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Rajasthan Political Crisis : विधायक इस नियम के तहत दें इस्तीफा तो स्पीकर कर सकता है मंजूर

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Published : Sep 25, 2022, 10:37 PM IST

राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर बुलाई गई विधायक दल की बैठक से पहले गहलोत खेमे के विधायकों ने बगावत कर दी है. गहलोत खेमे के विधायक स्पीकर सीपी जोशी के घर इस्तीफा देने पहुंचे हैं. विधायक के इस्तीफे को लेकर क्या है नियम, यहां जानिए सबकुछ.

Rajasthan Political Crisis
राजस्थान में विधायकों का सामूहिक इस्तीफा

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में नए मुख्यमंत्री क नाम तय करने को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच गहलोत समर्थक माने जाने वाले अधिकतर विधायक अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को देने पहुंचे हैं. यदि विधानसभा नियम और प्रक्रियाओं के तहत (Rajasthan Political Crisis) तय प्रोफार्मा के आधार पर कोई विधायक स्पीकर के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित होकर इस्तीफा देता है तो स्पीकर इसे स्वीकार कर सकता है.

विधानसभा के नियमों और प्रक्रियाओं में आर्टिकल 2008 (1) और नियम 173 में एक प्रोफार्मा बना है. यदि विधायक उस प्रोफार्मा के तहत अपना इस्तीफा व्यक्तिगत रूप से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर उन्हें सौंपता है तो नियम अनुसार विधानसभा अध्यक्ष उसे स्वीकार कर सकते हैं. नियम के तहत इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष के नाम होना चाहिए और उस पर तारीख और स्वयं विधायक के हस्ताक्षर भी होना चाहिए.

If the MLA Resigns Under this rule Speaker CP Joshi can Approve
विधायक इस नियम के तहत दें इस्तीफा तो स्पीकर कर सकता है मंजूर

मतलब साफ है कि यदि विधायक (Mass resignation of MLAs in Rajasthan) स्वयं विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे तो स्पीकर उसे स्वीकार कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि विधायक स्वयं विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर अपना इस्तीफा सौंपे.

पढ़ें : गहलोत खेमे की बगावत: स्पीकर को सौंपा इस्तीफा, नहीं हो पाई विधायक दल की बैठक

सामूहिक इस्तीफा ना होकर व्यक्तिगत इस्तीफा ही होगा स्वीकार : नियम यह भी कहती है कि विधायकों का इस्तीफा सामूहिक ना हो, बल्कि विधायक व्यक्तिगत रूप से अपना अपना इस्तीफा लिखित में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उपस्थित होकर पेश करें. तब उसे स्वीकार MLA Resigns Under This Rule) किया जा सकता है. यदि इस्तीफा डाक के जरिए विधानसभा अध्यक्ष को भेजा जाता है तो विधानसभा अध्यक्ष संबंधित विधायक को उपस्थित होने के निर्देश और उसका पक्ष सुनकर अपना निर्णय सुना सकता है. पूर्व में कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी का प्रकरण में यही हुआ था कि उन्होंने अपना इस्तीफा मेल और डाक के जरिए भेजा था, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने उसे स्वीकार नहीं किया और हेमाराम चौधरी को उपस्थित होने के निर्देश दिए थे.

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