस मामले में मीडिया के दबाव में समिति का गठन तो कर दिया, लेकिन उसका खुलासा (Politics on Saints Suicide) इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि पार्टी नेता इस प्रकरण में जो भी बोलेंगे वह पार्टी के लिए ही नुकसानदायक होगा. इसके विपरीत भरतपुर अवैध खनन प्रकरण में संत विजय दास आत्मदाह को लेकर बीजेपी ने जयपुर से लेकर दिल्ली तक प्रेस वार्ता कर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया था.

जांच समिति ने नहीं सौंपी अब तक रिपोर्ट : वहीं जालोर संत आत्महत्या मामले में भाजपा की जांच समिति ने अब तक अपनी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को नहीं सौंपी है. समिति में शामिल पार्टी के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग से जब इस बारे में फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगले एक-दो दिन में वह समिति की रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी को सौंप देंगे. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि रिपोर्ट में क्या कुछ खास रहा तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया और इसका खुलासा करने के लिए प्रदेश नेतृत्व ही अधिकृत होने की बात कही. वहीं, समिति में शामिल बीकानेर सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से भी इस बारे में फोन पर कई बार संपर्क साधा गया, लेकिन उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया और न ही फोन पर भेजे गए मैसेज का जवाब दिया.

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कांग्रेस ने भी बनाई थी जांच समिति : वहीं, कांग्रेस ने भी इस प्रकरण में 3 सदस्य जांच समिति बनाई थी, जिसमें राजस्व मंत्री रामलाल जाट, मंत्री अर्जुन बामणिया सहित प्रदेश में कांग्रेस के पदाधिकारी को शामिल किया था. इस समिति के सदस्यों ने भाजपा जांच समिति सदस्यों से पहले क्षेत्र का दौरा भी किया और जानकारी भी ली, लेकिन सार्वजनिक रूप से घटनाक्रम को लेकर कोई बयान नहीं दिया. हालांकि, 15 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में जालोर संत आत्महत्या प्रकरण में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा था.

क्या कहा पूनिया ने...

पूनिया बोले, वैधानिक जांच से पहले हम किसी को आरोपित नहीं कर सकते : वहीं, जालोर में साधु रविनाथ आत्महत्या प्रकरण मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी भाजपा जांच समिति की रिपोर्ट का खुलासा करने से बचते नजर आए. ईटीवी भारत संवाददाता के सवाल पर पूनिया ने यहां तक कह दिया कि इस प्रकरण में वैज्ञानिक जांच पूरी होने से पहले हम किसी को आरोपित नहीं कर सकते.

पूनिया ने कहा कि हम पहले भी कह चुके हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होना चाहिए, ताकि सही तथ्य सबके सामने आ सके. पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार इस प्रकरण में हम वैधानिक जांच पूरी होने तक इंतजार करेंगे. क्योंकि कई बार कुछ मामले राजनीति से प्रेरित भी होते हैं. ऐसे में जांच पूरी होने से पहले किसी पर आरोप लगाना उचित नहीं होगा. हालांकि, अन्य प्रकरणों में बीजेपी यह नीति नहीं अपनाती है. ऐसे कई अन्य प्रकरण हैं, जिसमें कानूनी व वैधानिक अनुसंधान पूरा होने से पहले भाजपा की जांच समितियों ने बकायदा अपनी रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार पर दोषारोपण किया और कई आरोप भी लगाए, लेकिन जालोर में संत की आत्महत्या केस मामले में भाजपा का विधायक ही आरोपों में घिरा है तो पार्टी भी इस मामले में अब दूसरी नीति अपना रही है.

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