ETV Bharat / city

सुनो सरकार! मुझे खाना नहीं, मेरे घर जाना है...

author img

By

Published : Mar 26, 2020, 7:57 PM IST

कोरोना वायरस को लेकर देश में लॉक डाउन लगाया गया है. इस लॉक डाउन में जयपुर में बाहर से आकर मजदूरी करने वाले परिवारों के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं. लॉक डाउन के तीसरे दिन ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी की सड़कों का हाल जाना. इस दौरान कई परिवार ऐसे मिले जो अपने घर लौटना चाह रहे हैं, लेकिन साधन नहीं मिलने के कारण वे फंस गए हैं.

कोविड 19,  covid 19
ईटीवी भारत की रिएलटी चेक

जयपुर. कोरोना वायरस संक्रमण के देश व्यापी लॉक डाउन के बीच जयपुर में बाहर से आकर मजदूरी करने वाले परिवारों के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं. वहीं, कुछ लोग अब लॉक डाउन के बाद जयपुर की सड़कों पर फंस गए हैं. इन लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि अब घर कैसे लौटेंगे, घर पर बच्चों का क्या हाल है और उनकी फरियाद कौन सुनेगा.

ईटीवी भारत की रिएलटी चेक...

ईटीवी भारत की टीम ने प्रधानमंत्री की ओर से आह्वान किए जाने के बाद लॉक डाउन के तीसरे दिन जयपुर की सड़कों का हाल जाना. इस रिएलिटी चेक में राज्य सरकार की ओर से किए जाने वाले दावों की हकीकत को जमीन पर जाना तो सच्चाई सामने आ गई. इस दौरान कई ऐसे मजबूर परिवार मिले, जिन्हें कोसों दूर अपने घर लौटना था. लेकिन अब उन्हें साधन नहीं मिल रहा है.

पढ़ें- लॉक डाउन में 'बेबस हुए बेघर', परकोटे के बरामदों में रहने की मजबूरी

अजमेर रोड से गुजरने वाले गोपालपुरा बाईपास पर आने वाली हर गाड़ी को उम्मीद भरी निगाहों से देखते इन लोगों के सामने बस यही सवाल था कि अब कैसे घर वापसी होगी. घर पर क्या परिजनों ने खाना खाया होगा या फिर जिस मुसीबत में यह यहां पर हैं, वैसा ही हाल उनका घर पर होगा.

सता रही है परिवार की याद...

झालावाड़ से आए एक शख्स ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उनके पैर का अंगूठा कट चुका है. उन्होंने बताया कि किसी तरह वे जयपुर की सड़कों पर रहकर रोजाना मजदूरी किया करते थे और अपना पेट पाल लिया करते थे. अब दिहाड़ी मजदूरी का काम ठप हो गया है. शख्स का कहना है कि रोटी भले ही कोई समाज सेवक दे जाए. लेकिन सड़क पर वक्त काटना मुश्किल हो चुका है. उन्हें परिवार की याद सता रही है, लेकिन साधन नहीं मिलने के कारण फुटपाथ पर इंतजार करना पड़ रहा है.

दो वक्त की रोटी से ज्यादा बेटियों की चिंता सता रही...

वहीं, कोटा जिले के सांगोद की एक वृद्धा का भी हाल था, जो अपने बीमार पति के साथ रोड के दूसरे मुहाने पर खड़ी थी. ईटीवी की टीम को देखकर उम्मीद भरी निगाहें लेकर अपना दर्द बयां करने पहुंच गई. महिला के मुताबिक घर पर उनकी 4 बेटियां हैं, उन्हें फिलहाल दो वक्त की रोटी से ज्यादा अपनी बेटियों की चिंता सता रही है.

ढूंढ रहे घर लौटने का जरिया...

बता दें कि जयपुर से अलग-अलग हिस्सों में निकलने वाली हर सड़क पर कुछ इसी तरह से लोग जमा है, जिन्हें अपने गांव लौटना है. सरकार कह चुकी है कि 5 से ज्यादा लोग धारा 144 के तहत जमा नहीं होंगे पर यह मजबूर लोग दर्जनों की संख्या में झुंड बनाकर सड़क किनारे आने वाले हर ट्रक को उम्मीद भरी निगाह से देखते हैं, ताकि उन्हें घर लौटने का जरिया मिल जाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.