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Resident Doctors Boycott : सरकार की बॉन्ड नीति को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार, रखी ये मांग

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Published : Oct 8, 2022, 1:36 PM IST

रेजीडेंट चिकित्सक सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में उतर गए हैंं. रेजीडेंट डॉक्टर्स ने सरकार से बातचीत विफल होने के बाद शनिवार को कार्य बहिष्कार जारी रखा (Resident Doctors Boycott) है. रेजीडेंट डॉक्टर्स ने बॉन्ड नीति की विसंगतियों को दूर करने की मांग की है.

Resident Doctors Boycott Work
सरकार की बॉन्ड नीति को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार

जयपुर. रेजीडेंट चिकित्सक सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में उतर गए हैंं. रेजीडेंट डॉक्टर्स और सरकार के बीच देर रात तक चली वार्ता विफल होने के बाद शनिवार को भी एसएमएस मेडिकल कॉलेज और इससे सम्बद्ध अस्पतालों में रेजिडेंट का कार्य बहिष्कार जारी (Resident Doctors Boycott Work) है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की बातचीत चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया के साथ हुई, लेकिन यह बातचीत बेनतीजा रही.

प्रतिनिधियों ने बताया कि बॉन्ड पॉलिसी को लेकर विसंगतियों को दूर नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बॉन्ड नीति में छूट देने की मांग हम लोग कर रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर आज सरकार और रेजिडेंट चिकित्सकों की बातचीत होगी. पिछले 3 दिनों से जहां सिर्फ एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े रेजिडेंट चिकित्सक ही कार्य बहिष्कार के लिए चले गए थे तो वहीं अब प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट चिकित्सकों (Protest of government bond policy in Jaipur) ने भी कार्य बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.

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बॉन्ड में सुधार की जरूरत: सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में एसएमएस मेडिकल कॉलेज और इनसे जुड़े अस्पतालों में चिकित्सक संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं. हालांकि इस दौरान इमरजेंसी, ट्रॉमा सेवाओं को दूर रखा गया है. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि बॉन्ड नीति में कई खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाए. वर्ष 2013-14 में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने रेजिडेंट चिकित्सकों की बॉन्ड नीति जारी की थी. जिसके तहत पीजी होने के पश्चात चिकित्सक को कुछ वर्ष सरकारी सेवा में नौकरी देनी होगी या फिर 25 लाख का बॉन्ड भरना होगा. प्रदेशभर के रेजीडेंट चिकित्सक अब इस नीति के विरोध में उतर गए हैं. रेजीडेंट चिकित्सकों का कहना है कि हम बॉन्ड भरने को तैयार हैं, लेकिन बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी में जारी की गई है और इसमें सुधार की जरूरत है. इस नीति के कारण रेजिडेंट चिकित्सकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

सीनियर डॉक्टर्स ने संभाला मोर्चा: सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबंधित अस्पतालों की बात करें तो अब सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स मोर्चा संभाला है और अतिरिक्त चिकित्सक लगाए गए हैं. इसके अलावा सीनियर डॉक्टर्स को भी ओपीडी सहित अन्य चिकित्सकीय यूनिट में लगाया गया है, वहीं अस्पतालों में रूटीन ऑपरेशन टाल दिए गए हैं. रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि राज्य सरकार की यह बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी और अपारदर्शिता के साथ और अपरिपक्व तरीके से लगाई गई है.

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उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से बॉन्ड नीति की विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों में अभ्यर्थियों का बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के सीनियर रेजिडेंट पदों पर नियुक्त हो जाना, भ्रष्टाचार और धांधली को प्रदर्शित करता है. दूसरी तरफ रेजीडेंट डॉक्टर्स पर लगाई जाने वाली बॉन्ड नीति जिसकी प्रक्रिया इस साल परीक्षा के पूर्व ही शुरू हो जानी चाहिए थी, वह अब 6 माह बाद अक्टूबर माह में शुरू की जा रही है. इस मध्य अवधि में सभी रेजीडेंट डॉक्टर्स को बिना पूर्व सूचना और बॉन्ड की शर्तों के विपरीत दस्तावेज प्रदान नहीं करने और सरकार की लेटलतीफी से सभी रेजीडेंट डॉक्टर्स को लगभग 5 माह बिना आय के आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ा रहा है. यह सरकार की प्रताड़ित करने वाली और दमनकारी नीति को दर्शाता है. ऐसे में रेजिडेंट चिकित्सकों ने मांग करते हुए कहा है कि इसके लिए राज्य सरकार रेजिडेंट्स को 5 माह का का वेतन दें या फिर बॉन्ड नीति में छूट दें.

रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अजमेर में भी बॉन्ड नीति के विरोध में 2 घंटे से कार्य से बहिष्कार शुरू कर दिया है. शनिवार को रेजिडेंट डॉक्टर अस्पताल आए, लेकिन उन्होंने रोजमर्रा की तरह काम नहीं किया बल्कि लामबंद होकर विरोध किया. जेएलएन अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर रेजिडेंट डॉक्टरर्स ने विरोध प्रदर्शन किया.

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