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Special: राजस्थान पुलिस के पास अत्याधुनिक हथियार और कमांडो की स्पेशल टीम, क्रिमिनल इंटेलिजेंस बड़ी चुनौती

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Published : May 9, 2021, 10:47 AM IST

राजस्थान पुलिस अपराधियों से निपटने के लिए हाईटेक हथियार से लैस है. पुलिस बेड़े में एके-47 एसएलआर, इंसास राइफल, एके-47, 12 बोर पंप एक्शन गन शामिल किए गए हैं. पुलिस मुस्तैदी से अपराधियों से निपट भी रही है चाहे वो कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर हो या पपला गुर्जर को पकड़ना हो लेकिन क्रिमिनल इंटिलिजेंस नहीं होने से पुलिस को चुनौतियों को सामना करना पड़ रहा है.

Rajasthan Police, जयपुर न्यूज
राजस्थान पुलिस के लिए क्रिमिनल इंटेलिजेंस बड़ी चुनौती

जयपुर. राजस्थान पुलिस धीरे-धीरे हाइटेक हो रही है. जिससे वे अपराधियों से निपट सके. आजकल अपराधी किसी भी वारदात को अंजाम देने के लिए अत्याधुनिक तकनीक के हथियार का इस्तेमाल करते हैं. जिसको देखते हुए साल 2017 में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थ्री नॉट थ्री राइफल को पुलिस बेड़े में से हटा दिया गया. उसके स्थान पर अत्याधुनिक हथियार एसएलआर, इंसास राइफल, एके-47, 12 बोर पंप एक्शन गन आदि शामिल किए गए. जिससे पुलिस और सशक्त हो लेकिन इसके बावजूद भी कई बार राजस्थान पुलिस बदमाशों और तस्करों से मात खा रही है. इसके पीछे का सबसे प्रमुख कारण क्रिमिनल इंटेलिजेंस का नहीं मिल पाना है.

राजस्थान पुलिस के लिए क्रिमिनल इंटेलिजेंस बड़ी चुनौती

राजस्थान पुलिस की ओर से साल 2017 में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थ्री नॉट थ्री राइफल को पुलिस बेड़े में से हटाकर उसके स्थान पर अत्याधुनिक हथियार एसएलआर, इंसास राइफल, एके-47, 12 बोर पंप एक्शन गन आदि शामिल किए गए. इसके साथ ही इन तमाम नए हथियारों के रखरखाव और हत्यारों को ऑपरेट करने से संबंधित ट्रेनिंग भी जवानों से लेकर अधिकारियों तक दी गई. वर्तमान में राजस्थान पुलिस के पास अत्याधुनिक हथियारों की कोई भी कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी कई बार राजस्थान पुलिस बदमाशों और तस्करों से मात खा रही है. इसके पीछे का सबसे प्रमुख कारण क्रिमिनल इंटेलिजेंस का नहीं मिल पाना है. जैसे-जैसे इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में बदलाव हुआ है. उसे बदमाशों ने भी अपने तौर-तरीकों में अपनाना शुरू किया है. यही कारण है कि बदमाश अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और पुलिस बदमाशों का सुराग नहीं लगा पाती है.

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एडीजी क्राइम डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि राजस्थान पुलिस के जवानों के पास एसएलआर और इंसास राइफल है, जो कि बदमाशों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए काफी है. इसके साथ ही राजस्थान पुलिस की ओर से गठित किए गए तमाम विशेष दस्ते, कमांडो टीम, क्विक रिस्पांस टीम, इमरजेंसी रिस्पांस टीम, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, आतंकवादी निरोधक दस्ता, आईजी रेंज स्तर की विशेष टीम और प्रत्येक जिले की डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम के पास और भी उन्नत किस्म के हथियार हैं. जिनमें एके-47 और अन्य हथियार शामिल हैं. इन तमाम हथियारों के बारे में पुलिसकर्मियों को लगातार ट्रेनिंग दी जाती है, यहां तक कि पुलिस में भर्ती होने से लेकर प्रमोशन और रिफ्रेशर कोर्स के दौरान अलग हथियारों की जानकारी और उनके संचालन का तरीका सिखाया जाता है.

अत्याधुनिक हथियारों के साथ ही दिया जाता है इस स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम

प्रदेश में राजस्थान पुलिस को जितने भी बड़े ऑपरेशन अंजाम देने होते हैं. उन्हें अत्याधुनिक हथियारों से लैस पुलिस के विशेष दस्ते की ओर से अंजाम दिया जाता है. चाहे बात कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर की हो या फिर पपला गुर्जर को महाराष्ट्र से गिरफ्तार करने की. इन तमाम बड़े ऑपरेशन में विशेष दस्ते के कमांडो एके-47 और अन्य अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं.

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इसके साथ ही प्रदेश के वह तमाम जिले जहां पर तस्करों का ज्यादा वर्चस्व है या फिर ऐसे जिले जिन की सीमाएं दूसरे राज्यों से मिलती हैं. जिन रास्तों से बदमाशों की चहलकदमी ज्यादा होती है, वहां पर भी अत्याधुनिक हथियारों से लैस पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाता है. राजस्थान पुलिस के विशेष दस्ते में शामिल कमांडो की ट्रेनिंग भी सीआरपीएफ कैंप या फिर सेना के कमांडो ट्रेनिंग कैंप में करवाई जाती है.

क्रिमिनल इंटेलिजेंस का नहीं मिलना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती

एडीजी क्राइम डॉ.रवि प्रकाश मेहरड़ा का कहना है कि वर्तमान में बदमाशों की क्रिमिनल इंटेलिजेंस कई बार नहीं मिल पाती है. यही कारण है कि बदमाश पुलिस को गच्चा देकर निकल जाते हैं. बदमाश भी अब आधुनिक माध्यमों के जरिए आपस में कम्युनिकेशन करते हैं. जिसे पुलिस की ओर से ट्रेस नहीं किया जा सकता. अपराधी आजकल व्हाट्सएप कॉलिंग, वीओआई कॉलिंग और इंटरनेट कॉलिंग को अपनाने लगे हैं. जिसके चलते उनकी गतिविधियों की जानकारी का आकलन कर पाना या फिर उनसे संबंधित कोई जानकारी जुटा पाना पुलिस के लिए पहले की तुलना में मुश्किल हुआ है.

बदमाशों की गतिविधियों का पता लगाने में पुलिस को समय लगता है. हालांकि, पुलिस लगातार ग्राउंड लेवल पर ह्यूमन इंटेलिजेंस जुटाकर बदमाशों का पता लगाने में जुटी रहती है. यही कारण है कि वर्तमान में पुलिस द्वारा किए गए कई एक्शन बीट कांस्टेबल या मुखबिर तंत्र के जरिए ग्राउंड लेवल इंटेलिजेंस के आधार पर अंजाम दिए गए हैं.

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